Unsung Indian Women Scientists in Hindi Science by S Sinha books and stories PDF | भारत की गुमनाम वैज्ञानिक महिलाएं

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भारत की गुमनाम वैज्ञानिक महिलाएं

                                         भारत की गुमनाम वैज्ञानिक  महिलाएं 


आजकल देश में महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर  रहीं हैं  पर 19 वीं सदी और बीसवीं सदी के आरम्भ में ऐसा विरले ही संभव था  .  इस लेख में ऐसी कुछ महिलाओं का वर्णन है - 

 

जानकी अम्मल - जानकी अम्मल का जन्म 4 नवंबर 1897 को तत्कालीन ब्रिटिश राज के मद्रास प्रेसीडेंसी के थलस्सरी में हुआ था  . उस समय महिलाओं के लिए हाई स्कूल में जाना ही बड़ी बात थी , वह भी एक पिछड़ी जाती की महिला के लिए  . जानकी को लिंग भेद और जाति भेद दोनों का सामना करना पड़ा था  . फिर भी इन बाधाओं का सामना करते हुए उन्होंने भारत में  कॉलेज की पढ़ाई पूरी की  . 


कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद जानकी अमेरिका के मिशिगन विश्वविद्यालय गयीं जहाँ उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि मिली थी  .  जानकी डॉक्टरेट के डिग्री पाने वाली पहली भारतीय महिला थीं  . उन्हें वनस्पति विज्ञान में Phd मिला था  . उन्हें पादप प्रजनन , आनुवंशिकी और कोशिका आनुवंशिकी क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए जाना  जाता है   .  


जानकी लंदन के मशहूर  हॉर्टिकल्चर इंस्टीट्यूट में कार्यरत थीं  .  तत्कालीन प्रधान मंत्री पंडित नेहरू ने विशेष रूप से भारत में बोटैनिकल सर्वे के लिए बुलाया था  . जानकी ने गन्ने और बैगन ( eggplant ) पर विशेष अध्ययन किया था  . भारत में गन्ने की मिठास और गुणवत्ता बढ़ने में उनका खास योगदान रहा था  .  वे क्रोमोसोम एटलस ऑफ़ कल्टिवेटेड प्लांट्स ( Chromosome Atlus of Cultivated Plants ) नामक प्रसिद्ध पुस्तक की सहलेखिका भी थीं  . 


भारत सरकार ने उन्हें 1977 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था  . 7 फ़रवरी 1984 को तत्कालीन मद्रास ( अब  चेन्नई ) में उनका निधन हुआ था  . 


कमल रणदिवे - कमल का जन्म 8 नवंबर 1917 को तत्कालीन बॉम्बे ( अब मुंबई ) में हुआ था  . वे बचपन से ही एक मेधावी छात्रा  रहीं थीं  . पुणे के कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर से उन्होंने स्नाकोत्तर डिग्री प्राप्त किया था  .अपने  पति डॉ वी के खांडेकर के साथ मिल कर उन्होंने  भारत के  पहले टिश्यू कल्चर लैब और  इंडियन कैंसर रिसर्च सेंटर की स्थापना  की थी  . उनके प्रोत्साहन से वे अमेरिका के जॉन  हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में फेलोशिप पर गयीं  . उन्होंने अपने कैंसर पर अध्ययन  रिसर्च का उपयोग अपने ही देश में करने की प्राथमिकता दी और वे भारत लौट आयीं  . वे भारत की पहली महिला बायोलॉजिस्ट और साइंटिस्ट्स थीं  . 


कमल ने इंडियन वीमेन साइंटिस्ट्स एसोसिएशन की भी स्थापना की थी  . 1982 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था  . 

 

विभा चौधरी ( also known as Bibha Chaudhary )  - विभा का जन्म 3 जुलाई 1913 को तत्कालीन  कलकत्ता ( अब कोलकाता ) में हुआ था  . कोलकाता विश्वविद्यालय से साइंस में 1936 में M .Sc की डिग्री लेने वाली वे एकमात्र महिला थीं  . फिर उन्होंने मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी से Phd किया  . 


