O Mere Humsafar - 30 in Hindi Drama by NEELOMA books and stories PDF | ओ मेरे हमसफर - 30

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ओ मेरे हमसफर - 30

(प्रिया कुणाल के जुनून और चालों में फँसती जाती है। वह उसे रोकने की कोशिश करती है, मगर कुणाल पूरे सम्मान से रिश्ता पक्का करने घर पहुँच जाता है और परिवार के सामने प्रिया को स्वीकार करने पर मजबूर करता है। वैभव और कुमुद नाराज़ होते हैं, पर रिया प्रिया को समझाती है कि कुणाल का प्यार सच्चा है और उसने हमेशा सम्मान दिया। इसी बीच ललिता और आदित्य घर पहुँचते हैं। कुमुद साफ कहती है कि रिया की शादी आदित्य से नहीं होगी। ललिता प्रिया को बहू मानने को राज़ी होती है, क्योंकि उसे विश्वास है कि प्रिया द्वारा ही कुणाल को नियंत्रित किया जा सकता है। अब आगे)

हां तुम

वैभव कमरे में बैठा अपने हाथों से चेहरा ढके था। तभी प्रिया उसके पास आकर बैठ गई, "अगर आप नहीं चाहते, तो मैं कुणाल से शादी नहीं करूंगी, पापा।"

वैभव ने हैरानी से उसकी ओर देखा, "तो क्या तुम कुणाल से प्यार नहीं करती?"

प्रिया ने उसका हाथ थामकर धीरे से कहा, "मैं सबसे ज्यादा अपने परिवार से करती हूँ। कुणाल से भी ज्यादा।"

वैभव की आँखें भीग गईं। उसने प्रिया के सिर पर हाथ रखकर कहा, "मैं नहीं चाहता कि ललिता जी तेरे जीवन में कोई परेशानी लाएँ। इसलिए…"

सामने से कुमुद की आवाज़ आई, "हमारी प्रिया इतनी कमजोर नहीं कि परेशानी से डर जाए। और कुणाल भी उसका साथ देगा। है न, प्रिया?"

प्रिया ने सिर झुका कर हामी भर दी, पर वैभव की चुप्पी अब भी भारी लग रही थी।

कुमुद ने माहौल बदलने की कोशिश की, "अरे प्रिया! जरा चाय तो बना ला हमारे लिए। हमारी बेटी कुछ दिनों में पराई हो जाएगी।"

प्रिया शरारत से बोली, "शादी तो अभी तय भी नहीं हुई है। और बरसों से आप मुझसे चाय बनवाती आई हैं।"

कुमुद ने गुस्से से कमर में हाथ रखा तो प्रिया हंसते-हंसते कमरे से भाग गई।

पर वैभव का मन अब भी बेचैन था। उसे लग रहा था—इस शादी के पीछे तूफ़ान छिपा है, जो उनकी बेटी की ज़िंदगी बदल देगा।

कुमुद ने वैभव के कंधे पर हाथ रखकर कहा, "आप…"

वैभव अचानक भड़क उठा, "तुम लोग क्यों नहीं समझ रहे हो? बात सिर्फ ललिता जी की नहीं है। असली बात आदित्य की है—जिसने रिया के साथ…"

उसका गला भर आया। आँसू बह निकले।

कुछ पल चुप रहकर वह टूटी आवाज़ में बोला, "और तो और… तुम्हें याद है टोनी? वही जिसने हमें बंदी बनाकर प्रिया से जबरदस्ती शादी करने की कोशिश की थी।"

कुमुद काँपते स्वर में बोली, "हाँ… वह तो जेल में है न?"

वैभव ने सर हिलाया, "नहीं… वह बेल पर बाहर आ गया है।"

कुमुद की सांस अटक गई, "क्या?"

वैभव ने रोते हुए कहा, "और जानती हो, उसे किसने छुड़ाया?"

कुमुद के होंठ थरथराने लगे, "ल…ललिता?"

वैभव की आँखों से आँसू झर-झर गिरने लगे। कुमुद सन्न खड़ी रह गई।

वैभव की आवाज़ टूट गई, "तुम्हें शादी के लिए हाँ नहीं करनी चाहिए थी, कुमुद। हमारी प्रिया वहाँ सुरक्षित नहीं है… हमारी बेटी बिल्कुल सुरक्षित नहीं है!"

वह फूट-फूट कर रो पड़ा। कुमुद के दिल में भी डर और पछतावा घर कर गया।

रसोई से भाप उठ रही थी। प्रिया गुस्से में बड़बड़ाते बोली, "आज ऑफिस जाने से पहले ही मुझसे घर के काम करवाए जा रहे हैं। मुझसे तो कोई प्यार ही नहीं करता।"

रिया मुस्कुराते हुए अंदर आई, "अरे! कुणाल के प्यार के आगे हमारा प्यार कहां टिकेगा भला?"

