Do Dil Kaise Milenge - 38 in Hindi Love Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दो दिल कैसे मिलेंगे - 38

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दो दिल कैसे मिलेंगे - 38

अब आगे........
एकांक्षी अपने बेड पर रखे कुछ किताबों को अलमारी मे रखते हुए अपने साथ हुई घटना के बारे में सोच रही थी..
" आखिर मुझे अचानक हुआ क्या था, क्यू मैं अधिराज के नाम को जानना चाहती हूं.. आखिर ये सब हो क्या रहा है... " एकांक्षी अपनी सोच में खोई हुई थी तभी पीछे से आवाज आती है..
" भूल जाओ एकांक्षी.. उन सब को याद मत करो.. " 
एकांक्षी हैेरानी से पीछे मुडकर देखकर कहती है.. ". तानिया.. तुम्हे कैसे पता की मै इंसिडेंट के बारे मे सोच रही हूँ..."
तानिया हड़बाड़ाते हुए कहती है... " वो तो बस अंदाजा लगा लिया.. खैर छोड़ो ये बता तू ठीक है न अब... "
एकांक्षी मुस्कुराते हुए कहती है... " हां.. मै अब बिल्कुल ठीक हूँ..." एकांक्षी कुछ सोचते हुए दोबारा कहती है.... " तान्या.. विक्रम अब कुछ बदला सा नहीं लग रहा है... " तान्या उसे समझाते हुए कहती है... " तू उसके बारे में मत सोच.. क्या पता वो फिर कोई नाटक कर रहा हो... " एकांक्षी उसकी बातों को समझते हुए कहती है... " शायद तू ठीक कह रही है.... " 
तान्या उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहती है... " देख एकांक्षी तूझे कोई भी परेशानी हो मुझे से कह सकती है... " एकांक्षी उसे शकी नज़रो से देखते हुए कहती है... " कैसी परेशानी...?.. " 
तान्या उसकी बातों को नज़रअंदाज़ करती हुई अपने फोन पर बात करने के लिये बालकनी में चली जाती है.. एकांक्षी वापस से अपने काम में लग जाती है... तभी उसके फ़ोन पर एक मैसेज आता है... एकांक्षी अपने फोन को उठाकर उस मैसेज को पढ़ते हुए खुश हो जाती है....अपने फोन को साइड में रखकर वो कपड़े चेंज करने के लिये जाती है.... तान्या फोन पर बाते करके वापस अंदर आती है और एकांक्षी को कपड़े लेता देख कहती है... " तू चेंज क्यूँ कर रही है... " एकांक्षी मैसेज वाली बात को छुपाते हुए कहती है... " वो बस थोड़ा बाहर जाने का मन कर रहा है, इसलिए... " 
" तो ठीक है.. हम दोनों चलते है... " एकांक्षी हड़बड़ाते हुए कहती है... " नहीं तान्या मुझे किसी से मिलने जाना है... " तान्या उसे घूरते हुए कहती है... " तो क्या में उससे नहीं मिल सकती... " एकांक्षी उसे समझाते हुए कहती है.... " हा, लेकिन अभी नहीं बाद में... " 
तान्या शकी नज़रो से उसे देखते हुए कहती है... " ठीक है.. जा... " और फिर खुद से बड़बड़ाते हुए कहती है... " कही ये अधिराज से मिलने तो नहीं जा रही.... नहीं एकांक्षी को तो अभी कुछ याद भी नहीं फिर... मुझे इसका पीछा करना होगा... " तान्या वहाँ से चली जाती है और एकांक्षी चेंज करके जाने लगती है... 
