पुलिस प्रमुख द्वारा कर्मबीर सिंह के पत्र को बहुत गंभीरता से सज्ञान मे लेते हुए त्वरित कार्यवाही शुरू कि गई!
पुलिस द्वारा तथ्यों का विश्लेषण एवं वास्तविकताओ पर गहन मंत्रणा किया गया जिसके बाद उनकी समझ मे अपराध का उद्देश्य एवं लाभ दोनों स्पष्ट हो चुके थे जो चीख चीख कर शक्ति एवं शार्दुल कि तरफ ईशारा कर रहे थे!
पुलिस के पूरे मोहकमे के लिए सर्वप्रिया का अपहरण चिंता का विषय एवं बदनामी का दाग़ बन चुका था!
पुलिस ने सर्वप्रिया के चाचा कर्मबीर सिंह से खुफिया तरीके से सम्पर्क किया और सच्चाई के करीब पहुंचने कि जी तोड़ कोशिश कर रही थी!
पुलिस कि गतिविधियों से बेखबर शक्ति एवं शार्दुल तथा मिल्की नित नए नए विचारों पर कार्य करने कि योजना बनाते किन्तु कोई न कोई व्यवधान आड़े आ जाता!
पुलिस और कर्मबीर सिंह कि गुप्त मुलाक़ात कर्मबीर सिंह के दोनों बेटों शक्ति और शार्दुल एवं पत्नी श्रद्धा को पता चली तो उनके पैरो तले जमीन खिसग गई ज़ब उन्हें इस सच्चाई का पता लगा कि कर्मबीर सिंह अर्थात उनके पिता के ही पत्र द्वारा सूचित किए जाने पर पुलिस उनके विषय मे जाँच कर रही है उनकी बची खुची हिम्मत जबाव दे गई!
दोनों बेटों एवं माँ कर्मबीर सिंह से बात करने के लिए उनके पास गए कर्मबीर सिंह धर्मभीरू एवं भगवान से डरने वाले सच्चे खुद्दार इंसान थे उन्हें पत्नी और बच्चो से स्वंय के लिए कोई खतरा नहीं महशुस हो रहा था क्योंकि उन्हें मालूम था कि सम्पप्ति एवं घर का आर्थिक नियंत्रण उनके पास था जिसके कारण पत्नी बच्चे चाह कर भी उनका कोई नुकसान नहीं कर सकते हस्तिनापुर का निवासी होने के बावजूद शायद उन्हें कंस एवं औरंगजेब का अंदाजा नहीं था साथ ही साथ कलयुगी संतान एवं मदोदरी जैसी पत्नी के इर्द गिर्द होने का भी एहसास नहीं था!
एका एक पत्नी और दोनों बच्चो को एक साथ देख कर कर्मबीर हक्का बक्का रह गए उन्होंने पत्नी श्रद्धा से पूछा क़्या बात है भाग्यवान?पत्नी श्रद्धा ने जबाब मे सवाल ही कर दिया पूछा कैसे बाप हो? अपने मासूम निर्दोष बेटों के ही विरुद्ध पुलिस को सूचना दे दिया कर्मबीर सिंह बोले भग्यावन मैं तुम्हारा पति एवं इनका पिता हूँ मैं कभी भी तुम लोंगो का अहित कैसे सोच सकता हूँ?तुम लोग ही मेरे भाई बिजयेंन्द्र एवं उनकी बेटी कि जिंदगी नर्क बना रखी है तुम अपने बेटों से कहती क्यों नहीं हो भगवान का दिया बहुत कुछ है विजयेंन्द्र अपनी दौलत खेती बारी जिसको चाहे दे तुम्हे क़्या करना?तुम लोग नौकरी तो पा नहीं सकते लेकिन व्यपार का हुनर है तुम लोगो मे जिससे तुम लोग कोई मुकाम हासिल कर सकते हो साथ ही साथ इतनी अधिक खेती बारी है सो अलग माँ श्रद्धा और दोनों बेटों शक्ति और शार्दुल के मन मे कुछ देर के लिए पिता कि सच्चाई का प्रभाव पड़ा लेकिन पल भर मे ही अपराध पुलिस एवं सजा का भय उनके सामने क्रूरता का नंगा नाच करता प्रतीत हो रहा था!