प्रिया ने शरारत से रिया को देखा और मुस्कुराई, "तो फिर… आप सबके लिए चाय बना देंगी?"

रिया ने भौंहें उठाईं, "क्या?"

प्रिया ने झट से उसके गाल पर किस कर दिया, "मुझे देर हो रही है कुणाल से मिलने…"

रिया ने कमर पर हाथ रखकर घूरा।

प्रिया तुरंत हंस पड़ी, "मतलब… ऑफिस के लिए!"

रिया भी हंसी रोक न सकी, "जा मेरी मां, मैं बना दूंगी चाय।"

प्रिया खिलखिलाते हुए बाहर निकल गई, "थैंक यू दी!"

रिया की हंसी अचानक थमी। उसने गहरी सांस लेकर बुदबुदाया, "बस… अब तेरे और कुणाल के बीच कोई दरार न आए।"

....

प्रिया ऑफिस में अपने केबिन में बैठी थी और  सामने तमन्ना खड़ी थी। तमन्ना ने हैरानी से कहा – "क्या? तू शादी कर रही है उससे? यह कैसे हो गया? तेरा दिमाग तो ठीक है?" ये शब्द सीधे कुणाल के कानों में पड़े। वह तेज़ी से अंदर आया और सख़्त लहजे में बोला –"मिस खन्ना, बाहर जाइए।"

तमन्ना ने प्रिया की ओर देखा। प्रिया ने बस हल्का-सा सिर हिलाया और तमन्ना चुपचाप बाहर निकल गई।

कुणाल ने दरवाज़े और खिड़कियाँ बंद कीं, और प्रिया को अपनी बाँहों में खींचकर घूरते हुए बोला – "तुम शादी कर रही हो?"

प्रिया ने झुकी नज़रों से, होंठों पर हल्की मुस्कान के साथ कहा – "हाँ… आज ही मेरे लिए रिश्ता आया है।"

कुणाल की आँखें चौड़ी हो गईं – "और तुम मान भी गई?"

प्रिया का चेहरा लाल हो उठा। मुस्कुराते हुए उसने सिर हिलाया। कुणाल के लिए वो मुस्कान किसी खंजर से कम नहीं थी। उसने गुस्से से कहा –"तुम सिर्फ मेरी हो, प्रिया! और तुमने कैसे…?"

प्रिया ने चुलबुली अदाओं में जवाब दिया – "मैं ‘ना’ कह देती… पर…"

कुणाल ने उसे झटकते हुए चीखा – "पर?"

प्रिया ने शरारती अंदाज़ में कहा – "पर… वो एक तो मेरा बिज़नेस पार्टनर है और दूसरा, इंडिया का मोस्ट सक्सेसफुल बिज़नेसमैन।"

कुणाल का चेहरा तमतमा उठा। वह कमरे से बाहर निकला, फिर अगले ही पल पागलों की तरह लौट आया। "मतलब?"

प्रिया हँस पड़ी –"मतलब… मतलब तुम।"

कुणाल दीवानों की तरह भागा और उसे कसकर गले से लगा लिया – "आज के बाद तुम मुझे कभी नहीं छोड़ोगी!" उसके पकड़ में अजीब सी तड़प और दीवानगी थी।

प्रिया ने आँखों में चमक के साथ कहा – "नहीं छोड़ूँगी… लेकिन अगर कभी छोड़ दिया, तो तुम मुझे सज़ा दे देना।"

कुणाल हैरान रह गया –"कौन-सी सज़ा?"

प्रिया ने उसकी आँखों में देखा और अचानक उसके होंठों को पागलों की तरह जकड़ लिया। वो उसे इतनी दीवानगी से चूम रही थी कि कुणाल पहले तो स्तब्ध रह गया, फिर खुद भी उसी आग में खो गया।

कुछ देर बाद प्रिया ने होंठ अलग करते हुए फुसफुसाया –"ये सज़ा।"

कुणाल ने उसे हैरत और प्यार से देखा – "तुम भी न… पागल हो।" और शर्माने लगा।

दोनों कसकर एक-दूसरे से लिपट गए। और उस लम्हे में, सारे गिले-शिकवे पिघल गए।

...

1. प्रिया और कुणाल एक दूसरे से हमसफ़र बन पाएंगे या इस बार कहानी फिर अधूरी रह जाएंगी?

2. प्रिया ललिता और आदित्य के चारों से कैसे बचेगी?

3. वैभव का डर कहीं सच तो नहीं हो जाऊंगा ?

जानने के लिए पढ़ते रहिए "ओ मेरे हमसफ़र"