अगली शाम, मीरा का होस्टल.....
मीरा कमरे में स्टडीटेबल के पास कुर्सी पर बैठी अपनी कुछ किताबों को पढ़ रही थी ...स्टडीटेबल की एक लाइट जल रही थी... कमरे मेे ज्यादा रोशनी नहीं थी। उसने अपने कमरे की खिड़कियों को भी बंद कर दिया था। तभी उसके कमरे का दरवाजा खुला और वहां से सुधा अंदर आई। उसके हाथ में कॉफी के दो मग थे .वो चलकर मीरा के पास आई और मीरा को कॉफी देते हुए बोली...
मीरा ये लो अपनी कॉफ़ी......ये सुन मीरा ने किताबों से अपनी नजर हटाई और सुधा की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए उसने सुधा के हाथ से कप ले लिय.. कॉफ़ी का एक घूंट लेते हुए वो किताबो में कुछ देखने लगी...तभी सुधा ने हेजिटेट करते हुए मीरा से कहा...मीरा मुझेे तुमसे कुछ बात करनी थी.....
मीरा ने सुधा की बात सुनी फिर उसकी तरफ मुड़कर बैठ गई और इशारे में आगे कहने के लिए बोली.... बोलो क्या बात करनी है?. .....सुधा ने मीरा को देखा और बोली...मीरा एक बात तो बताओ उसे दिन तुम वहां मेरा मतलब है कि तुम्हें सच में लगा था कि वो माधव की परछाई थी जिसके पीछे तुम गई थी ....या फिर कोई और बात है मीरा .......
सुधा का सवाल सुन मीरा हेरानी से उसकी तरफ देख रही थी लेकिन उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। ....कुछ देर बाद मीरा ने सुधा से कहा...मैंने बताया तो कि वो वैसा ही था आदमी वो मुझे माधव जैसा ही लगा इसलिए मैं उसके पीछे गई और कोई बात नहीं है। क्या हुआ तुम उस बारे में अभी भी सोच रही हो .......
सुधा ने चिंता जताए हुए मीरा से कहा... हा मुझे तुम्हारी फ़िकर होती है। तुम्हें उस हालात में देखकर मुझपर क्या बीत रही थी तुम्हें अंदाज़ा भी नहीं है .....सुधा की बात सुन मीरा ने अपना कॉफी का मग साइड टेबल पर रखा और प्यार से सुधा से बोली...अब मैं ठीक हूं तुम चिंता मत करो ......
सुधा ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा...तुम्हारे कहने से क्या मुझे तो तुम्हारी चिंता होती है ना... मीरा उसकी तरफ देखकर मुस्कुराई और उसको गले लगा ली...
अगली सुबह ........
मीरा और सुधा धूप में बैठी थी...और पढ़ाई के बारे में कुछ डिसकास कर रही थी...बात करते करते सुधा की नजर सामने एंट्रेंस पर पड़ी वहा से माधव बड़े ही स्टाइल में चलता हुआ आ रहा था सुधा ने माधव से नज़र हटायी और मीरा से बोली। ...ले ये भी आ गया .....
मीरा ने सुधा को देखा इशारे में बोली.. कौन आ गया?....