विभा पार्टिकल फिजिक्स में अपनी योगदान के लिए जानी जाती हैं  . उन्होंने कोलकाता स्थित बोस इंस्टीट्यूट में डॉ बोस के साथ मिलकर मेसट्रोन एयर  शॉवर ( mesotron ) की खोज की जिसे मेसोन ( mesons  ) नाम से भी जाना जाता है  . IAU ( इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन ) ने एक स्टार का नाम  HD 86081 विभा रखा था  . विश्व में सब एटॉमिक ( subatomic ) पार्टिकल की खोज करने वाली वे पहली महिला वैज्ञानिक थीं  . इसे देखते हुए  डॉ होमी भाभा ने विभा को  मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूटऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च में ज्वाइन करने के लिए कहा  . 


कहा जाता है कि विभा कॉस्मिक रे पार्टिकल ( cosmic ray particle ) पर आगे खोज  करना चाहती थीं पर द्वितीय विश्व युद्ध के समय उच्च गुणवत्ता वाले फोटो प्लेट उपलब्ध न होने के कारण इस उद्देश्य में सफल नहीं हो सकीं थीं  . 


2 जून 1991 को कोलकाता में उनका निधन हो गया  .


असीमा  चटर्जी -  असीमा का जन्म 23 सितंबर 1917 में तत्कालीन कलकत्ता ( अब कोलकाता ) में हुआ था  . वे भारत की प्रथम महान महिला वैज्ञानिकों में एक थीं  . कलकत्ता विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ़ साइंस रसायन  की डिग्री पाने वाली वे पहली  महिला वैज्ञानिक थीं   . किसी भी भारतीय विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ़ साइंस की डिग्री पाने वाली जानकी अम्मल के बाद दूसरी महिला बनीं  .


असीमा मूलतः एक रसानज्ञ थीं और उन्हें फाइटोमेडिसिन ( phytomedicine ) के क्षेत्र में विशेष ख्याति मिली थी  . उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के मेडिसिनल ( औषधीय ) पौधों पर बहुत अध्ययन किया था   . मिर्गी ( epilepsy ) और मलेरिया की दवाओं के विकास में उनका विशेष योगदान रहा है  .विंका  अल्कलॉइड  ( vinca alkaloid  - केमोथेरपी की दवा जो कैंसर रोग के उपचार में प्रयोग किया जाता है ) और  एंटी एपिलेप्टिक  दवाओं के विकास के लिए उन्हें जाना जाता है  .


विज्ञान के क्षेत्र में असीमा के कार्य को देखते हुए उन्हें   भारत सरकार द्वारा 1975 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था  . 

22 नवंबर 2006 को कोलकाता में उनका निधन हो गया    .

 
कमला सोहनी -   कमला सोहनी का जन्म 18 जून  1911  में इंदौर में हुआ था  .  उन्हें जैव  रसायन में स्नातकोत्तर के अतिरिक्त भौतिक विज्ञान में भी बैचलर की डिग्री प्राप्त थी  . कमला ने खाद्य सामग्री में मौजूद प्रोटीन पर शोध किया था  . 

उन्हें मशहूर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में हॉपकिंस लैब में काम करने के लिए आमंत्रित किया गया था  . साइटोक्रोम C ( Cytochrome C  इसे कोशिका यानी सेल का पावर हाउस कहा जाता है  ) पर उनके अध्ययन के लिए कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से उन्हें Phd की उपाधि भी मिली थी  . कमला  ब्रिटिश विश्वविद्यालय द्वारा किसी भारतीय महिला को Phd प्राप्त करने वाली पहली महिला थीं  . 


कहा जाता है कि उन्होंने IISc ( इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस ) में फेलोशिप का आवेदन दिया था जिसे शुरू में तत्कालीन निर्देशक और मशहूर वैज्ञानिक डॉ सी वी रमन ने अस्वीकार कर दिया था  . उस समय कदाचित महिला को विज्ञानं में शोष के लिए सक्षम नहीं समझा गया था  . कुछ अनुभव के बाद कमला को वहां एडमिशन  मिला था  . 


ताड़ अर्क के पोषण तत्वों से युक्त “  नीरा “ पेय के बच्चों पर लाभ पर उनके काम के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया था  . 


28 जून 1998 को दिल्ली में उनका निधन हो गया  . 


डॉ आनंदीबाई गोपालराव जोशी - आनंदीबाई  का जन्म 31 मार्च 1865 को थाणे , महाराष्ट्र में हुआ था  . वे भारत की पहली महिला डॉक्टर थीं  .  उन्होंने अमेरिका में मेडिकल की पढ़ाई की और 1886 में अमेरिका में डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन पाने वाली वे पहली भारतीय महिला थीं  .  


