Story of Saint Rampal Ji Maharaj ji in Hindi Spiritual Stories by tarun jha books and stories PDF | दिवाली का असली प्रकाश संत रामपाल जी महाराज की कथा जो बदल दे आपकी सोच

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दिवाली का असली प्रकाश संत रामपाल जी महाराज की कथा जो बदल दे आपकी सोच

दिवाली, जिसे हम “रोशनी का त्योहार” कहते हैं, केवल दीपक जलाने और मिठाइयाँ बांटने का समय नहीं है। यह त्योहार हमें अंधकार से उजाले की ओर, अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाने का अवसर देता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दिवाली का असली प्रकाश क्या है? असली दिवाली वह है जो हमारे अंदर के अंधकार को मिटाकर आत्मा और मन में ज्ञान और भक्ति का उजाला लाए।

संत रामपाल जी महाराज ने हमें यही सिखाया है कि दिवाली केवल बाहरी जगत का उत्सव नहीं, बल्कि आंतरिक जागरण का प्रतीक है। उनका सत्संग और शिक्षाएँ इस बात का प्रमाण हैं कि जब इंसान अपने अंदर के अज्ञान का नाश करता है, तब वास्तविक सुख, शांति और आनंद की प्राप्ति होती है।


1. दिवाली का इतिहास और वास्तविक अर्थ


दिवाली का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। यह त्योहार मुख्यतः अंधकार पर प्रकाश की जीत और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। लेकिन अधिकांश लोग इसे केवल बाहरी उत्सव के रूप में मानते हैं। दीपक जलाना, पटाखे फोड़ना और मिठाई बांटना केवल बाहरी रिवाज हैं।

संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि सच्चा दिवाली का प्रकाश ज्ञान और भक्ति में है, जो हमारे हृदय के अंदर अंधकार को मिटा सकता है। जब मनुष्य अज्ञान, मोह, क्रोध और अहंकार से मुक्त होता है, तब उसकी जिंदगी में वास्तविक दिवाली का प्रकाश फैलता है।


2. संत रामपाल जी महाराज और उनके संदेश
संत रामपाल जी महाराज ने अपने सत्संग और प्रवचनों के माध्यम से यह स्पष्ट किया है कि मानव जीवन का असली उद्देश्य ईश्वर का ज्ञान और भक्ति करना है। वे कहते हैं कि बिना सच्चे ज्ञान के मनुष्य केवल भौतिक सुखों और मोह-माया में उलझा रहता है।

दिवाली का असली प्रकाश तब आता है जब हम अपने अंदर के अज्ञान और पापों को पहचानकर उन्हें त्याग दें और ईश्वर के सच्चे ज्ञान को अपनाएँ। संत रामपाल जी महाराज की शिक्षाएँ हमें यह सिखाती हैं कि सच्ची खुशियाँ बाहरी चीजों में नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और भक्ति में हैं।


3. अंधकार और प्रकाश – भौतिक और आध्यात्मिक दृष्टि


दिवाली का प्रतीकात्मक अर्थ अंधकार और प्रकाश से जुड़ा है। बाहरी रूप से दीपक और मोमबत्ती अंधकार को मिटाते हैं, लेकिन अंदर के अंधकार का नाश केवल सच्चे ज्ञान और भक्ति से ही संभव है।

संत रामपाल जी महाराज कहते हैं कि हमारा मन कई प्रकार के अंधकार से घिरा होता है – लालच, क्रोध, ईर्ष्या, मोह-माया। जब हम सत्संग के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करते हैं और सच्ची भक्ति करते हैं, तब यह आंतरिक अंधकार दूर होता है और आत्मा में दिवाली का प्रकाश फैलता है।


4. दिवाली के असली पाठ


संत रामपाल जी महाराज के अनुसार दिवाली का असली अर्थ समझने के लिए हमें निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए:

भक्ति में प्रकाश – केवल भौतिक चीजों से सुख नहीं मिलता, बल्कि ईश्वर के सच्चे ज्ञान और भक्ति से जीवन रोशन होता है।
अज्ञान का नाश – अज्ञान का नाश करने से ही मनुष्य सच्ची स्वतंत्रता और शांति प्राप्त करता है।
सत्संग का महत्व – संतों के सत्संग से मन और आत्मा शुद्ध होती है, और जीवन में अंधकार नहीं रहता।
सच्ची खुशी – केवल भौतिक सुख के बजाय, सच्ची खुशी आत्मा के उजाले में निहित है।
इन चार मूल तत्वों को अपनाने से हम दिवाली के असली प्रकाश का अनुभव कर सकते हैं।


5. संत रामपाल जी महाराज की दिवाली कथा


एक बार संत रामपाल जी महाराज ने अपने अनुयायियों को दिवाली का वास्तविक महत्व समझाते हुए कहा:

"जब मनुष्य अपने भीतर के अंधकार को नहीं देखता, तब वह केवल बाहरी प्रकाश की ओर आकर्षित होता है। परंतु जब आप अपने मन, विचार और कर्मों में प्रकाश फैलाते हैं, तब आप असली दिवाली का अनुभव करते हैं।"

वे कहते हैं कि अनेक लोग दिवाली पर केवल मिठाई और पटाखों में खुशियाँ ढूंढते हैं, लेकिन यह असली आनंद नहीं है। असली दिवाली तब है जब इंसान अपने जीवन में ज्ञान और भक्ति का दीपक जलाए।


6. दिवाली मनाने का सही तरीका


संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में दिवाली का सही तरीका इस प्रकार है:

सत्संग सुनें और ज्ञान प्राप्त करें – संत रामपाल जी महाराज के सत्संग से मन और आत्मा की शुद्धि होती है।
भक्ति और ध्यान – ईश्वर के नाम का ध्यान और भक्ति से आंतरिक अंधकार दूर होता है।
सच्चे कर्म करें – अहंकार, क्रोध और लालच को त्यागें।
शांति और सामंजस्य फैलाएँ – अपने परिवार और समाज में प्रेम और सद्भाव बनाएँ।
इस तरह दिवाली केवल बाहरी उत्सव नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उत्सव बन जाती है।


7. दिवाली का संदेश – क्यों बदलती है सोच


संत रामपाल जी महाराज की शिक्षाओं का पालन करने से हमारी सोच बदलती है। हम समझते हैं कि जीवन का असली उद्देश्य केवल भौतिक सुख नहीं, बल्कि ज्ञान, भक्ति और आत्मिक उन्नति है।

दिवाली के अवसर पर जब हम अपने भीतर के अंधकार को दूर करके ज्ञान और भक्ति का दीपक जलाते हैं, तब हमारा जीवन खुशियों और शांति से भर जाता है। यही दिवाली का असली प्रकाश है – जो केवल देखते नहीं, बल्कि महसूस किया जाता है।


8. निष्कर्ष


दिवाली का असली प्रकाश बाहर के दीपकों और रोशनी में नहीं, बल्कि हमारे अंदर के अज्ञान को मिटाकर ज्ञान और भक्ति का दीपक जलाने में है। संत रामपाल जी महाराज की कथा और शिक्षाएँ हमें यह समझाती हैं कि सच्चा उत्सव वही है, जो हमारे मन, विचार और कर्मों में उजाला लाए।

इस दिवाली, आइए हम केवल बाहरी दीपक न जलाएँ, बल्कि अपने भीतर के अज्ञान को नष्ट करके सच्चे ज्ञान और भक्ति का दीपक जलाएँ। यही दिवाली का असली प्रकाश है – जो हमारी सोच, जीवन और समाज को बदल सकता है।