माँ एवं दोनों बेटों ने तुरन्त इशारो ही इशारो मे फैसला किया कि कर्मबीर सिंह को कही कैद कर दिया जाय जहाँ पुलिस कि परछाई भी न पहुंच सके और तीनो ने मिलकर कर्मबीर सिंह का मुँह बंद कर हाथ पैर बाँध दिया और रात होने का इंतज़ार करने लगे शाम फिर रात होते ही शक्ति और शार्दुल ने बाप कर्मबीर को जीप के पीछे डाला और चल दिया दिल्ली मेरठ रोड लगभग दिल्ली मेरठ के मध्य ही शार्दुल के मित्र डॉ मंजीत का नर्सिंग होम था शार्दुल एवं शक्ति ने मंजीत से बात कि और पिता कर्मवीर को किसी ऐसी जगह भेजनें एवं रखने कि बात कि जहाँ पुलिस का पहुंचना सम्भव ही न हो!
डॉ मंजीत था तो डॉक्टर जैसे मानवीय सेवा के व्यवसाय मे लेकिन उसका मुख्य उद्देश्य सिर्फ पैसा ही था जो शार्दुल एवं शक्ति दे ही रहे थे!
डॉ मंजीत ने शार्दुल एवं शक्ति को आश्वास्त करके वापस भेज दिया और उनके लौटने के बाद अपने मित्र डॉ जुगल तनेजा आगरा मानसिक अस्पताल सम्पर्क किया और वास्तविकता को बताते हुए कर्मबीर को मानसिक अस्पताल मे रखने कि बात कि डॉ जुगल तनेजा भी मंजीत कि ही नियत सोच का इंसान था पैसे के लिए वह कुछ भी कर सकता था उसने अपने मित्र मंजीत से तुरंत कुछ शर्तो के साथ कर्मबीर को आगरा भेजनें को कहा मंजीत ने एम्बुलेंस से कर्मबीर को आगरा के लिए निर्देशित करते हुए भेज दिया!
ज़ब भी कर्मबीर को होश आता बेहोशी का इंजेक्शन लगा दिया जाता आगरा पहुंचते पहुंचते कर्मबीर लगभग मरणासन्न हो चुका था खाली पेट और सोने कि दवा इंजेक्शन द्वारा उसे बहुत कमजोर दो ही दिनों मे कर चुकी थी ज़ब कर्मबीर को होश आया तब डॉ जुगल तनेजा ने उसके हाथ पाँव खोल दिया मुँह भी खोल दिया मुँह खुलते ही कांपती आवाज मे कर्मबीर बोला शार्दुल शक्ति कहा है? मेरी पत्नी श्रद्धा कहा है? डॉ जुगल तनेजा ने कर्मबीर को बताया कि उनके बेटे और पत्नी ही उन्हें यहाँ इलाज के लिए छोड़ गए है डॉ जुगल तनेजा और कर्मबीर मे बात हो रही थी कि बीच बीच मे पागलो द्वारा अपने अपने वार्डो मे अनाप शनाप हरकतों से हो हल्ला होता कर्मबीर ने डॉ जुगल तनेजा से पूछा डॉ साहब यह कैसा अस्पताल है?चीख पुकार गली गलौज मार पिट आदि आदि हरकते हो रही है आश्चर्य तो इस बात का है कि आप पर कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा है!
डॉ जुगल तनेजा ने बहुत जोर से हँसते हुए बोला कर्मबीर तुम्हे आश्चर्य तब होगा ज़ब तुम्हे यह मालूम होगा कि तुम्हारे अपने बेटे शार्दुल एवं शक्ति ही तुम्हे पागल न होते हुए पागलो के अस्पताल छोड़ गए है और आश्चर्य तब होगा कर्मबीर जी ज़ब आपको इलेक्ट्रिक शॉक देकर पगल बना दिया जायेगा अब तो जैसे कर्मबीर के पाँव के निचे से जमीन ही खिसक गई हो कर्मबीर कि आँखों के सामने अंधेरा छा गया लेकिन उनके पास कोई विकल्प भी नहीं था डॉ जुगल तनेजा के आदेश पर पागल खाने के स्टॉफ आए और कर्मबीर को पकड़ कर लें जाने लगे तभी कर्मबीर ने डॉ तनेजा से बड़े शांत भाव से कहा डॉ साहब जिसके खुद के बीबी बच्चे उसके दुश्मन बन गए हो उसके जीवन का कोई मतलब नहीं है अर्थ हीन है अतः आप मुझे जहर का इंजेक्शन दे जिससे कि मुझे जीवित प्रताड़ना से तो मुक्ति मील जाए!
