इच्छामृत्यु
इच्छामृत्यु का अर्थ अपनी इच्छा से मृत्यु होती है जिसे अंग्रेजी में यूथेनासिया ( euthanasia ) कहते हैं पर इसका अर्थ आत्महत्या हरगिज नहीं है . इच्छामृत्यु किसी व्यक्ति को किसी असाध्य रोग की असहनीय पीड़ा से उसकी इच्छानुसार जानबूझ कर मृत्यु प्रदान करने की प्रक्रिया है . कुछ देशों को छोड़ कर दुनिया भर में कहीं भी आमतौर पर इसकी इजाजत नहीं दी गयी है . इसे दया मृत्यु भी कहा जा सकता है .
इच्छामृत्यु अच्छी है या बुरी यह एक विवाद का विषय है . व्यावहारिक रूप में असाध्य रोग और असहनीय पीड़ा से ग्रस्त आदमी के लिए यह गरिमापूर्ण मृत्यु और वरदान हो सकता है . जब जीवन रोग और असहनीय पीड़ा से बहुत कष्टप्रद हो , ऐसे में अपने जीवन में निर्णय लेने का अधिकार व्यक्ति के लिए अच्छा ही है . दूसरी तरफ का तर्क है कि यह जीवन के अधिकार का हनन और प्रकृति के विरुद्ध है . इसका दुरूपयोग कर गरीब बूढ़ों और कमजोर लोगों पर मृत्यु का दबाव बनाया जा सकता है . धन आदि के चलते उपचार में कमी के चलते भी इसका दुरूपयोग हो सकता है . इसके अतिरिक्त डॉक्टर का मूल कर्तव्य जान बचाना है न कि मार डालना , इच्छामृत्यु इस सिद्धांत के विपरीत है .
इच्छामृत्यु के प्रकार -
1. सक्रिय इच्छामृत्यु (Active Euthanasia ) - सक्रिय इच्छामृत्यु तब होती है जब कोई डॉक्टर या अन्य अधिकार प्राप्त व्यक्ति किसी की जान को जानबूझ कर मृत्यु देने के लिए कोई क्रिया करता है , जैसे - विषैला घातक इंजेक्शन
2. निष्क्रिय इच्छामृत्यु (Passive Euthanasia ) - निष्क्रिय इच्छामृत्यु तब होती है जब कोई सहमति के बाद पेशेवर डॉक्टर रोगी को जीवित रखने के उपाय समाप्त कर देता है , जैसे - लाइफ सपोर्ट या वेंटिलेटर से हटा देना , उसके खाने पीने की नली बंद कर देना , जीवित रखने के लिए उपयुक्त सर्जरी न करे या ऐसी दवाएं बंद कर दे .
निष्क्रिय इच्छामृत्यु और सक्रिय इच्छामृत्यु , मरने देने और मार देना - इन दोनों के बीच एक बारीक़ नैतिक अंतर है - जानबूझ कर जहरीला इंजेक्शन दे कर मार देने की अपेक्षा उपचार रोक कर इच्छामृत्यु देना बेहतर माना जाता है या कहा जा सकता है . सक्रिय इच्छामृत्यु में व्यक्ति को मार दिया जाता है जबकि निष्क्रिय इच्छामृत्यु में उसे मरने दिया जाता है . कुछ लोगों का मत है कि सक्रिय इच्छामृत्यु अच्छा ही है क्योंकि यह व्यक्ति को तुरंत पीड़ा से मुक्ति देती है . दोनों ही हालत में व्यक्ति को मार दिया जाता है .
3 . स्वैच्छिक इच्छामृत्यु ( voluntary Euthanasia ) - यह तब होती है जब कोई सक्षम व्यक्ति अपनी स्पष्ट सहमति द्वारा अपने जीवन को समाप्त करने का निर्णय लेता है . यह सक्रिय और निष्क्रिय दोनों प्रकार से हो सकता है .
4 . गैर-स्वैच्छिक और अनैच्छिक इच्छामृत्यु (Non-voluntary/Involuntary Euthanasia) - गैर-स्वैच्छिक मृत्यु तब होती है जब व्यक्ति अपनी सहमति देने में सक्षम नहीं होता है , जैसे कोमा में हो या कोई बच्चा हो . यह भी सक्रिय और निष्क्रिय दोनों प्रकार से हो सकता है .
अनैच्छिक इच्छामृत्यु - यह तब होती है जब व्यक्ति की सहमति लिए बिना और उसकी इच्छा के विरुद्ध उसका जीवन समाप्त कर दिया जाता है . यह अनैतिक और गैर कानूनी है .
इच्छामृत्यु की कानूनी मान्यता - बहुत कम देशों में ही इच्छामृत्यु को कानूनी संरक्षण प्राप्त है . बेल्जियम की स्वैच्छिक इच्छामृत्यु का कानून बहुत उदार है . यहाँ चिकित्सक की सहायता प्राप्त कर कोई आत्महत्या कर सकता है . यह सिर्फ गंभीर पीड़ा ग्रस्त रोगियों के लिए ही नहीं है बल्कि मानसिक रूप के रोगी और बच्चे तक इसकी मांग कर सकते हैं . स्वैच्छिक इच्छामृत्यु बेल्जियम , नीदरलैंड , लक्जमबर्ग में लागू हैं . स्वैच्छिक निष्क्रिय इच्छामृत्यु अमेरिका में वैध है . कुछ देशों में सक्रिय और निष्क्रिय दोनों इच्छामृत्यु को सशर्त कानूनी संरक्षण प्राप्त है . अनैच्छिक इच्छामृत्यु , जो किसी व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध या बिना उसकी सहमति के हो ,वह अवैध है .
इच्छामृत्यु और भारत - हमारे देश के सर्वोच्च न्यायालय ने पहली बार 7 मार्च 2011 को अरुणा शानबाग के मामले में निष्क्रिय इच्छामृत्यु ( passive euthanasia ) के लिए सशर्त इजाजत दी थी . अरुणा मुंबई के अस्पताल में एक नर्स थी . 1973 में उसी अस्पताल के एक वार्ड बॉय द्वारा वह यौन कृत्य ( sexual assault ) और हिंसा की शिकार हुई थी . इसके चलते वह साढ़े तीन से ज्यादा दशकों तक कोमा में रही थी . बाद में 2018 में निष्क्रिय इच्छामृत्यु को कानूनी संरक्षण मिला और आगे भी 2023 में इसमें कुछ संशोधन कर इसे और सुलभ बनाया गया है . ऐसे में असाध्य रोग से पीड़ित व्यक्ति के लाइफ सपोर्ट उपकरण को हटाया जा सकता है . इसके लिए विस्तृत दिशा निर्देशों का पालन करना आवश्यक है . दूसरी तरफ सक्रिय इच्छामृत्यु ( जहरीले इंजेक्शन या किसी अन्य साधन से ) अभी भी गैर कानूनी है .