सुधा ने माधव की तरफ इशारा करते हुए कहा। ......तेरा माधव .....मीरा ने हेरान होकर उस तरफ देखा जिस तरफ से माधव आ रहा था..माधव आज अपनी वर्दी में नहीं था आज उसने कैज़ुअल कपडे पहने थे, जींस और टी शर्ट और उसपर जैकेट। पेरो में बूट और सर पर एक टोपीा ...माधव काफ़ी अच्छा लग रहा था। जिसे देख मीरा की नज़र माधव पर ही अटक गई। मीरा माधव को देखने में इतनी खोई हुई थी कि माधव उसके पास कब आ गया उसको पता ही नहीं चला....माधव उसके चेहरे के करीब आया और धीमी आवाज में मीरा से बोला....हाय कितनी प्यारी लग रही हो....ये सुन मीरा हल्के से होश में आईें अपनी एक दोनो पलके झपकाई..माधव ने अपनी बात आगे बढ़ाई....मीरा बहुत प्यारी हो इसमें कोई शक नहीं लेकिन मैंने कितनी बार कहा है तुम्हें कि मेरी तरफ ऐसे मत देखा करो मुझे बहुत शर्म आती है और साथ ही हल्की-हल्की सी गुदगुदी भी होती है अंदर... ओह कैसे कहू इस फिलिंग को.......ये कह माधव मीरा को देखने लगा...उसकी बाते सुन मीरा ने शर्म से अपनी नजर झुका ली और उसके गाल शर्म से लाल हो गए ......मीरा को देख सुधा मुस्कुराई और छेडतेे हुए हुए उसको बोली... वाह वेसे तुम माधव सच ही कह रहे हैं तुम शरमाते हुए और भी बहुत प्यारी लगती हो जैसे टमाटर .देखो देखो .....इतना कहकर वो हंसने लगी .... माधव मुस्कुराया और अपने सर की टोपी उसने मीरा को पहन दी..
ये होता देख मीरा ने अपना सिर माधव की तरफ किया तो माधव ने मीरा से कहा .1 मिनट रुको तुम्हारे लिए मेरे पास कुछ है ....मीरा ने इशारे से पूछा......क्या ?...... ..माधव ने अपनी जींस की पॉकेट से एक छोटा सा पाउच निकाला....उसको देख सुधा ने पूछा....इसमें क्या है?....
माधव ने पाउच को खोला और उसमें से पायल निकाली...वो पायल बेहद खूबसूरत थी ...उसमें छोटे-छोटे मोती थे और छोटे-छोटे घुंघरू थे। ...जिस को मीरा ने अपने हाथों में ली और मुस्कुराते हुए पायल को देखने लगी...तब सुधा ने माधव से कहा...पायल!...माधव तुम मीरा के लिए गिफ़्ट मेे पागल लाए हो .तुम्हें और कुछ नहीं मिला देने के लिए .....
माधव ने सुधा की बात सुनी और निराश होकर बोला.... अरे अच्छा नहीं है क्या मुझे लगा पायल सही रहेगी मीरा के लिए ......मीरा ने माधव को देखा और इशारों में बोली....अच्छी है बहुत अच्छी...ये सुन माधव के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई ......
सुधा ने फिर से माधव से पूछा... लेकिन तुमने पायल ही क्यों ली?... माधव ने सुधा की बात का जवाब दिया और कहा....वो क्या है कि मीरा बोल नहीं पाती और ना ही वो कोई भी साउंड निकाल पाती हैं मतलब की जैसे वो गले से निकल पाएैं .इसलिये मैंने सोचा कि मुझे मीरा के लिए कोई ऐसी चीज लेनी चाहिए जिसकी आवाज हो जिसको सुन ये अंदाज लगाया जा सके कि आस पास मीरा है क्योंकि उस दिन जो कुछ हुआ जिसी हालत में मीरा थी हम इतने पास थे लेकिन हमें पता ही नहीं चला कि .और अगर हमें उस दिन जरा सी देर होती तो। .......इतना कहकर माधव चुप हो गया और कुछ देर बाद बोला....सुधा तुम मीरा की आवाज हो लेकिन तुम हर वक्त उसके साथ नहीं रह सकती.....इसलिए मैंने मीरा को ये पायल दी .आस पास रहने पर मीरा के होने का अंदाज़ा हमेशा रहेगा।और इसे मेरी याद भी आती रहेगी मीरा को। ..........
मीरा सुधा ने माधव की बात सुनी और एक दूसरे की तरफ देखने लगे और फिर माधव की तरफ देखने लगे तभी मीरा ने पायल को माधव की तरफ की फिर पैर आगे किया और इशारों में बोली....अच्छा तो फिर इसे तुम ही पहना दो ........मीरा का इशारा देख माधव मुस्कुराया और वो पायल लेकर मीरा के पेरो में पहनाने लगा ....के तभी माधव कोे छेडतेे हुए सुधा ने कहा...अरे तो फिर तुम्हें क्या सिर्फ पायल ही मिली तुम्हें और कुछ नहीं मिला जैसी चूड़ी। कंगन फिर कोई साउंड बॉक्स जिस में से ऐसी आवाज़ आती है ....या फिर भोंपू ......सुधा की बात सुन सभी एक दूसरे को देखकर हंसने लगे... ऐसे ही हंसते खेलतेें दिन बीतते गए....माधव और मीरा और करीब आते चले गये ......
