जब काव्य घर पहुँची, उसके चेहरे पर साफ़ गुस्से के निशान थे।
माँ ने दरवाज़ा खोलते ही पूछा,
— "क्या हुआ बेटा?"
काव्य ने बैग एक तरफ़ पटकते हुए कहा,
— "बस… दिमाग़ ख़राब हो गया है मेरा। पता नहीं कैसा स्कूल है, किसी को तमीज़ ही नहीं!"
माँ ने आधा सुनते ही अंदाज़ा लगा लिया,
— "ज़रूर किसी से लड़ाई हुई होगी। मुझे तो पक्का यकीन है। तू तो थोड़ी-सी बात पर परेशान हो जाती है।"
काव्य ने झुंझलाकर कहा,
— "मैं काम से परेशान नहीं हूँ, बात कुछ और है—"
लेकिन माँ ने हाथ उठाकर उसे रोक दिया,
— "छोड़, रहने दे।"
काव्य ने होंठ भींचे,
— "ठीक है, मैं ख़ुद संभाल लूँगी।"
माँ ने हल्की तंज़ से जवाब दिया,
— "बहुत शुक्रिया!"
बात वहीं ख़त्म हो गई और घर का माहौल फिर सामान्य-सा हो गया।
अगला दिन
सुबह काव्य ने स्कूल जाते हुए मन ही मन कहा,
— "हे भगवान, बस आज कोई मेरे सामने बेतुकी बातें न करे।"
आज सबको नया टाइमटेबल मिल गया था। क्लासेज़ और सब्जेक्ट पीरियड तय हो चुके थे। काव्य का एक पीरियड लंच के बाद नीचे की बिल्डिंग में था, जहाँ 8वीं से 12वीं तक की क्लासेज़ थीं।
पीरियड शुरू होने पर वह नीचे गई और 8वीं क्लास ढूँढने लगी। कई बच्चे और टीचर्स उसे नोटिस कर रहे थे, लेकिन उसकी नज़र सिर्फ़ उस क्लास को तलाश रही थी जहाँ उसे पढ़ाना था। तभी एक बच्चा आकर बोला,
— "मैम, आप काव्य मैम हो न? आपका पीरियड हमारी क्लास में है।"
काव्य ने मुस्कराते हुए हामी भरी और उसके साथ चली गई।
क्लास में उसने नए आए बच्चों से इंट्रोडक्शन लिया और फिर ग्रामर का एक टॉपिक पढ़ाने लगी। क्लास में दो दरवाज़े थे — एक आगे, एक पीछे। पीछे वाली क्लास 12वीं की थी। वहाँ के बच्चे, शायद अपने टीचर के कहने पर, क्लास से बाहर लॉबी में बैठे थे।
पीछे से उनकी आवाज़ें आ रही थीं। पढ़ाई में बाधा न हो, इसलिए काव्य ने जाकर बैक डोर बंद कर दिया। थोड़ी देर बाद वह दरवाज़ा खुल गया। काव्य ने सोचा हवा से खुला होगा, लेकिन बाहर बैठे बच्चों में उसे वे दो लड़कियाँ दिखीं जो पहले दिन उससे मिलने आई थीं। उन्होंने मुस्कराकर देखा, काव्य ने भी हल्की मुस्कान लौटाई और फिर दरवाज़ा बंद कर पढ़ाने लगी।
कुछ मिनट बाद दरवाज़ा फिर खुला। इस बार उसे लगा ये हवा का काम नहीं, बल्कि बच्चों की शरारत है। बाहर नज़र दौड़ाई तो बच्चों के साथ एक टीचर भी बैठे थे — वही, जिन्हें विनीता मैम ने उसे पहले दिन बताया था और जो अटेंडेंस रजिस्टर देने आए थे।
काव्य ने सोचा, "जब ये टीचर साथ हैं तो शायद सब नॉर्मल है", और फिर पढ़ाने में लग गई।
तीसरी बार दरवाज़ा खुला तो वह पहले से तैयार थी। देखा — इस बार खुद वही सर दरवाज़ा खोल रहे थे। हिम्मत करके काव्य ने कहा,
— "सर, आप बार-बार दरवाज़ा क्यों खोल रहे हैं?"
सर के चेहरे पर शरारती मुस्कान थी।
— "गर्मी हो रही है, दरवाज़ा खोलकर पढ़ा लो बच्चों को।"
काव्य ने हल्का-सा व्यंग्य किया,
— "थैंक यू फॉर योर एडवाइस।"
फिर बिना कुछ और कहे बच्चों को पढ़ाने लगी। शायद उसके रिएक्शन न देने पर सर ने भी आगे शरारत बंद कर दी।
लेकिन काव्य ने नोटिस किया कि वे सर उसकी हर बात गौर से सुन रहे थे और बच्चों से कहते जा रहे थे,
— "समझ में आ गया न?"
उसे महसूस हुआ कि उसकी नकल की जा रही है। उसने जाकर दरवाज़ा बंद किया और थोड़ी देर बाद पीरियड ख़त्म हो गया।
अब गेम पीरियड था। काव्य बच्चों को लेकर ग्राउंड में आई, जहाँ कुछ और टीचर्स और वही सर मौजूद थे। वह उनके पास न जाकर बच्चों को ग्राउंड के दूसरी ओर ले गई।
तभी एक मैम ने आवाज़ लगाई,
— "काव्य मैम, अपनी क्लास के बच्चों की कंप्यूटर वगैरह की सारी बुक्स देख कर बता दें, कितने सब्जेक्ट हैं। अगर पीरियड से ज़्यादा सब्जेक्ट हुए तो हमें डेज़ तय करने होंगे। सर टाइमटेबल एडजस्ट करना चाहते हैं।"
काव्य ने कहा,
— "ओके, अभी लेकर आती हूँ।"
वह जाने लगी तो पीछे से वही सर बोले,
— "मैडम जी, सुनिए… आल बुक्स लाना।"
काव्य ने सोचा कि शायद 'ऑल' कह रहे हैं, और बोली,
— "ओके।"
सर ने हँसते हुए दोहराया,
— "नहीं, ऑल नहीं… आल बुक्स लाना!"
वह उलझन में थी लेकिन मुस्करा दी। आसपास सब हँसने लगे।
काव्य क्लास में जाकर बुक्स ले आई। सर ने देखीं और वापस कर दीं। जब वह बुक्स लौटाकर आई तो सर जा चुके थे, लेकिन मैम वहीं थीं।
काव्य ने पूछा,
— "हो गया बुक्स वाला इश्यू क्लियर?"
मैम हँस पड़ीं,
— "हाँ। आपको पता है सर ने 'ऑल' को 'आल' क्यों कहा?"
काव्य ने सिर हिलाया।
मैम बोलीं,
— "कल 5वें पीरियड में आप बच्चों को पढ़ा रही थीं। बच्चे 'ऑल' को 'आल' बोल रहे थे, और आप बार-बार समझा रही थीं कि ये 'आल' नहीं 'ऑल' होता है। लेकिन बच्चे फिर भी दोहराते रहे। बस, सर उसी पर मज़ाक कर रहे थे।"
काव्य हल्का-सा मुस्कराई और मन ही मन बोली,
— "पता नहीं मैं पागल हूँ या ये लोग। कुछ भी बोलते हैं, कुछ भी करते हैं। और विनीता मैम इन सर की इतनी तारीफ़ कर रही थीं…!"
क्या काव्य का ऐसा सोचना सही था?
क्या सर की शरारत के पीछे कोई और वजह थी?
आगे क्या होने वाला था काव्य के साथ?