Film Review Tehran in Hindi Film Reviews by S Sinha books and stories PDF | फिल्म रिव्यु - तेहरान

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फिल्म रिव्यु - तेहरान

 

                                                   फिल्म रिव्यु तेहरान      

 

इसी वर्ष अगस्त में एक हिंदी मूवी रिलीज हुई है ‘ तेहरान ‘  . फिल्म की कहानी रितेश शाह , आशीष वर्मा और बिंदनी करिया ने लिखी है  . इसका निर्माण दिनेश विजन , शोभना यादव और संदीप लेजेल ने किया है जबकि फिल्म का निर्देशन अरुण गोपालन ने किया है  . फिल्म की कहानी किसी वास्तविक घटना  पर आधारित नहीं है पर यह 2012 में  दिल्ली में इजरायली दूतावास के निकट  हुए बम ब्लास्ट की घटना से प्रेरित  है  . 


कहानी - कुछ वर्ष पूर्व राजधानी दिल्ली में स्थित इजरायली दूतावास के निकट एक बम ब्लास्ट हुआ था  . जाँच का जिम्मा  फिल्म के नायक राजीव कुमार ( जॉन अब्राहम )  , दिल्ली स्पेशल सेल के ए सी पी को दिया जाता है  . इस ब्लास्ट में इजरायली दूतावास में कार्यरत एक राजनयिक के परिवार को निशाना बनाने का संदेह था जिसमें एक बच्ची की मौत हो जाती है  . राजीव एक सनकी किस्म का अफसर है जो जिस काम को ठान लेता है उसे पूरा करने के लिए किसी हद तक जा सकता है  . उसकी मदद के लिए उसकी टीम में एस आई दिव्या राणा ( मानुषी छिल्लर ) और शैलजा ( नीरू बाजवा ) भी  होती हैं  . 


 इस घटना के पीछे ईरान का  हाथ होने का संदेह है  . राजीव इस बम ब्लास्ट की जांच के लिए ईरान की राजधानी तेहरान जाता  है   . भारत का इजराइल और ईरान दोनों के साथ राजनैतिक रिश्ता  बहुत जटिल  और संवेदनशील है  . राजीव को भारत के रणनीतिक और कूटनीतिक संबंधों की संवेदनशीलता को देखते हुए ईरान में जासूसी करनी थी  क्योंकि भारत का संबंध और निर्भरता दोनों देशों के साथ है  . दुर्भाग्यवश राजीव तेहरान में एक इंटरनेशनल षड्यंत्र का  शिकार बन जाता है  . इसके चलते उसे अपनी जान खतरे में डालनी पड़ती है और एक भारी  कीमत चुकानी पड़ती है . सच्चाई की तलाश में एक समय राजीव को इजराइल और भारत दोनों  का साथ नहीं मिलता है और वह  अकेला पड़ जाता  है  . राजीव  ईरानी ख़ुफ़िया एजेंट्स के निशाने पर आ जाता है . राजीव की यात्रा कई देशों में होती है . कूटनीति , निजी  और जासूसी कार्य के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करते हुए अपना कर्तव्य निभाने के बावजूद जब वह अकेला पड़ जाता है तब भी वह हिम्मत नहीं हारता है  . इस तरह की जासूसी का काम ही ऐसा होता है - खतरों से भरा , टीवी पेपर आदि मीडिया में सुर्ख़ियों में नहीं मिलतीं हैं , अगर मिशन  में असफल  हुए तब देश भी साथ छोड़ सकता  है और जान से हाथ धोना पड़ सकता है  . अंततः विषम परिस्थितियों के बावजूद अपनी सूझबूझ से राजीव दिल्ली बम ब्लास्ट का पर्दाफाश  करने में सफल होता है  . 


तेहरान फिल्म की कहानी एक संवेदनशील , भू-राजनीतिक गंभीर विषय पर है  . कथा लेखक ने इसे अच्छी तरह पेश किया है जिससे दर्शक अंत तक एंगेज्ड रहते हैं  . बम ब्लास्ट की घटना को एक रोमांचक जासूसी थ्रिलर बना कर पेश किया गया है  .  फिल्म की शूटिंग भारत के अलावा स्कॉटलैंड और अबू धाबी में की गयी है  .   अरुण गोपालन का निर्देशन भी कुल मिलाकर अच्छा है हालांकि कहीं कहीं क्लाईमैक्स में ढीलापन दिखता है  . फिल्म में  वास्तविकता और इंटरनेशनल सेटिंग दिखलाने के लिए तेहरान के कुछ डायलॉग अंग्रेजी , हेब्रू और फ़ारसी में भी हैं  . 


अभिनय में जॉन अब्राहम अपनी जटिल भूमिका निभाने में कुल मिलाकर सफल रहे हैं  .  वे  एक पोर्ट पर एक्शन सीन में दिखते  हैं  . एक्शन के साथ साथ उनके चेहरे पर शांति और इमोशन भी देखने को मिलता है  .  राजीव की पत्नी की छोटी  सी भूमिका में वंदना ( मधुरिमा तुली ) की  भावुकता और आम लोगों का समर्थन करने वाला अभिनय अच्छा रहा है  . मानुषी  छिल्लर का अभिनय भी बिना लंबे लंबे डायलॉग बोले दमदार रहा है  . नीरू बाजवा का किरदार राजनीतिक पृष्ठभूमि में अच्छा रहा है  . फिल्म में कुछ विदेशी कलाकारों का भी योगदान रहा है  . फिल्म का छायांकन अच्छा रहा है  . छायाकार  बिना ईरान गए फिल्म में वास्तविक दृश्य दिखलाने में सफल रहे हैं  . 


' तेहरान ' फिल्म दिल को छू सकता है जब आप देखेंगे कि देश का जासूस किस तरह का जटिल और जोखिम भरा काम करता है  .  इस फिल्म को  देश विदेश में अच्छा रिस्पांस मिल रहा है  . तेहरान  मूवी को  OTT  प्लेटफार्म पर ZEE 5 पर देखा जा सकता है  .  कुल मिलाकर यह मूवी देखने लायक है  .