वर्तमान दिन .........
माधव अपनी सोच से बाहर आया ...उसने अपने दोस्तों की तरफ देखा तो विशाल ने माधव से कहा ....तूने कहा वो तुझे से प्यार करती थी .अगर ऐसा था तुम्हारा इंतज़ार क्यू नहीं किया उसने क्यू किसी और से शादी कर ली. माधव मैंने देखा है जो लड़की जितनी भोली दिखती है उतनी होती नहीं है ..तू भी उसका पिछा छोड़ और आगे बढ़ और उसके साथ जो हो रहा है वो तो होना ही था उसने तुझे किसी और के लिए छोड़ा और उसको........... विशाल आगे बोलता उसे पहले सूरज ने उसके बीच में रोका और बोला...
बस भी करो विशाल किसी को इस हालत मेें देख कर भी थोड़ी दया दिखाओ ...सूरज को शांत करवाते हुए माधव बोला... अरे बस करो यार तुम दोनों लड़ना बंद करो। ये सभी बाते हम बाद में डिस्कस करेंगे।....अच्छा मुझे याद आया आज रात मुझे विनायक सर ने डिनर पर का इनवाइट किया है।मैं सोच रहा था कि मैं अकेला क्या करूंगा वहा तुम लोग मेरे साथ चलो .और तुम लोग सर से मिल भी लेना .......
माधव की बात पर विशाल मेे भी हामी भरते हुए कहा....हां ठीक है चलता है मैं मिल भी लूंगा और अपनी शादी का कार्ड भी दे दूंगा ....इस बात पर सभी ने हामी भरी और वहां से चलकर माधव के घर आ गए। वहा से वो लोग तैयार होकर विनायक सर के घर पहुंच गए...दिन ढल चुका था शाम के 7.30 बजे थे ....वो लोग गाड़ी से बाहर निकले और गेट की घंटी बजाइ....माधव सबसे आगे खड़ा था ..थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला तो सामने विनायक सर खड़े थे माधव को देखकर विनायक सर के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई .वही फिर उनकी नजर माधव के पीछे गई वहा सूरज सागर और विशाल को देखकर उनके चेहरे की मुस्कान और भी ज्यादा बड़ी हो गई....वो आगे बढ़े और सबका स्वागत करने लगे माधव और बाकी सब अंदर आये....उन्हें माधव छोड़ बाकी सबसे कहा....
अरे तुम लोग यहां कैसे भाई यहां का रास्ता कैसे याद आ गया सबको .उनकी बात का जवाब देते हुए विशाल ने मजाक में कहा ......जी सर अपने घर का रास्ता भूल गए तभी तो यहां की याद आ गई...ये सुन विनायक सर और बाकी सारे जोर से हंसने लगे....विनायक सर ने सभी को बैठने का इशारा करते हुए विशाल से कहा... .. तुम्हारी मजाक करने की आदत अभी भी नहीं गई...हा लेकिन पहले से काफी अलग लगने लगे हो .....
उनकी बात सुन सागर बोला.... क्यू सर अलग क्यू क्या हमारे एक्स्ट्रा हाथ पेर निकल आये हैं ....सागर की बात सुन सभी हंसने लगे...तो विनायक सर ने मुस्कुराते हुए कहा...अरे नहीं, मेरा मतलब है अच्छे दिखने लगे हो...फिर उनकी बात पर सूरज ने कहा...क्यू सर हम पहले अच्छे नहीं दिखते थे क्या?... .विनायक सर ने मुस्कुराते हुए कहा....अरे मेरा मतलब वो नहीं था मेरा मतलब था कि पहले तो अच्छे थे ही तुम लोग और भी ज्यादा अच्छे और जिम्मेदार हो गए हो मैंने काफी सुना है तुम लोग के बारे में बहुत अच्छा काम कर रहे हो ......अच्छा लगता है जब अपने स्टूडेन्ट अपने फिल्ड में अच्छा काम करते हैं ......विनायक सर की बात सुन विशाल ने कहा...
