हर कहानी में एक हीरो होता है, लेकिन इस कहानी में दो हीरो हैं। और ये कहना बेहद मुश्किल है कि असली हीरो कौन है। शायद आप इस कहानी को सुनने के बाद बता पाएँ कि असली हीरो कौन है।
अमन और अमर दो जुड़वाँ भाई हैं। दोनों भाई मुसीबत में एक-दूसरे का बखूबी साथ निभाते हैं, और जब बात कॉम्पिटिशन की आती है तो एक-दूसरे को हराने के लिए जी-जान लगा देते हैं।
दोनों का बाहरी रूप बिल्कुल एक जैसा है, लेकिन स्वभाव में कुछ अंतर है। एक तरफ अमन है — जो जिद्दी और अड़ियल है, अक़्ल कम, ताकत का ज़्यादा इस्तेमाल करता है। तो दूसरी तरफ अमर है — जो शांत और संयमी है, सही वक़्त का इंतज़ार करता है। अमन गुस्सैल है, तो अमर आत्मविश्वास से भरा हुआ है। दोनों मिरर ट्विन्स हैं — यानी एक राइट हैंडेड है और दूसरा लेफ्ट हैंडेड। बाकी दोनों की आदतें एक जैसी हैं। दोनों की पहचान बस चेहरे के हाव-भाव और लेफ्ट-राइट हैंड से ही की जा सकती है।
एक दिन एक स्पेसशिप राजस्थान के रेगिस्तान में उतरती है और उसमें से दो लोग बाहर निकलते हैं।
सारा: ये कौन-सी जगह है, जॉन?
जॉन: हम इस वक्त पृथ्वी पर हैं। हमें उसे जल्दी से ढूंढना होगा सारा, नहीं तो डेविल कभी भी यहां आ सकता है।
सारा (सोच में): लेकिन इस स्टोन को कौन अपनाएगा, जॉन? और क्यों कोई हमारी मदद करेगा?
जॉन (उम्मीद से): भविष्यवाणी के मुताबिक, कोई ना कोई इस स्टोन का मालिक जरूर बनेगा।
सारा और जॉन चलते-चलते एक महफूज़ जगह पर रुकते हैं। रात का वक्त था और दोनों आग जलाकर बैठ जाते हैं। सारा कुछ सोच में डूबी थी।
जॉन: क्या सोच रही हो, सारा?
सारा: कुछ नहीं, बस ये सोच रही थी कि कौन होगा जो इस स्टोन का मालिक बनेगा... और क्या सच में इस स्टोन को पाने के बाद वो शख्स अनोखी शक्तियाँ पाएगा?
जॉन: इसकी शक्तियाँ डेविल से भी ज्यादा अनोखी होंगी — बस ये अच्छे हाथों में जाए।
सारा (गुस्से में): हमने अपनों को खोया है, और डेविल को इसका हिसाब चुकता करना ही होगा।
इन दोनोसे कही दूर,
डेविल: न जाने और कितनों की जान लेनी होगी जॉन और सारा की वजह से।
(कुछ डेडबॉडी उसके पीछे पड़ी हैं और वो खून से भरे अपने हाथ एक कपड़े से साफ कर रहा है।
शागिर्द: क्या आपको यकीन है कि जॉन और सारा यहीं आए हैं? और क्या यहीं उस स्टोन का मालिक था?
डेविल: मुझे यकीन नहीं, पूरा विश्वास है कि वो दोनों यहीं कहीं हैं। और ऐसे कुछ लोग और भी हैं जो इस स्टोन को अपना सकते हैं। बस हमें इस काले पत्थर का इशारा समझना होगा।
(काला पत्थर हवा में उड़ता है, जिसके चारों ओर एक जादुई हवा घूम रही है।)
शागिर्द: तो हम सीधे उस पत्थर को ही ढूंढ लेते हैं। फिर तो किसी की जान भी नहीं लेनी होगी।
डेविल: जेमस्टोन को ढूंढना इतना आसान नहीं है। जब तक वो उस जादुई रिंग के बाहर नहीं आता, तब तक काला पत्थर उसे खोज नहीं पाएगा।
शागिर्द: लेकिन सही मालिक की पहचान कैसे होगी?
