देव एक साधारण-सा लड़का था, जो राजस्थान के एक छोटे से गांव में रहता था। उसकी उम्र लगभग बारह साल थी, लेकिन उसके सपने बहुत बड़े थे। देव हमेशा आसमान की ओर देखकर सोचता था कि दुनिया कितनी विशाल है और उसमें कितने रहस्य छिपे हैं। गांव के बच्चे अक्सर खेल-कूद में लगे रहते, लेकिन देव का मन हमेशा नई-नई बातें जानने और खोज करने में लगा रहता।
गांव के लोग देव को थोड़ा अजीब मानते थे, क्योंकि वह घंटों अकेले जंगल में घूमता, पत्थरों, पेड़ों और तारों को निहारता रहता। लेकिन देव की दादी उसे समझाती थीं, “बेटा, जिज्ञासा ही इंसान को बड़ा बनाती है। तू खोज करना मत छोड़ना।” दादी की यही बातें देव को और हिम्मत देती थीं।
एक दिन की बात है। गर्मियों की दोपहर थी और गांव के लोग खेतों में काम कर रहे थे। देव अकेले ही पास के पुराने पहाड़ी जंगल में चला गया। यह जगह गांव वालों के लिए डरावनी मानी जाती थी। कहा जाता था कि वहां एक पुराना खंडहर है, जिसमें कोई रहस्यमयी ताकत रहती है। लोग वहां जाने से डरते थे, लेकिन देव की जिज्ञासा उसे वहां खींच ले गई।
जंगल में चलते-चलते देव को एक गुफा दिखाई दी। गुफा का मुंह झाड़ियों से ढका हुआ था। जैसे ही देव ने झाड़ियां हटाईं, अंदर से ठंडी हवा का झोंका आया। गुफा अंधेरी थी, लेकिन देव ने साहस दिखाया और अंदर चला गया।
अंदर जाकर उसने देखा कि गुफा की दीवारों पर अजीब-सी चमकती हुई आकृतियाँ बनी थीं। जैसे किसी ने हजारों साल पहले उन पर चित्र बनाए हों। गुफा के बीचों-बीच एक पत्थर की वेदी रखी थी, और उस पर एक पुरानी, जंग लगी लालटेन पड़ी थी। देव ने लालटेन उठाई, उस पर जमी धूल साफ की, और जैसे ही उसने उसे रगड़ा, अचानक तेज रोशनी फैली।
देव की आंखें चौंधिया गईं। उसने देखा कि उसके सामने धुएं के बादल से एक विशालकाय जिन्न प्रकट हुआ। जिन्न का शरीर इतना बड़ा था कि उसकी छाया गुफा से बाहर तक फैल गई। उसकी आवाज गूंजती हुई निकली, “कौन है जिसने मुझे मेरी नींद से जगाया?”