डॉ तनेजा बोला नहीं कर्मबीर मुझे तुम्हे पागल बनाकर ज़िंदा रखने के लिए पैसे मिले है और मिलते रहेंगे तुम्हे मैं मार नहीं सकता कर्मबीर सिर झुकाये चुप चाप पगलो के अस्पताल के कर्मचारियो के साथ ठगा लुटा हुआ चला गया और हालात से समझौता कर लिया अब कर्मबीर कुछ नहीं बोलता जो मिलता खा लेता डॉ जुगल तनेजा ज़ब मर्जी उसे बिजली का शॉक देते रहते कर्मबीर भगवान को मन ही मन भजता!
पुलिस कर्मबीर से सम्पर्क करने कि कोशिश कर रही थी जिससे कि सर्वप्रिया अपहरण मामले मे और कुछ सुराग जानकारी मील सके लेकिन कर्मबीर का कोई सुराग नहीं मील रहा था पुलिस को कभी कभी शक होता और इस दृष्टि से भी जाँच कर रही थी कि कही शार्दुल शक्ति एवं माँ श्रद्धा ने मिलकर कर्मबीर को ठिकाने ना लगा दिया हो
पुलिस के पास सिर्फ कर्मबीर सिंह का पत्र था जिसमे शक्ति और शार्दुल के सर्वप्रिय अपहरण ने शामिल होने का संदेह किया गया था संदेह विश्वास मे बदलता तब प्रतीत होने लगा ज़ब कर्मबीर सिंह के भी लापता होने कि सूचना मिली!
इधर सर्वप्रिया के भारत से अपहरण करने वाले शुभान और अच्छन ने सर्वप्रिया को एकरामूल और जाहिर को सौंप दिया था एकरामूल एवं जहीर अंतराष्ट्रीय स्तर पर ऐसे ही अपराधों को अंजाम देते और मोटी रकम लेते उनके देश का कोई पता नहीं था अनेको देशों के बीजा पासपोर्ट उनके पास असली नकली रूप मे मौजूद रहते शुभान एवं अच्छन द्वारा सर्वप्रिया को उनको सौपने के बाद जितना पैसा चाहते मांगते और उन्हें पैसे किसी न किसी तरह मील जाता!
शुभान एवं अच्छन के माध्यम से या हवाला से या अन्यआपराधिक श्रोतो से यह पैसा उन्हें सर्वप्रिया को जीवित सांस धड़कन चलते रहने कि स्थिति मे रखने के लिए मिलते एकराम और जहिर सर्वप्रिया को मानसिक प्रताड़ना देते और खाने के नाम पर इतना ही देते कि वह जीवीत रह सके!
सर्वप्रिया क़े साथ एकराम और जहिर को दो वर्ष हो चुके थे सर्वप्रिया को लेकर इधर उधर भागते भागते थक गए थे!
एकराम जहिर के भगाम भाग के साथ सर्वप्रिया लीबीया पहुंच गई लीबीया मे निर्जन स्थान पर तीनो रुके जहाँ तीनो के अलवा कोई आने जाने वाला नहीं था खाना देने कोई नौजवान आता जिसकी भाषा सर्वप्रिया नहीं समझ पा रही थी लेकिन एकराम एवं जहिर उसकी भाषा कि समझ रखते थे दैनिक क्रिया स्नान आदि के लिए बहुत पुराना खण्डहर सा मकान था जहाँ पानी मील जाता था दो दिन रुकने के बाद वहाँ से ज्यो चलने का विचार एकराम और जहिर ने बनाया लीबीया छोड़ने के लिए तैयार हुए तभी अचानक जहिर जमीन पर गिर पड़ा और लगा कि उसकी सांसे रुकने वाली ही है एकराम को उस निर्जन स्थान मे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे?
