Towards the Light – Memoirs in Hindi Moral Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | उजाले की ओर –संस्मरण

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उजाले की ओर –संस्मरण

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स्नेहिल नमस्कार मित्रों

     हम मनुष्य छोटी छोटी परेशानियों से परेशान हो जाते हैं, घबरा जाते हैं, विवेक खो बैठते हैं और परेशान हो जाते हैं किंतु जीवन का अनिवार्य हिस्सा हैं परीक्षाएं। यह सिलसिला जन्म से ही शुरू हो जाता है। परिजन, रिश्तेदार, दोस्त, पड़ोसी आदि नवजात शिशु को देखकर ही परखने लग जाते हैं कि क्या यह आम शिशुओं जैसा है या नहीं? उसके अंग-प्रत्यंग, हाव-भाव, रंग-रूप ठीक हैं, स्वाभाविक हैं। यह हुई पहली परीक्षा।

स्कूल में पढ़ाई-लिखाई , खेल-कूद, व्यवहार, शिष्टाचार आदि हर चीज के लिए उसको अपने आप को साबित करना पड़ता है। स्कूल के सहपाठियों के बीच की प्रतिस्पर्धा तक तो फिर भी ठीक है लेकिन घर में भी भाई बहनों के बीच तुलना की जाती है। रिश्तेदार करें तो करें , कई बार माँ बाप भी करने लगते हैं। जबकि उनको तो अपने बच्चों में फर्क नही करना चाहिए।वे ऐसा  जान बूझकर या किसी बात को मन में रखकर नहीं करते हैं। बस वो उसका कुछ ज्यादा ही बेहतरी चाहते हैं और उनसे अनजाने में ये हो जाता है। यहाँ थोड़ा सम्भलने की जरूरत है। क्योंकि बाद में बड़ा होकर उसको अपने जीवन की जिम्मेदारी संभालनी होती है।जरूरी नही कि वह आपके तरीके से ही अपने जीवन के मार्गो पर चलें क्योंकि उनके जीवन में घर, परिवार, कैरियर, समाज और देश के प्रति कर्तव्य निभाने की कई  अलग प्रकार की चुनौतियाँ, कसौटियाँ आती   हैं और हर मोड़ पर नई अपेक्षाएं उनका इंतजार कर रही होती हैं। कोई भी मनुष्य अपने जीवन की चुनौतियों को  सफलता पूर्वक तब ही पार कर सकता है जब उसके साथ उसका परिवार खड़ा  हो न कि तब जब परिवार भी उसकी परीक्षा लेने लग जाए।

     किसी भी मनुष्य के जीवन में परिवार का साथ खड़े रहना, उसकी रीढ की हड्डी होता है जिसके बल बूते पर वह मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रहता है और अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों के सामने डटकर खड़ा हो सकता है। वह चुनौतियों को दूर भगाकर जीवन का संतुलन आसानी से  कर सकता है क्योंकि जीवन में हर बार चुनौतियों का सामने आ खड़ा होना इतना ही स्वाभाविक है जितना साँसों का उतार चढाव!

सब अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों को आसानी से पार कर सकें इसलिए उन्हें पारीवारिक सहयोग की आवश्यकता है। यही उनके लिए प्यार है, सहयोग है।

सस्नेह

आप सबकी मित्र

डॉ. प्रणव भारती