लिखना तो चाहता हूँ तेरे लिए बहुत कुछ,
पर सच ये है कि तेरे लिए कुछ लिखा ही नहीं जा सकता।
तेरी मौजूदगी ही इतनी अनमोल है कि अल्फ़ाज़ उसके आगे बौने लगते हैं।
तेरे बारे में कुछ शब्दों में कहना वैसा ही है
जैसे पूरी गंगा को एक मटके में भरने की कोशिश करना।
तेरी हँसी की मिठास, तेरी आँखों की रोशनी,
तेरे बोलने का अंदाज़ और तेरे खामोश रहने की गहराई—
ये सब चीज़ें सिर्फ़ देखी और महसूस की जा सकती हैं,
उन्हें अल्फ़ाज़ में बांधना नामुमकिन है।
तेरे चेहरे पर आती मासूम मुस्कान
कभी किसी सुबह की पहली किरण जैसी लगती है,
तो कभी ठंडी हवा के झोंके जैसी सुकून देती है।
तेरी आँखों में झांकूँ तो लगता है जैसे
पूरी कायनात उसी गहराई में छुपी हो।
अगर मैं धूप हूँ, तो तू छाँव सही,
अगर मैं समंदर हूँ, तो तू नाव सही।
अगर मैं बात हूँ, तो तू जज़्बात सही,
अगर मैं हाल हूँ, तो तू हालत सही।
तेरे बिना मैं अधूरा हूँ,
जैसे गीत बिना सुर,
जैसे दीप बिना लौ,
जैसे इबादत बिना श्रद्धा।
अगर मैं काशी हूँ, तो तू मेरा घाट सही।
काशी की आत्मा जिस तरह अपने घाटों से है,
वैसे ही मेरी रूह का ठिकाना सिर्फ़ तू है।
मैं हूँ एक दरिया, तू है पार करने का ज़रिया।
तेरे बिना ये दरिया सिर्फ़ बहता रहेगा
पर कभी मंज़िल तक नहीं पहुँच पाएगा।
मैं चमचमाती धूप हूँ, तू चाँदनी रात सही।
धूप बिना चाँदनी अधूरी है
और चाँदनी बिना धूप भी अपनी पहचान खो देती है।
तू वो समंदर है, जिसमें समाती सारी नदियाँ।
तेरा होना मेरे लिए वैसा ही है
जैसे किसी नदी का अंत समंदर में जाकर मिलना—
जहाँ वो अपनी पहचान भी खो देती है
और एक नई पहचान भी पा लेती है।
मैं हूँ एक राही, तू मेरी मंज़िल।
राही चाहे कितनी भी दूर निकल जाए,
आख़िरकार उसकी आँखें अपनी मंज़िल ही खोजती हैं।
तेरा होना मेरी राहों का अंत भी है और शुरुआत भी।
मैं हूँ शरीर, तू धड़कता दिल।
शरीर दिल के बिना सिर्फ़ एक खोखला खोल है।
वैसे ही मैं तेरे बिना अधूरा हूँ।
मैं शायर की शायरी, तू सजी हुई महफ़िल।
मेरे लफ़्ज़ चाहे जितने खूबसूरत हों,
उनका असली रंग तो तभी निकलता है
जब तू मेरी महफ़िल में मौजूद होती है।
तेरे बिना मेरी स्याही सूख जाती है,
मेरे काग़ज़ खाली रह जाते हैं,
मेरी कविताएँ अधूरी रह जाती हैं।
तेरे बिना कहानियाँ किसी अनजाने मोड़ पर अटक जाती हैं।
तू है तो शब्दों को रूह मिलती है,
वरना वो सिर्फ़ काग़ज़ पर बिखरे हुए अक्षर बनकर रह जाते हैं।
लोग कहते हैं कि मोहब्बत बयाँ की जाती है।
पर मेरे लिए मोहब्बत लिखने से कहीं आगे की चीज़ है।
ये वो एहसास है जिसे काग़ज़ पर उतारना मुश्किल है।
ये वो धड़कन है जिसे सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है।
तेरे बारे में जितना लिखूँ, उतना अधूरा लगता है।
कभी लगता है कि कलम तेज़ चले,
कभी लगता है कि खामोशी ही सबसे गहरी कविता है।
और सच तो ये है कि—
तेरे लिए लिखते-लिखते मैंने जाना है
कि कुछ रिश्ते, कुछ एहसास,
अल्फ़ाज़ से कहीं बड़े होते हैं।
वो किताबों में नहीं, दिलों में दर्ज होते हैं।
फिर भी, हर रात जब मैं अपनी डायरी खोलता हूँ,
तो तेरा ज़िक्र खुद-ब-खुद उतर आता है।
क्योंकि तू ही वजह है मेरी हर कहानी की,
तू ही है मेरी दास्ताँ और मेरी ज़ुबानी की।
मेरी कलम जब तक चलेगी,
तेरा नाम उसमें ज़रूर लिखा जाएगा।
क्योंकि तू ही वो कविता है
जो कभी पूरी नहीं होती,
और शायद पूरी हो भी नहीं सकती।
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