Kilvish in Hindi Motivational Stories by Rakesh books and stories PDF | किलविश

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किलविश



बहुत समय पहले की बात है, जब संसार में बुराई धीरे-धीरे बढ़ रही थी और मानव अपने मार्ग से भटकने लगा था। तब भारत की प्राचीन परंपराओं और साधनाओं को सहेजने वाले कुछ ऋषियों ने एक निर्णय लिया — कि अब मानवता की रक्षा के लिए एक ऐसा व्यक्ति तैयार किया जाएगा, जो न केवल शारीरिक रूप से बलवान हो, बल्कि आत्मिक रूप से भी जागृत हो।

वे ऋषि "सत्यम" नामक एक गुप्त आश्रम में रहते थे, जहाँ आत्मबल, योगशक्ति, ध्यान और तपस्या के द्वारा इंसानों को महाशक्तियों से जोड़ने का अभ्यास कराया जाता था। उन्हीं ऋषियों ने एक बच्चे को चुना, जो एक अनाथ था, निर्दोष था, पर भीतर से अपार संभावनाओं से भरा हुआ था।

उस बच्चे का नाम था गंगाधर।

गंगाधर को ऋषियों ने शिक्षित किया — उसने पंचतत्वों (आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी) की साधना की। उसने वर्षों ध्यान और संयम के साथ अपने मन, इंद्रियों और शरीर पर नियंत्रण पाया। उसकी आत्मा को ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ा गया, और अंततः उसे सौंपा गया एक दिव्य चक्र — जो उसकी शक्तियों का स्रोत बना।

वहीं से जन्म हुआ “शक्तिमान” का।

अब गंगाधर, एक साधारण इंसान नहीं था। वह जब चाहे तब अपने भीतर की ऊर्जा को जाग्रत करके शक्तिमान बन सकता था — एक ऐसा योद्धा, जो हवा में उड़ सकता था, भारी वस्तुओं को उठा सकता था, आग में नहीं जलता था, पानी में डूबता नहीं था, और सबसे बड़ी बात — जो सत्य के मार्ग से कभी नहीं डिगता था।

परंतु हर नायक की तरह, शक्तिमान का भी एक विरोधी था — तमराज किलविश।
तमराज किलविश अंधकार की शक्तियों का प्रतिनिधि था। वह खुद को "अंधेरा ही सत्य है" का प्रचारक मानता था। उसका उद्देश्य था दुनिया को अंधेरे में ढँक देना — न केवल बाहरी अंधेरे में, बल्कि अज्ञान, लोभ, क्रोध, हिंसा और असत्य के अंधेरे में।

किलविश की योजना थी कि वह मानव के मन में अंधकार भर दे और सत्य को मिटा दे।

शक्तिमान का संघर्ष केवल किलविश से नहीं था — बल्कि हर उस भावना से था जो मानव को इंसानियत से दूर ले जाती है। हर एपिसोड में वह किसी न किसी सामाजिक बुराई से टकराता — जैसे झूठ, चोरी, भ्रष्टाचार, हिंसा, लालच, और असंवेदनशीलता।

लेकिन उसके दो जीवन थे। जब वह शक्तिमान नहीं होता, तब वह बन जाता था गंगाधर विद्याधर मायाधर ओंकारनाथ शास्त्री — एक भोला-भाला, हास्यप्रिय, और थोड़ा अजीब सा पत्रकार जो 'आज़ाद भारत' अखबार में काम करता था।

गंगाधर का एक गुप्त प्रेम भी था — गीता विश्वास। गीता एक ईमानदार पत्रकार थी, जो सिर्फ़ शक्तिमान से नहीं, सच्चाई से प्रेम करती थी। उसे यह नहीं पता था कि शक्तिमान और गंगाधर एक ही व्यक्ति हैं।

वहीं, शक्तिमान के संघर्ष अकेले नहीं थे। तमराज किलविश ने समय-समय पर अपने दूतों को भेजा — जैसे डॉक्टर जैकाल, केट मैन, बिजली देवी, और कई अजीब वैज्ञानिक जो दुनिया को बर्बाद करना चाहते थे। लेकिन हर बार शक्तिमान ने उन्हें हराया — न केवल अपनी शक्तियों से, बल्कि अपने सिद्धांतों और नैतिकता से।

शक्तिमान मारता नहीं था — बदलता था।
वह अपने दुश्मनों को सुधारने की कोशिश करता, उन्हें जीवन का सही मार्ग दिखाता। यही उसे खास बनाता था।

धीरे-धीरे देश के बच्चे शक्तिमान को सिर्फ़ एक सुपरहीरो नहीं, एक आदर्श मानने लगे। वे कहते —
“शक्तिमान जैसा बनना है — सच्चा, ईमानदार, और निडर।”

शक्तिमान ने बच्चों को समझाया कि सच्ची ताकत लात-घूंसे में नहीं, बल्कि सत्य, धैर्य, और आत्मसंयम में होती है। उसने बताया कि अगर तुम खुद को सुधार लो, तो दुनिया भी बदल सकती है।

आख़िरी युद्ध किलविश और शक्तिमान के बीच हुआ — जब किलविश ने पूरी दुनिया को अंधकार में डुबोने की कोशिश की। लेकिन तब पूरे भारत के बच्चों ने अपनी आत्मा की शक्ति से प्रकाश फैलाया, और कहा:
"अंधेरा मिटेगा, क्योंकि प्रकाश सच्चा है।"

और अंततः किलविश हार गया।

लेकिन शक्तिमान ने कभी नहीं कहा कि युद्ध खत्म हो गया।
उसने कहा —

> “असली युद्ध रोज़ होता है — तुम्हारे भीतर। जब तुम सच्चाई और झूठ के बीच, अच्छाई और बुराई के बीच चुनाव करते हो, वही असली शक्तिमान की परीक्षा होती है।”