हा जी सर इसीलिए तो अपनी लाइफ एक और प्रमोशन के लिए आपको इनवाइट करने आया हूं ....विनायक सर कन्फ्यूज़ हुए और बोले...प्रमोशन..कैसा. प्रमोशन?.....
विशाल ने अपनी बात आगे कहीं ..... जी सर वो क्या है कि मेरी शादी होने वाली है बस उसी के इनविटेंशन लेकर मैं आया था ...फिर कार्ड देते हुए विशाल ने कहा...और आपको आना होगा सर परिवार के साथ आइएगा......विनायक सर ने कार्ड अपने हाथ में लिया और खुश होकर बोले...अरे बिल्कुल क्यों नहीं जरूर आएंगे ..
ये लोग बात कर रहे थे कि किचन से एक लेडीज़ बाहर आई जिसने एक साड़ी पहनी थी उसके ऊपर शोल ओढ़ रखा था .. बाल काफी हद तक सफेद थे वो अपने हाथ में कुछ खाने के लिए लेकर आई थी .और उसके साथ में एक लड़की जिसने सूट सलवार पहना था,बाल खुले .आंखे काली ,गुलाबी से होंठ...स्वेटर पहने अपने हाथो में चाय ट्रे लेकर आ रही थी। वो देखने में काफी सुंदर थी। उस लड़की नेी ट्रे को सबके बीच रखे टेबल पर रखा और सबसे पहले उसकी नजर माधव पर गई। जिसे देखा उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और हल्के से शरमाते हुए बोली....
आप सभी चाय लीजिये ना ....ये कहकर निशा थोड़ी दूर जाकर खड़ी हो गई और माधव को देखने लगी....माधव का ध्यान बाकी सब पर था। सभी ने चाय पीना शुरू किया ...तभी विनायक सर सबका परिचय करवाने लगे..उन्होनें सभी को अपनी पत्नी उषा और बेटी निशा से मिलाया .....सभी ने एक दूसरे को नमस्ते किया..तभी विशाल ने कहा....अरे इनसे तो हम पहले भी मिल चुके हैं ट्रेनिंग कैंप में आज सुबह .....
विनायक सर थोड़ा कन्फ्यूज हुए तभी निशा ने आगे आकर कहा.... हा पापा मैं इनसे पहले भी मिल चुकी हूं वो क्या है कि माधव जी को आज रात के लिए इनवाइट करने के लिए गए हैं। मैं जानता हूं पापा आपने ने इनको बोला है लेकिन कई बार यह काम में फंस जाते हैं और भूल जाते हैं।मुझे लगा इस बार भी कहीं ऐसा ना हो जाए इसलिए मैं वहा गई थी ......फिर मुस्कुराकर माधव की तरफ देखने लगी और फिर वापस सबकी तरफ देखते हुए बोली ......वो क्या है कि ऐसा पहले भी कई बार हो चूका हम इनका इंतजार ही करते रहते हैं और ये आते ही हैं नही .......
निशा की बात सुन सभी उसकी तरफ देखने लगे कमरे में अचानक एक शांति छा गई... बात को संभालते हुए माधव ने कहा.... हा वो काम में ही फंस जाता हूं.... तभी सूरज बोला... .सही कह रही है आप देखिये ना हमने भी तो कितनी बार बुलाया इसको पर ये है आ ही नहीं पता। इसलिए हमें आना पड़ा .....