डेविल: वो तो जॉन और सारा ही बता पाएँगे। और जैसे ही वो उसके मालिक तक पहुँचेंगे, काला पत्थर उसे ढूंढ लेगा — और हम उन तक पहुँच जाएँगे।
शागिर्द: और फिर मुझे तबाही का मौका मिलेगा।
अगले दिन – दिल्ली
अमन और अमर कॉलेज में बास्केटबॉल की प्रैक्टिस कर रहे होते हैं।
अमन (हँसते हुए): अमर, आज तो मैं ही जीतूंगा, देखना!
अमर (मुस्कुराकर): देखते हैं भाई, लेकिन जल्दबाज़ी में कोई ऐसा कदम मत उठाना जिससे मुँह की खानी पड़े।
अमन (आत्मविश्वास से): और तुम इतना भी सोच-समझकर मत खेलना कि समय हाथ से निकल जाए।
अमर (गंभीरता से): शायद तुम बचपन की बातें भूल गए हो — कैसे तुम जल्दबाज़ी के कारण हमेशा हारते आए हो।
अमन (हँसकर): मैं तो नहीं भूला, लेकिन शायद तुम्हारी याददाश्त कमजोर है — तुम कैसे अति-आत्मविश्वास के चलते जीत से दूर रह जाते हो।
(दोनों के बीच कांटे की टक्कर होती है। मुकाबला बराबरी पर खत्म होता है।)
अमन (हांफते हुए): बहुत मज़ा आया, क्यों भाई?
अमर (कंधे उचकाते हुए): हाँ भाई, मैं लगभग जीत ही गया था।
अमन (अपनी बात जताते हुए): डींगे मत हाँको, हारते-हारते बचे हो।
अमर: अच्छा, मैं हारते-हारते बचा हूँ? (कहकर अमर अमन से मस्ती करने लगता है।)
(दोनों कॉलेज के गेट के पास खड़े होते हैं।)
अमन: पापा आ गए, मैं चलता हूँ।
अमर: मम्मी भी आ गईं, मैं भी चलता हूँ।
अमन: पापा को मेरा हेलो कहना।
अमर: मम्मी को मेरा प्यार देना। और हाँ, मैं हारते-हारते बचा हूँ!
अमन: नहीं भाई, तुम जीतते-जीतते बचे हो। और घर जाकर कॉल करना, पापा से बात करनी है।
अमर: मुझे भी मम्मी से बात करनी है।
अमन: कितना अच्छा होता अगर सब साथ होते।
अमर (खुशी से): हाँ भाई, लेकिन जब तक हम दोनों साथ हैं...
अमन (पूरा करता है): सब कुछ खास है।
(एक सुनसान इलाके में जॉन और सारा एक सड़क पर पैदल जा रहे होते हैं। तभी एक गाड़ी आती है, जॉन उसे रुकने का इशारा करता है। गाड़ी रुकती है।)
ड्राइवर: कहाँ जाना है?
जॉन (होशियारी से): आपकी मंज़िल कहाँ है?
ड्राइवर: मेरी मंज़िल तो दिल्ली है, लेकिन आप लोग कहाँ जाओगे?
जॉन (मुस्कुराते हुए): हम भी दिल्ली ही जा रहे हैं, छोड़ दोगे?
ड्राइवर: क्यों नहीं! सफर में हमसफर हो तो रास्ते जल्दी कटते हैं।
(दोनों गाड़ी में बैठते हैं। गाड़ी तेज़ी से दिल्ली की ओर बढ़ती है। उधर डेविल और शागिर्द स्पेसशिप के पास पहुँचते हैं।)
शागिर्द(कुछ सोचकर): लगता है दोनों यहीं से कुछ ही दूरी पर हैं।
डेविल (विश्वास के साथ): भागकर जाएंगे कहाँ! आज नहीं तो कल पकड़ में आ ही जाएंगे।
शागिर्द (मुस्कुराते हुए): भागने वाले भूत भागकर जाएंगे कहाँ, अपने पैरों के निशान तो यहीं छोड़ गए हैं। (पैरों के निशान की ओर इशारा करते हुए)
(दोनों चलते-चलते वहाँ पहुँचते हैं जहाँ जॉन और सारा ने आग जलाई थी। फिर थोड़ी देर चलकर वो रोड तक पहुँच जाते हैं।)
डेविल: क्या लगता है शागिर्द, किस ओर गए होंगे?