कभी वह आशा भरी निगाहो से सर्वप्रिया को देखता किंतु कुछ कहने कि हिम्मत नहीं जूटा पा रहा था क्योंकि उसे मालूम था कि सर्वप्रिया जानकर डॉक्टर है लेकिन सर्वप्रिया को एकराम एवं जहिर ने इतना प्रताड़ित किया था कि उनका जमीर सर्वप्रिया से कुछ कहने कि इज़ाज़त नहीं दे रहा था सर्वप्रिया जहिर कि बैचेनी और लम्हा लम्हा दूर हो रही सिमटती जहिर कि जिंदगी को देख रही थी कुछ देर तक वह अपनी मानवीय संवेदनाओं पर नियंत्रण रख सकी लेकिन उसकी आत्मा का डॉक्टर उसे धिक्कार रहा था जैसे उसकी खुद कि आत्मा उससे कह रही हो -, सर्वप्रिया तुम इंसान हो इंसान मे भी जिंदगी बचाने वाली डॉक्टर हो जहिर और एकराम जीते जागते कलयुगी दानव है और तुम्हे इन्होने बहुत नियमित दी है और देते है लेकिन तुम डॉक्टर हो तुम्हारे लिए बीमार प्रत्येक इंसान एक शरीर है जिससे तुम्हारा कोई दूर दूर तक कोई रिश्ता हो ही नहीं सकता तुम्हारा काम है जिंदगी बचाना तुम अपने दायित्व का निर्वहन करो सर्वप्रिया ऐसे उठी जैसे कोई शेरनी हो जैसे उसे कुछ हुआ ही न हो कमजोर और कांति हीन सर्वप्रिया तेजस्वी डॉक्टर कि तरह जहिर को बचाने कि हर सम्भव कोशिश कर रही थी!
लगभग मृत प्राय जाहिर को अपनी प्रइमारी उपचार करने के बाद जहिर कि सांसे लौट आई आवश्यकता थी उसके गहन चिकित्सा कि जो सम्भव नहीं था फिर भी खंडहर के एक हिस्से के कुछ साफ कमरे मे जाहिर को एकराम सर्वप्रिया के निर्देश पर लें गया जहाँ तापमान बाहर कि अपेक्षा ठंठा था!
सर्वप्रिया दवाएं एकराम कि दोनों हथेलियों मे लिखती हुई बोली ऐ दवाये जितनी जल्दी सम्भव हो जहिर को दी जानी चाहिए एकराम भागता भगता लीबीया मे जानने वाले मुस्तफ़ा मस्तान के पास गया मुस्तफ़ा मस्तान बिना किसी सवाल जबाब के जाहिर को डॉक्टर महताब राशिद के पास लें गया और अपनी हथेलियों पर लिखें दवाओं के बंदोबस्त के लिए अनुरोध किया!
डॉ महताब राशिद के क्लिनिक मे डॉ ओम वैश्य पहले से बैठे थे जो लीबीया किसी मेडिकल कॉन्फ्रेंस मे गए थे और अपने मित्र डॉक्टर महताब राशिद से फुर्सत मे मिलने गए थे ज़ब उन्होंने मुस्तफ़ा महताब एवं एकराम को देखा तो उन्होंने साधरण रूप साधरण नियमित चिकित्सक एवं मरीज की मुलाकात बात के रूप मे लिया लेकिन एकराम ज़ब अपने दोनों हथेलियों पर लिखें दवाओं के प्रीस्क्रिप्शन को डॉ महताब राशिद को दिखा रहा था तभी डॉ ओम वैश्य का ध्यान एकराम के हथेलियों पर लिखे प्रीसक्रिप्शन पर पड़ा उनका माथा ठनका वह आश्चर्य चकित एवं स्तब्ध रह गए क्योंकि उन्हें बहुत अच्छी तरह मालूम था कि जिस तरह से एकराम कि दोनों हथेलियों पर प्रीस्क्रिप्शन लिखा हुआ है उस तरह सम्पूर्ण भारत के मेडिकल साइन्स के छोटे बड़े डॉक्टर्स विशेषज्ञओं मे सिर्फ सर्वप्रिया ही लिखती है अनेको बार डॉ ओम वैश्य स्वंय ने डॉ सर्वप्रिया के प्रीस्क्रिप्शन के अलग अंदाज मे लिखने को लेकर डिस्कस हुआ था!