अभी एकांक्षी रूम से बाहर हीं आयी थी की तभी सावित्री जी उसे देखते हुए कहती है... " कहाँ चल दी...?... " एकांक्षी मासूमियत भारी आवाज़ में कहती है... " मम्मा बस थोड़ा बाहर जा रही थी... " सावित्री जी थोड़ा गुस्सा करते हुए कहती है..., " बाहर नहीं जाना , तबियत ठीक नहीं है अभी तेरी... " एकांक्षी सावित्री जी को मनाते हुए कहती है... " मम्मा बस थोड़ी देर में आ जाउंगी... प्लीज जाने दो, अगर भाई आगये तो वो बिल्कुल भी नहीं जाने देंगे,.. " 
काफ़ी जिद करने के बाद सावित्री जी उसे जाने के लिये कह देती है.. एकांक्षी बाहर चली जाती है, जहाँ तान्या उसी का वेट कर रही थी , उसके आते हीं तुरंत उसके पीछे चल देती है.... थोड़ी देर चलने के बाद एकांक्षी जैसे हीं आगे बढ़ती है एक वाइट कलर की कार उसके सामने रूकती है... जिसे देख एकांक्षी थोड़ा पीछे होते हुए कहती है... " विक्रम.. " विक्रम कार से बाहर आते हुए कहता है... " हा.. तुम बैठो कार में... " एकांक्षी हाथ बांधते हुए कहती है... " मुझे तुम पर भरोसा नहीं है.. लेकिन तुमने मैसेज में कहाँ था की तुम्हारे उलझन का जवाब है मेरे पास.. इसलिए हीं आयी हूँ..... " 
" एक बार मुझे पर भरोसा कर लो,, प्लीज.. " 
विक्रम के जोर देने पर एकांक्षी कार में बैठ जाती है और विक्रम ड्राइविंग सीट पर....
इधर तान्या दोनों को देखते हुए कहती है... " ये विक्रम एकांक्षी को कहाँ ले जा रहा है... " तान्या उनके पीछे अपने छोटे तितली रूप में चल देती है.....
विक्रम कार ड्राइव करते हुए एकांक्षी की तरफ देखते हुए खुद से कहता है... " तुम अब सिर्फ मेरी होंगी एकांक्षी, अधिराज यहां पहुंच तो चुका है लेकिन तुम्हे कभी नहीं पा सकता.... " 
आधे घंटे ड्राइव करने के बाद विक्रम एक वीरान से किले के बाहर रुकता है... दोनों कार से बाहर निकलते है, एकांक्षी उसके जगह को देखते हुए कहती है... " यहां क्यूँ लाये हो...?... तुम्हारे इरादे अभी भी गलत हीं है.... " विक्रम उसे समझाते हुए कहता है.... " तुम्हे सब पता चल जायेगा, अंदर चलो मेरे साथ... " विक्रम एकांक्षी को लेकर अंदर की तरफ जाता है.... तभी उसे अहसास होता है... जिसे महसूस करके कहता है... " माद्रीका.....हमारा पीछा कर रही हो... इतनी जल्दी क्या है मेरा सच जानने की... " इतना कहकर विक्रम हाथों को चारो तरफ करता हुए कहता है... " अब इस कवच को तुम कभी नहीं पार कर पाओगी... " इतना कहकर वो सीधा एकांक्षी को लेकर अंदर पहुंचता है.... एकांक्षी झटके से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहती है.... " अब कुछ बताओगे भी या नहीं.... कौन है ये अधिराज..?... कौन है..?... बोलो... "
विक्रम चारो तरफ देखते हुए कहता है.. " हा बिल्कुल..."
इधर तान्या उस कवच के पास जैसे हीं पहुँचती है उसे झटका लगता है, जिससे वो तुरंत पीछे हटते हुए कहती है... " ये क्या है...?... " और उसके नज़दीक जाकर देखते हुए कहती है.... " सुरक्षा कवच... नहीं , मै अंदर कैसे जाऊ... मुझे जल्दी कुछ करना होगा... शायद अब मुझे अधिराज को बुला लेना चाहिए... पता नहीं उस विक्रम के पास कौन सी शक्ति है... " तान्या अभी सोच विचार में खोई हुई थी वही एकांक्षी विक्रम को गुस्से में कहती है.... " तुम कुछ बताओगे भी या मै जाऊ.. " 
विक्रम उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है.... " हा सुनो लेकिन.. " कुछ सोचता है... " मुझे अब एकांक्षी पर सम्मोहन का उपयोग करना होगा, नहीं तो कही मेरे कुछ बताते हीं इसे सब कुछ याद न आजाए... " 
इधर तान्या तुरंत अपने ख्यालों से बाहर आकर कहती है.... " शिवि... " उसके इतना कहते हीं वो छोटी सी तितली आकर कहती है... " जी, महारानी... क्या आज्ञा है...?.. " तान्या रोबदार आवाज में कहती है... " सुनो जाओ और अधिराज को mera ये सन्देश बताओ... " 
"... कैसा सन्देश..?..." 
.................. To be continued.............