शागिर्द: हुज़ूर, लगता है बाईं ओर गए होंगे।
डेविल (कुछ सोचकर): शागिर्द, याद रखना — चूहा हमेशा बिल ही ढूंढता है, लेकिन जॉन कोई छोटा चूहा नहीं है... वो सबसे बड़ा बिल ढूंढेगा। हमें बड़े शहर जाना चाहिए।
(और दोनों दिल्ली की ओर चलने लगते हैं।)
(अमन और अमर कॉलेज के बाद कैंटीन में बैठे हैं। पीछे से एक लड़की अमन को देखती हुई निकलती है।)
अमन (मुस्कुराते हुए): भाई, पापा ने पॉकेट मनी भेजी है। क्या प्लान बनाना है?
अमर (खुशी से): सिटी स्क्वेयर मॉल में सेल लगी है, वहीं चलते हैं। और ये मम्मी ने तुम्हारे लिए भेजा है।
अमन (आनंद से): अरे वाह, बड़ा लज़ीज़ लग रहा है।
(तभी टीवी पर न्यूज़ चलती है –)
टीवी: "राजस्थान के रेगिस्तान में मिला एक स्पेसशिप, एलियन होने की संभावना। लोगों में उत्साह के साथ डर का भी माहौल है। जांच जारी है।"
अमर (चौंककर): एलियन? हमारे यहाँ? चलो, जादू और पीके के बाद कोई तो आया।
अमन (विश्वास से): देखना भाई, शाम तक ये न्यूज़ फेक निकलेगी।
अमर: चलो भाई, मॉल चलते हैं। मैंने मम्मी को देर से आने के लिए कह दिया है।
अमन: ठीक है, आज पापा भी नहीं आने वाले, तो हम मॉल ही घूम लेते हैं।
(दोनों मॉल की ओर बढ़ते हैं।)
अमर (उत्साह से): अच्छा, वो ईशा और तेरे बीच कुछ खिचड़ी पक रही है क्या? मैंने देखा वो तुझे बहुत देखती रहती है।
अमन (शरमाकर): अरे नहीं भाई, ऐसा कुछ नहीं है।
अमर (धमकाते हुए): सच बता, वरना मैं मम्मी को बता दूंगा। अमन: कुछ ज़्यादा नहीं, बस उतना ही जितना तेरे और नेहा के बीच है। (अमर चुप हो जाता है। दोनों मॉल की ओर बढ़ते हैं।)
(यहाँ जॉन और सारा दिल्ली पहुँच चुके हैं।)
जॉन: सारा, यहाँ आने के बाद से ये स्टोन कुछ ज़्यादा हरकत कर रहा है। लगता है इसका मालिक यहीं मिलेगा। सारा: हमें थोड़ी सुनसान जगह देखकर इसे रिंग से बाहर निकालना पड़ेगा।
(जॉन थोड़ा आसपास देखकर कहता है —) जॉन: इस ओर चलते हैं, यहाँ जंगल का इलाका है।
(सारा और जॉन जंगल के इलाके में चले जाते हैं। वहाँ जॉन अपने कोट से दो रिंग्स में फंसे हुए एक स्टोन को बाहर निकालता है। स्टोन से एक पीले रंग का प्रकाश चारों ओर फैलने लगता है, और एक नीला धुआँ उसके इर्द-गिर्द घूमता है।)
(प्रकाश देखकर सारा और जॉन की आँखें चमक उठती हैं। धीरे-धीरे स्टोन हवा में ऊपर उठने लगता है और उसका प्रकाश चारों ओर फैलने लगता है। उसका प्रकाश पास के सिटी स्क्वेयर मॉल तक पहुँच जाता है जहाँ अमन और अमर शॉपिंग कर रहे होते हैं। प्रकाश देखकर दोनों उत्साह में उसकी ओर दौड़ पड़ते हैं।)
(जैसे ही जेमस्टोन आज़ाद होता है, काले पत्थर ने इशारा किया — डेविल और शागिर्द उस इशारे को समझ जाते हैं और उसकी ओर बढ़ने लगते हैं।)
डेविल: चलो शागिर्द, लगता है जेमस्टोन आज़ाद हो चुका है। वो अपना मालिक चुने, उससे पहले हमें वहाँ पहुँचना होगा।
(इधर जॉन और सारा छिपकर जेमस्टोन की हरकत देख रहे हैं।)