देव पहले तो डर गया, लेकिन उसने हिम्मत जुटाकर कहा, “मैं… मैं देव हूँ। मैंने यह लालटेन पाई थी।”
जिन्न ने जोर से हँसते हुए कहा, “बहुत सालों बाद किसी इंसान ने मुझे जगाया है। छोटे बच्चे, तूने मुझे आज़ाद किया है, इसलिए मैं तुझे तीन वरदान दूंगा। सोच-समझकर बोलना, क्योंकि इच्छाएँ बड़ी ताकत होती हैं।”
देव कुछ पल चुप रहा। उसने सोचा कि अब उसके पास जीवन का सबसे बड़ा मौका है।
“पहली इच्छा मेरी यह है,” देव ने कहा, “कि मेरे गांव में कभी कोई भूखा न रहे। सबके घर में खाना हो।”
जिन्न ने अपनी हथेली घुमाई और गूंजती आवाज में बोला, “तेरी पहली इच्छा पूरी हुई।” उसी समय गांव में अन्न का भंडार भर गया। लोगों के घरों में अन्न से भरे कटोरे और भंडारगृह भर गए। देव को बहुत खुशी हुई।
कुछ दिन बाद देव फिर गुफा में गया और लालटेन रगड़ी। जिन्न फिर प्रकट हुआ।
“अब तेरी दूसरी इच्छा क्या है?” जिन्न ने पूछा।
देव ने कहा, “मैं चाहता हूँ कि गांव के लोग बीमारियों से मुक्त रहें। कोई भी दर्द या बीमारी से परेशान न हो।”
जिन्न ने फिर से अपनी हथेली घुमाई और बोला, “तेरी दूसरी इच्छा भी पूरी हुई।” अचानक गांव के बीमार लोग स्वस्थ हो गए। जिनके शरीर कमजोर थे, उनमें ताकत आ गई। लोग खुश होकर देव का नाम लेने लगे।
लेकिन धीरे-धीरे देव ने देखा कि गांव के लोग अब मेहनत करना छोड़ने लगे हैं। उनके पास खाना तो था, सेहत भी थी, लेकिन वे आलसी हो गए। वे सोचने लगे कि जब सब कुछ अपने आप मिल रहा है, तो मेहनत करने की ज़रूरत क्या है।
देव के दिल में यह बात खटकने लगी। उसने सोचा, “अगर लोग खुद मेहनत नहीं करेंगे, तो उनका भविष्य कैसा होगा?”
कुछ समय बाद देव तीसरी बार गुफा में गया। उसने लालटेन रगड़ी और जिन्न सामने आ गया।
जिन्न ने कहा, “यह तेरी आखिरी इच्छा है। इसे सोच-समझकर बोलना। इसके बाद मैं हमेशा के लिए चला जाऊंगा।”
देव ने गहरी सांस ली और बोला, “मेरी तीसरी इच्छा यह है कि मेरे गांव के लोग खुद मेहनत करना सीखें। वे किसी वरदान या दूसरों पर निर्भर न रहें, बल्कि अपनी ताकत और मेहनत से आगे बढ़ें।”
जिन्न देव की बात सुनकर चौंक गया। उसने कहा, “छोटे बच्चे, तू बहुत समझदार निकला। तूने लालच नहीं किया, बल्कि अपने लोगों को सच्चा रास्ता दिखाया। तेरी यह इच्छा पूरी हुई।”
इतना कहकर जिन्न ने लालटेन वापस देव को दी और धीरे-धीरे हवा में गायब हो गया।
उसके बाद गांव में बड़ा बदलाव आया। लोग मेहनत करने लगे। खेतों में फिर से फसलें लहलहाने लगीं। बच्चे पढ़ाई में मन लगाने लगे। बूढ़े लोग भी खुश थे कि उनका गांव तरक्की कर रहा है।
देव को अब यह समझ आ गया था कि असली ताकत वरदानों में नहीं, बल्कि इंसान की अपनी मेहनत और समझदारी में है। उसने दादी की बात याद की—जिज्ञासा और मेहनत ही इंसान को बड़ा बनाती है।
गांव वाले अब देव को सिर्फ एक बच्चे के रूप में नहीं, बल्कि अपने प्रेरणा स्त्रोत के रूप में देखने लगे। देव की पहचान सिर्फ गांव तक ही नहीं, आस-पास के गांवों तक फैल गई। लोग कहने लगे, “वह देव है जिसने जिन्न से भी बड़ा सबक सीखा और सबको सिखाया।”
देव की यह कहानी आज भी उस गांव में सुनाई जाती है। बच्चे जब भी चाँदनी रात में पेड़ के नीचे बैठते हैं, दादी उन्हें देव और जिन्न की कहानी सुनाती हैं। यह कहानी उन्हें याद दिलाती है कि सपने और इच्छाएँ तभी मायने रखती हैं जब उनके पीछे मेहनत और सच्चाई हो।
और इस तरह देव का नाम हमेशा के लिए उस गांव की मिट्टी में अमर हो गया।