मौके कि नज़कत को देखते भाँपते हुए डॉ ओम वैश्य ने कुछ कहना उचित नहीं समझा और डॉ महताब राशिद को जल्दी से एकराम को दवाए देकर मरीज कि जान बचाने की नसीहत देते उठे और बोले डॉ साहब मैं चलता हूँ कल सुबह इंडिया के लिए मेरी फ्लाईट है डॉ महताब राशिद ने डॉ ओम वैश्य को आदर सम्मान के साथ विदा किया!
डॉ महताब राशिद किसी भी फितूर से अंजान एकराम को उसके हथेली पर लिखी दवाए दे दी एकराम ने दवाओं की क़ीमत अदा किया और मुस्तफ़ा मस्तान के साथ चल पड़ा मुस्तफा मस्तान को उसके घर छोड़ते हुए एकराम बिराने खण्डहर पहुंचा आनन फानन डॉ सर्वप्रिया ने जहिर को दवाए देना शुरू किया!
डॉ ओम वैश्य सुबह लगभग चार बजे इंडिया के लिए हवाई जहाज पकड़ा और लीबीया से इंडिया के लिए उड़ान भरी इंडिया पहुंच कर डॉ ओम वैश्य किसी तरह से सफर की थकान मिटाने के बाद अखिल भारतीय आयुर्वेज्ञान संस्थान के निदेशक मुक्ततेश चंद गौड़ से मिलकर लीबीया की घटना बताई डॉ मुक्ततेश चंद गौड़ तुरंत डॉ ओम वैश्य को साथ लेकर पुलिस के सर्वोच्च अधिकारियो से मिले और उन्होंने डॉ ओम वैश्य के बताए सुराग को विश्वसनीय बताते हुए पुलिस को लीबीया मे डॉ सर्वप्रिया की लोकेशन को प्रशासनिक लॉक करने लिए लीबीया गवर्नमेंट से बात करने का अनुरोध किया साथ ही साथ डॉ सर्वप्रिया की वास्तविक लोकेशन के लिए डॉ महताब राशिद से मनवीय दृश्टिकोण से मदद लेने का सुझाव दिया!
डॉ ओम वैश्य की सूचना पर पूरा प्रशासन सरकारी तंत्र तेजी से सक्रिय हो गया और लीबीया सरकार की सहायता से डॉ सर्वप्रिया की एकजेक्ट लोकेशन की जानकारी हाशिल की और एकराम, जहिर तो बीमार ही था सर्वप्रिया को प्रशासनिक लॉक मे रखते हुए निगरानी तेज कर दिया समस्या यह थी की लीबीया से भारत की प्रत्यारोपण सन्धि नहीं है अतः कानूनी अड़चन थी भारतीय अधिकारी लीबीया प्रशासन से सिर्फ इतना ही चाहते थे की लीबीया प्रशासन जहिर के स्वस्थ्य होते ही इतना शक्त हो जाए की एकराम जहिर सर्वप्रिया को लेकर कही और जाने के विषय मे विवश हो जाए!
लीबीया सरकार ने भारत सरकार से सहयोग करते हुए जहिर के स्वस्थ होने तक उन्हें जो भी जरूरत होती आसानी से उपलब्ध किसी न किसी माध्यम से उपलब्ध करा देती लगभग दो सप्ताह बाद ज़ब जहिर विल्कुल स्वस्थ हो गया तब लीबीया प्रशासन ने शक्त रुख अपनाना शुरू किया साथ साथ भारत के अधिकारी भी एकराम और जहिर सर्वप्रिया पर कड़ी निगरानी कर रहे थे!
प्रशासनिक शक्ति से एकराम जहिर और सर्वप्रिया को लेकर वेस्टइंडीज जाने का विचार बनाने लगे और गुयना जाने का फैसला कर लिया!
लीबीया सरकार के माध्यम से लीबीया गए भारतीय अधिकारियो को यह महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई गई भारतीय अधिकारियो ने उसी उड़ान से गुयना जाने का फैसला कर लिया और लीबीया से गुयना की उड़ान के पायलट एवं कैप्टन को भरतीय मिशन की जानकारी दे दी थी!
