Jindgi ek Safar - 3 in Hindi Thriller by niranjan barot books and stories PDF | जिंदगी एक सफऱ - 3

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जिंदगी एक सफऱ - 3

जिंदगी एक सफऱ :3

ज़िंदगी एक सफ़र
अगले दिन शाम को अभिमन्यु और झंखना अहमदाबाद के एक शांत गार्डन में मिले। आसपास बच्चों का शोर था, लेकिन वे जैसे अपनी ही दुनिया में खो गए थे। कॉफी शॉप में थोड़ा संकोच था, लेकिन आज वह कम हो गया था। वे एक बेंच पर बैठे और बातें शुरू हुईं।
उनकी बातचीत फिर से कॉलेज के दिनों पर आकर रुक गई।
"याद है अभि, अर्चना और संजय... हमारे ग्रुप में थे? अर्चना हमेशा तुझे चिढ़ाती रहती थी," झंखना ने हंसते हुए कहा।
अभिमन्यु भी हंस पड़ा। "हां, और तूने मुझे बचाने के लिए कैसा प्लान बनाया था? कैंटीन में मेरे लिए एक एक्स्ट्रा वड़ा-पाव भी मंगवाती थी।"
झंखना ने शरमाते हुए कहा, "बस! अब तो यादों में ही जीना बाकी है।"
पूरी शाम उन्होंने अपने अतीत को फिर से जिया। कॉलेज की मस्ती, परीक्षा का डर, मासूम बातें और एक-दूसरे के दोस्तों के सर्कल की बातें। जब शब्द खत्म हो गए, तब वे बस एक-दूसरे की ओर देखते रहे। यह चुप्पी बहुत कुछ कह रही थी। जैसे वे बीते हुए समय को इस पल में समेट रहे हों। दोनों के चेहरों पर एक अनोखी शांति और खुशी थी।
जब रात होने लगी, तब उन्हें एहसास हुआ कि अब जाना होगा। अभिमन्यु ने धीरे से कहा, "झंखना, मुझे सचमुच बहुत अच्छा लगा तुझसे बात करके। इतने सालों बाद भी तू वही मासूम और खुशमिजाज है।"
झंखना ने गंभीरता से कहा, "अभि, मुझे भी बहुत खुशी हुई। लेकिन मुझे लगता है कि हमें अपने रिश्तों की मर्यादाएं समझनी होंगी। हम अपने परिवारों के साथ खुश हैं। हमारी दोस्ती मासूम है और उसे उसी तरह रहने दें।"
अभिमन्यु उसके मन की बात समझ गया। "हां, झंखना, तू सही कह रही है। मैं भी यही सोच रहा था। हम सिर्फ अच्छे दोस्त हैं, और यह दोस्ती बरकरार रहे, यह जरूरी है।"
दोनों ने एक-दूसरे की बात का सम्मान किया और एक मासूम दोस्त के तौर पर रिश्ते को आगे बढ़ाने का फैसला किया। फिर वे अलग हो गए।
इस मुलाकात के बाद, अभिमन्यु अपने काम में फिर से व्यस्त हो गया। 'सह्याद्री फाइनांस' को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए वह खुद को काम में झोंक देता है। कभी-कभी वे एक-दूसरे को फोन करके बात कर लेते, लेकिन अब उन बातों में एक गंभीरता थी, जो सिर्फ दोस्ती की मर्यादाओं में बंधकर रह गई थी...अब अभूमन्यु को कई बार ऐसा लगता था की जैसे जिंदगो की हर कमी पूरी हो गईं हो, वैसे भी अभिमन्यु ने जिंदगी मे जो भी चाहा वो पाया ही था, लेकिन ज़ब झंखना की शादी हो गईं तो उसे बहोत अफ़सोस रह गया था जैसे जिंदगी मे वो बहोत कुछ हार गया हो, फिर भी उसने समहल कर जिंदगी को एक नये सिरे से चालु किया था, उसमे भी ज़ब उसे राजश्री को पाकर वो जैसे झंखना को भुला तो कभी था ही नहीं लेकिन वो उसकी कमी को कम महसूस कर रहा था, ज़ब भी वो अकेला होता तो उसके दिमाग़ पर तो झंखना जैसे कब्जा ही कर लिया हो, लेकिन अब राजश्री के आने के बाद अभिमन्यु ने अपने आप को बिजनेस डेवलप करने मे लगा दिया था, और आज फिर 21साल बाद झंखना के अचानक वापिस मिल जाने से जाने अभिमन्यु की जिंदगी मे फिर से बहार आ गई हो, वो फिर से जिंदगी को फूल एन्जॉय करने लगा था, वहां झंखना भी शायद वो ही एहसास जी रही थी, और समय समजो की हवा मे उड़ता चल रहा था...

क्रमशः