श्रुति को हमेशा से पुरानी चीज़ों का शौक था — किताबें, कैमरे, घड़ियाँ, पुराने रिकॉर्ड्स। उसे लगता था कि हर पुरानी चीज़ में कोई न कोई अधूरी कहानी छुपी होती है। जब वह अपने दादा-दादी के पुराने घर में रहने आई, तो वहाँ की हर दीवार, हर अलमारी से धूल के साथ यादें झरती थीं। घर थोड़ा वीरान-सा था, गांव से थोड़ा दूर, एक छोटी-सी पहाड़ी के किनारे बना हुआ। वहाँ रहना बहुतों को डरावना लगता था, लेकिन श्रुति के लिए वो जगह किसी खजाने से कम नहीं थी।
एक दिन अटारी की सफाई करते हुए उसे एक पुराना टेप रिकॉर्डर मिला। ऊपर मोटी धूल की परत थी और कुछ मकड़ी के जाले। उसने उसे ध्यान से उठाया, नीचे लाकर साफ़ किया। रिकॉर्डर में पुराने जमाने की कैसेट्स भी रखी थीं। ज़्यादातर खाली थीं, लेकिन कुछ पर नाम लिखे थे — जैसे “अमृता की आवाज़”, “सावन की रिकॉर्डिंग”, और एक पर सिर्फ़ एक शब्द लिखा था — “आख़िरी”।
उसने पहले उसे नजरअंदाज किया। उसे लगा यह शायद किसी गाने की रिहर्सल या अधूरी रिकॉर्डिंग होगी। उस रात मौसम खराब था — बादल घिरे हुए थे, बिजली कड़क रही थी और हवा पेड़ों को झकझोर रही थी। ऐसा मौसम किसी को भी डरा सकता था, लेकिन श्रुति को उसमें एक अजीब-सी शांति मिलती थी। उसने सोचा कि क्यों न आज इस टेप रिकॉर्डर से कुछ गाया जाए।
मोमबत्तियाँ जलाई गईं। कमरा हल्के नारंगी उजाले में डूब गया। उसने एक खाली टेप डाली और रिकॉर्डिंग का बटन दबा दिया। उसकी आवाज़ धीमी थी, सुर में थोड़ी झिझक, लेकिन एक भाव था — अकेलेपन का। उसने करीब दो मिनट तक गाया और फिर रिकॉर्डिंग बंद कर दी। जब उसने टेप को वापस प्ले किया, तो शुरुआत में सब ठीक था — उसकी खुद की आवाज़, गाने की हल्की धुनें, पंखे की आवाज़... लेकिन फिर अचानक कुछ ऐसा सुनाई दिया जिसने उसका खून जमा दिया।
एक दूसरी आवाज़... बेहद धीमी, गहरी और अजीब। वो आवाज़ बोली — “तुमने मुझे जगा दिया है…”
श्रुति का चेहरा पीला पड़ गया। उसने तुरंत टेप बंद कर दिया। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। उसने खुद को समझाया कि ये शायद रिकॉर्डिंग में कोई पुराना शोर है, या फिर गलती से कुछ पहले से रिकॉर्ड हो गया हो। वो खुद को समझाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन दिल के किसी कोने में एक डर बैठ चुका था।
रात को जब वो सोने की कोशिश कर रही थी, तभी उसका फोन बजा। अननोन नंबर था — स्क्रीन पर बस “Unknown Caller” लिखा था। आधी रात को ऐसा फोन कोई भी डराने के लिए काफी होता। पहले तो उसने नजरअंदाज कर दिया, लेकिन फोन लगातार बजता रहा। परेशान होकर उसने कॉल उठा लिया।
फोन पर कुछ देर सन्नाटा रहा... और फिर वही आवाज़, जो उसने टेप में सुनी थी।
“अब मैं तुम्हारे पास आ रहा हूँ…”
उसके हाथ से मोबाइल गिर पड़ा। कमरे की लाइटें एक झटके में बंद हो गईं। चारों तरफ अंधेरा और सन्नाटा। सिर्फ़ पंखे की धीमी चर्र-चर्र और बाहर चलती तेज़ हवा की आवाज़ें।
और फिर... टेप रिकॉर्डर अपने आप चल पड़ा।
कोई बटन नहीं दबाया गया था। मोमबत्तियाँ बुझ गई थीं। कमरे में घुप्प अंधेरा था, लेकिन टेप रिकॉर्डर की लाल बत्ती जल रही थी। उसमें से वही आवाज़ आई — अब और भी नज़दीक, और भी खौफनाक।
“तुम मेरी आख़िरी आवाज़ थी…”
श्रुति ने जैसे-तैसे लाइट चालू करने की कोशिश की, लेकिन स्विच काम नहीं कर रहा था। वह दरवाज़े की तरफ दौड़ी, लेकिन दरवाज़ा जैसे अपने आप बंद हो गया था — अंदर से। कुछ पकड़ रहा था उस पर। कमरे की हवा भारी होती जा रही थी, जैसे कोई अदृश्य चीज़ वहाँ मौजूद हो। और तभी उस रिकॉर्डर से आख़िरी बार कुछ सुनाई दिया:
“अब मैं तुम्हारी आख़िरी आवाज़ बनूँगा…”
अगली सुबह, पड़ोस में रहने वाली एक बुज़ुर्ग औरत — कमला काकी — ने पुलिस को फोन किया। उसने बताया कि रात को घर से किसी लड़की की चीखें सुनाई दी थीं, फिर सब शांत हो गया। पुलिस जब पहुंची, तो घर अंदर से बंद था। खिड़की तोड़कर अंदर जाना पड़ा।
कमरा पूरी तरह अस्त-व्यस्त था — किताबें ज़मीन पर, कुर्सी टूटी हुई, दीवारों पर कुछ अजीब निशान। लेकिन सबसे डरावनी बात यह थी कि श्रुति कहीं नहीं थी। न उसका फोन मिला, न उसके कपड़े, न कोई सुराग कि वह कहाँ गई।
बस एक ही चीज़ कमरे में सही सलामत रखी थी — वो टेप रिकॉर्डर।
वो अब भी चल रहा था। टेप घूम रही थी, और उसमें एक आवाज़ बार-बार रिकॉर्ड हो रही थी:
“श्रुति चली गई... अब अगला कौन?”
उस केस को पुलिस ने बंद किया, यह कहकर कि शायद लड़की कहीं भाग गई या खुद ही गायब हो गई। लेकिन गांव वालों के बीच एक कहानी चल निकली — कि वो टेप रिकॉर्डर दरअसल एक आत्मा से जुड़ा है, और हर बार जब कोई नई आवाज़ उसमें रिकॉर्ड होती है, तो वो आत्मा जाग जाती है... और फिर वो इंसान गायब हो जाता है।
वो टेप जिस पर “आख़िरी” लिखा था — अब भी उसी टेबल पर रखा है।
और अब कोई भी उस घर के पास जाने की हिम्मत नहीं करता।