लीबीया एयरलान्स का विमान उड़ान भरा जिसमे एकराम, जहिर एवं सर्वप्रिया के साथ साथ भारतीय टीम के अधिकारी तपोश शेर गिल, मकरंद ठाकुर, मेहनाज़ हुसैन बैठे विमान ज्यो ही उड़ान भरता नीले गगन की गहराई मे पहुंचा निर्धारित योजना के अनुसार तपोश शेर गिल, मकरद ठाकुर एवं मेहनाज हुसैन ने क्रमशः एकराम, जहिर, एवं सर्वप्रिया को अंडर कवर लें लिया
एकराम, जहिर के हल्के प्रतिरोध के जबाब मे फ्लाइट टीम के कैप्टन ने ही स्पष्ट कर दिया बात एकराम और जहिर के समझ मे आ गई और उन्होंने कोई हरकत करना मुनासिब नहीं समझा!
प्रत्यारोपण जैसी कोई बाध्यता समाप्त हो चुकी थी क्योंकि भरतीय दल ने एकराम, जहिर, और सर्वप्रिया को आकाश मे ऐसी जगह अंडर कवर किया था जहाँ ना तो किसी देश की वायु सीमा थी ना ही प्रत्यारोपण जैसी सन्धि की तो कोई आवश्यकता ही नहीं थी!
लीबीया एयर लाइन्स का विमान गुईना ज्यो उतरा गुईना प्रशासन से भारतीय प्रशासन से हुई पहले बात चित के आधार एवं आपसी समझ के अनुसार गुईना प्रशासन ने बिना बिलम्ब भारतीय दल को इंडिया के लिए उपलब्ध फ्लाइट उपलब्ध करा दिया!
तपोश शेर गिल, मकरंद ठाकुर, एवं मेहनाज हुसैन एकराम, जाहिर और सर्वप्रिया को साथ लेकर इंडिया रवाना हुए इस बात की जानकारी भारतीय मिडिया के द्वारा भरतीय जन जन तक एवं विशेष कर डॉक्टर्स तक पहुंच चुकी थी!
दो वर्षो से अधिक समय के बाद डॉ सर्वप्रिया शकुसल लौटी
साथ ही साथ आपराधिक शाजिस का पर्दा फास हो चुका था एकराम और जहिर को न्यायिक हिरासत मे लेकर पूछ ताछ जारी थी उन्ही के शिनाक्त पर मिल्की,शक्ति एवं शार्दुल को हिरासत मे लिया गया जाँच प्रक्रिया जारी थी बाद मे अपने पवित्र मानव सेवा व्यवसाय को कलंकित करने क़े आरोप मे डॉ मंजीत एवं जुगल जुनेजा को हिरासत मे लिया गया सर्वप्रिया के स्वास्थ्य कि जाँच के उपरांत उसे कुछ दिनों के लिए चिकित्सिय देख रेख मे रखा गया आखिर वह शुभ दिन आ ही गया कार्तिक मास शुक्ल पक्ष का द्वितीया पल्लवी विजयेंन्द्र अखिल भरतीय आयुर्वेज्ञान संस्थान पर बेटी सर्वप्रिया कि मुस्कान देखने के लिए खडे थे अखिल भरतीय चिकित्सा परिषद एवं बिभिन्न डॉक्टर्स संगठन के साथ साथ भरतीय चिकित्सा परिषद के गणमान्य सर्वप्रिया के स्वागत के लिए खडे थे सभी एक स्वर से सर्वप्रिया जैसी डॉक्टर् पर अभिमान से फुले नहीं समा रहे थे सभी एक स्वर से यही कहते नहीं थक रहे थे की सर्वप्रिया स्वयं जल्लादो के द्वारा प्रताड़ित होने एवं मृत्यु के भयानक भयाक्रांत वातावरण मे दानवीय प्रवृति के जहिर की जान बचा कर चिकित्सा एवं चिकित्सक को नई ऊँचाई देते हुए पूरे मेडिकल प्रोफ़ेसन को गौरवान्वित किया है सभी डॉक्टर्स सर्वप्रिया की प्रशंसा करते नहीं थकते वास्तव मे एक डॉक्टर् के रूप मे सर्वप्रिया ने जो किया था वह सामान्य व्यक्ति की सोच समझ से बहुत आगे ऊपर चिकित्सक भगवान का रूप होता है को प्रासंगिक प्रमाणित किया जो युग मानवता के लिए गर्व प्रेरणा का विषय है!
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश!!