आनंदीबाई का विवाह कम आयु में हो गया था और मात्र 14 वर्ष  की उम्र में वे माँ बनीं  . उनकी संतान की मृत्यु जन्म के 10  दिन बाद ही हो गयी थी  . तब उन्होंने डॉक्टर बनने का प्रण लिया था  . 


आनंदीबाई ने चिकित्सा के क्षेत्र में महिलाओं को  प्रवेश के लिए प्रोत्साहित किया था  . 


डॉ रुखमाबाई राउत -  डॉ रुखमाबाई  का जन्म 22 नवंबर 1864 को मुंबई में हुआ था  .  डॉ. रुखमाबाई राउत भारत की पहली महिला डॉक्टरों में से एक थीं और एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुधारक भी थीं  .  उनका जन्म 22 नवंबर, 1864 को मुंबई में हुआ था। 11  साल की उम्र में उनकी शादी उन्नीस वर्षीय दादाजी भिकाजी से कर दी गई थी, लेकिन उन्होंने ससुराल जाने से इनकार कर दिया और अपनी पढ़ाई जारी रखी. उन्हें 1894  में  लंदन स्कूल ऑफ़ मेडिसिन फॉर वीमेन से डॉक्टर की डिग्री मिली थी  .   


 रुखमाबाई  ने बाल विवाह  के विरुद्ध और महिलाओ के अधिकार के लिए न सिर्फ सशक्त आवाज उठाई थी बल्कि  कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी  . इसके फलस्वरूप 1891 में  सहमति आयु अधिनियम बना था  . भारत में तलाक लेने वाली आरम्भिक  महिलाओं में एक हैं  . 


25 सितंबर 1955 में उनका निधन हो गया  . 


अयोलासमयाजुला ललिता  ( A .  Lalitha ) -  ललिता का जन्म 27 अगस्त 1919 को तत्कालीन मद्रास ( अब चेन्नई ) में हुआ था  . वे भारत की पहली महिला इंजीनियर थीं  . 


15 साल की आयु में उनकी शादी हो गयी थी  . उन्हें एक बेटी हुई थी  . कुछ वर्षों के बाद उनके पति की मौत हो गयी थी  . उनके तीनों भाई इंजीनियर थे  . अपनी बेटी के भविष्य के लिए उन्होंने भी इंजीनियरिंग पढ़ना चाहा और मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया  . उस समय लड़कियों के लिए कॉलेज की पढ़ाई वह भी इंजीनियरिंग की , बहुत बड़ी बात थी  . तब लड़कियों के लिए अलग से कोई हॉस्टल भी नहीं था  . 


1943 में ललिता भारत की पहली महिला इंजीनियर बनीं  . इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बनने के बाद बिहार के जमालपुर स्थित रेलवे वर्कशॉप में अप्रेंटिस की ट्रेनिंग ली  . कुछ अन्य जगहों पर काम करने के बाद वे भारत के विख्यात भाखड़ा नांगल डैम प्रोजेक्ट का हिस्सा  बनीं  . 1964 में न्यू यॉर्क में हुए इंटरनेशनल  कॉनफेरेन्स ऑफ़ वीमेन  इंजीनियर एंड साइंटिस्ट में भाग लेने के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया था  . ललिता को  ब्रिटिश महिला इंजीनियर सोसाइटी  का सदस्य चुना गया था  . पुनः 1967 में दूसरे इंटरनेशनल सम्मेलन के लिए भी उन्हें कैम्ब्रिज से भी निमंत्रण मिला था  . 


1979 में  ललिता का निधन हो गया  . 


अदिति पंत और सुदीप्ता  सेनगुप्ता -  अदिति का जन्म 5 जुलाई 1943 को नागपुर में हुआ था जबकि सुदीप्ता का 20 अगस्त 1946 को कलकत्ता ( अब कोलकाता ) में हुआ था  . अदिति और सुदीप्ता भारतीय  समुद्र वैज्ञानिक थीं  ( oceanographer )  .  1983 में दोनों भारतीय अंटार्कटिक प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने वाली पहली महिलायें थीं जिन्होंने अंटार्कटिका पर कदम रखे थे   . सुदीप्ता को अपने कार्य के लिए  साइंस और टेक्नोलॉजी का शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार भी मिला है  .  इसके अतिरिक्त सुदीप्ता ने अदिति  के साथ SERC अवार्ड भी शेयर किया है  . अदिति को भारत सरकार द्वारा अंटार्कटिका अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है  . 

 

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