तभी विशाल मजाकिया अंदाज में बोला.... हा देखो ना मुझे शादी करनी पड़ रही है इसको ताकि हम इसको बुला सके कुछ दिन के लिए अपने पास ......उसकी बात सुन सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गई ........मुस्कुराते हुए मीसेज उषा ने कहा...आप लोग बातें किजीये मुझे जरा काम है...ये कहकर वोें निशा को अपने साथ आने का इशारा किया ......कुछ देर यहीं सबने बात की डिनर किया...उसके बाद सभी लोन में जाकर एक बोम्फयार के आस-पास सभी बैठ गए....सभी बातें करने में लगे हुए उसके अलग माधव के मन में कुछ और ही बात चल रही थी...तभी उसके कान में निशा की आवाज आई, उसने उसकी तरफ मुड़कर देखा तो उसने माधव से कहा... मिस्टर माधव क्या हम अकेले में बात कर सकते हैं?....
माधव ने निशा से कहा...जी कहिए ना!...निशा ने बाकी सब की तरफ देखा और कहा...यहाँ नहीं हम चलते-चलते बात कर सकते हैं .....ये सुन माधव कन्फ्यूज हो गया और फिर बाकी सबकी तरफ देखने लगा....माधव की नजर विनायक सर पर गई वो उसको आंख ही आंख में रिक्वेस्ट करने लगे ....एक बार ही बात करके देखो .....माधव ने निशा की तरफ देखा और हिचकिचाते हुए बोला....अम्म ठीक है चलो ..माधव उठा और चलने लगा...निशा और माधव सबसे कुछ दूर चलने लगे....माधव ने निशा से कहा...तो बताइये आपको मुझसे क्या बात करनी थी .....
ये सुन निशा के चेहरे पर परेशानी नजर आने लगी... निशा सोच में पड़ गई कि वो क्या बात करे क्योंकि वो तो बस माधव के साथ टाइम स्पेंड करना चाहती थी इसलिए वो माधव को अपना साथ लेकर आई थी..लेकिन बात क्या करनी ये तो उसने सोचा ही नहीं था...उसको कुछ सोचता देख माधव ने कहा...बोलिए आपको क्या बात करनी थी ?.....निशा को कुछ समझ नहीं आ रहा था उसने फिर भी कहा......कैसे है आप मेरे मतलब की तबियत कैसी है आपकी?......निश का स्वाल सुनके माधव कन्फ्यूज होकर उसको देखने लगा और फिर बोला... ठीक है तबीयत भी ठीक है...निशा ने आगे कहा... हम्म आज सर्दी बहुत है ना.... उसके जवाबे माधव ने सिर्फ हम्म की आवाज निकाली ....निशा ने माधव को देखा और बोली... आज आप अच्छे लग रहे हैं आपको फॉर्मल कपड़ो ज्यादा दिखती नहीं। . आप इन कपड़ो में काफी अच्छे लग रहे हो....माधव ने उसके जवाब में कहा.... अच्छा ये तो कभी-कभी ऐसी ही पहनने के लिए ...वेसे तो मुझे अपनी यूनीफॉर्म ही ज्यादा अच्छी लगती है ......
फिर आगे निशा ने कहा... अच्छा वो आपको गुलाब के फुलो मिल गए थे मैंने जो आपको दिया था...माधव ने भी हा मेे सिर हिलाया और बोला... हा वो मुझे मिल गए थे ...
निशा ने आगे कहा....कैसे लगे वो आपको?...माधव ने भी हम्म किया और बोला.... हा अच्छे थे .....
निशा भी ऐसी ही सवाल जवाब किए जा रही थी...माधव ने कुछ देर तक तो उसकी बात सुनी लेकिन चलते-चलते उसके मन में कुछ और ही बाते चलने लगी...वो चलते-चलते अपनी ही सोच में डूब गया.....उसके दिमाग में सिर्फ मीरा ही चल रही थी...वो बात सोचते सोचते अपनी धुन में चला जा रहा था अचानक उसको एहसास हुआ कि वो अकेला ही चला जा रहा था वो अपनी सोच से बाहर आया और इधर उधर देखने लगा। उसने फिर पीछे मुड़कर देखा। उसके कुछ दूर पीछे निशा खड़ी होकर माधव को ही देख रही थी। निशा उसको गुस्से से घूरे जा रही थी. जिसे देख माधव इधर उधर देखते हुए नजरे नीचे कर लिया.. निशा चलकर माधव के पास आई और अपने हाथों को आपस में बांधे हुए खड़ी हो गई और माधव को देखने लगी. फिर कुछ देर की खामोशी के बाद निशा ने माधव से कहा...