सारा: देखो जॉन, ये पहले से ज़्यादा चमक रहा है। लगता है इसने अपना मालिक ढूंढ लिया है।
जॉन: लेकिन जब तक ये दो रिंग्स हमारे पास हैं, जेमस्टोन किसी के भी कंट्रोल में नहीं जाएगा।
(तभी वहाँ अमन और अमर पहुँच जाते हैं, और दूर से ही प्रकाश को देखने लगते हैं।)
अमन: क्या ये कोई स्पेसशिप है? अमर: पता नहीं, पर जो भी है — काफी रोमांचक लग रहा है।
अमन: टीवी पर एलियन के बारे में ज़िक्र किया था, शायद ये उसी से जुड़ा कुछ हो।
(थोड़ी देर बाद दोनों महसूस करते हैं कि प्रकाश अपनी गति से उनकी ओर बढ़ रहा है। तेज़ हवाएँ चल रही थीं, काले बादल मंडरा रहे थे, उजाला कम हो रहा था — लेकिन जेमस्टोन का प्रकाश और तेज होता जा रहा था। धीरे-धीरे स्टोन अमन और अमर के पास पहुँच गया। दोनों थोड़ा डरकर दो कदम पीछे हट गए।)
(जॉन और सारा ने उनकी ओर देखा और वो असमंजस में पड़ गए, क्योंकि जेमस्टोन अमन और अमर दोनों के बीच में आकर रुक गया था — मानो ऐसा लग रहा था कि वह दोनों में से किसी एक को नहीं चुन पा रहा हो। और ऐसा हो भी क्यों ना, क्योंकि दोनों में कमाल की समानताएँ थीं और उनका बाहरी रूप तो एक जैसा ही था।)
(इतने में वहाँ कहीं से डेविल और शागदी आ जाते हैं। वे देखते हैं कि जेमस्टोन अमन और अमर में से किसी एक को चुनने वाला है। डेविल बिना समय गंवाए अपना हथियार निकालता है और उसमें से तेज़ किरणें जेमस्टोन की ओर छोड़ता है।)
(किरणें सीधे जेमस्टोन से टकराती हैं और एक बड़ा धमाका होता है। जिससे आसपास की चीज़ें दूर जा गिरती हैं। अमन, अमर, जॉन, सारा, डेविल और शागदी सभी ज़मीन पर दूर जा गिरते हैं।
(जब सब शांत होता है, जॉन की नजर अमन और अमर पर जाती है। दोनों कुछ अलग लग रहे थे — जैसे उन्होंने नए कपड़े पहन लिए हों, और वे पूरी तरह बदले हुए खड़े हों। जॉन देखता है कि जेमस्टोन के दो टुकड़े हो चुके हैं — एक टुकड़े ने अमन को चुना है और दूसरे ने अमर को।)
जॉन: नामुमकिन! ऐसा कैसे हो सकता है?
सारा: ऐसा हो चुका है, जॉन। जब दो व्यक्ति बिल्कुल एक जैसे होते हैं, तो जेमस्टोन की ताकत दो हिस्सों में बंट जाती है।
जॉन: लेकिन ये दोनों हैं कौन?
सारा: चाहे जो भी हों, हमारा मिशन पूरा हुआ।
जॉन: अभी आधा मिशन पूरा हुआ है — डेविल से बदला लेना बाकी है।
(उधर डेविल और शागिर्द भी अमन और अमर को ही देख रहे होते हैं।)
शागिर्द: डेविल, जेमस्टोन ने अपना मालिक चुन लिया है।
डेविल: शायद तुम्हें कहना चाहिए — मालिक चुन लिए हैं! और ये तो और भी आसान हो गया — अब दोनों को एक-एक करके मारेंगे और जेमस्टोन छीन लेंगे।
(अब रात हो चुकी थी। ठंडी हवाएं चल रही थीं। हल्का-सा प्रकाश वहाँ मौजूद सभी लोगों की पहचान के लिए काफी था। डेविल और शागिर्द को आने वाले समय का अंदाज़ा हो चुका था, क्योंकि अब वक्त था एक घमासान लड़ाई का। लेकिन अमन और अमर इस बात से पूरी तरह अनजान थे कि उनके साथ आगे क्या होने वाला है।)