कहां गुम है आप .मैं इतनी देर से आपसे बात कर रही हूं लेकिन आपका तो ध्यान ही कहीं और है .आप कुछ सोच रहे हैं क्या .क्या हुआ आप कुछ परेशान नजर आ रहे हैं...निशा की बात पर माधव ने कहा.... नहीं, परेशान नहीं, बस यहीं कुछ सोच रहा था।....अच्छा !.... निशा आगे कुछ कहती उसने पहले ही माधव का फोन बजाा ....जिसे सुन माधव ने निशा से माफ़ किजियेा केहकर कि उसने अपना फोन हाथ में लिया और देखा कि अस्पताल से डॉक्टर का कॉल आ रहा था...माधव ने कॉल रिसीव किया और बोला....हां डॉक्टर सब कुछ ठीक है?...
उधर से डॉक्टर की आवाज सुनकर माधव की आंखे हेरानी से बड़ी हो गई और वो हडबडाहट में बोला....ठीक है मैं आता हूं ......उसने कॉल कट किया कुछ सोचने लगा. उसके सामने निशा खड़ी थी माधव को ऐसा रिएक्ट करता देख उसने माधव से पूछा....क्या हुआ आप इतना परेशान नजर आ रहे हैं...निशा आगे कुछ बोलती माधव ने कहा....मुझे जाना होगा। मैं आपसे बाद में बात करूंगा। मुझे अभी भी जाना है बहुत ज़रूरी काम है....
निशा रोकने की कोशिश करती थी लेकिन माधव वहां से जा चूका था...माधव अपनी सोच में चला जा रहा था कि उसको सूरज ने रोका.... माधव इतनी जल्दी में कह जा रह हो?...
माधव सूरज की आवाज सुनकर रुका और बोला.... आ.. मुझे थोड़ा जरूरी काम है .. वही करना है .तुम लोग बाते करो बाद में आजाना मैें चलता हूं अभी ......तभी विनायक सर खड़े हुए और बोले.उनके साथ-साथ सभी खड़े हो गए.. ...ऐसा भी क्या जरूरी काम है माधव जो तुम्हें इतनी जल्दी है उसको पूरा करने की .....ये सुन माधव इधर उधर देखकर कुछ सोचने लगा....तभी विशाल बोला... अच्छा चलो कोई जरूरी काम है तो हम भी चलते हैे....सागर ने कहा...हां ये सही रहेगा हम भी चलते हैं तुम्हारे साथ।......
तभी विनायक सर की नजर अपनी बेटी पर गई वो काफी उदास थी और धीमे कदमों से उनकी तरफ चली आ रही थी...विनायक सर ने माधव को देखा और बोला.... क्या हुआ माधव निशा ने कुछ कहा क्या तुमसे ......ये बात सुन माधव ने अपना सिर ना में हिलाया और बोला.... अरे नहीं, ऐसीे कोई बात नहीं है। दअरसल वो क्या है कि अभी मेरे पास हॉस्पिटल से फोन आया था और सुबह मीले 2 मेरीजो में से एक होश आ गया है ......फिर सूरज की तरफ देखकर बोला... और वो काफी परेशान है अपनेा आपको संभाल नहीं पा रही है .....ये सुन सभी हेरान हो गए तब भी विनायक सर ने कहा.. अगर ऐसा है तो हम सभी चलते हैं साथ .......
हेलो मैं कुछ बताना चाहती हूं ये ...मुझे टाइप करने में प्रॉब्लम हो रही है कुछ शब्दों का मत्राओ फर्क आ जाता है और शब्द भी नहीं बन पा रहे हैं.. प्रिये पाठकों निवेदन है कि आप मेरी गलतियों को थोड़ा नजरंदाज करें। और अपना रिव्यू डाले....धन्यवाद