satyprakash pandey ki vinay in Hindi Book Reviews by ramgopal bhavuk books and stories PDF | सत्य प्रकाश पाण्ड़ेय की विनय

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सत्य प्रकाश पाण्ड़ेय की विनय

सत्य प्रकाश पाण्ड़ेय की विनय

               रामगोपाल भावुक

           विनय पत्रिका नाम सामने आते ही महाकवि तुलसी दास  जी की विनय पत्रिका याद आने लगती है। पाण्डेय जी का किसी भी कार्य के प्रति जुनून देखते ही बनता है। वे जिस कार्य में लगते हैं, उसे पूरा करके ही मानते हैं। वे पाँच धार्मिक कृतियों का पूर्व में सृजन कर चुके हैं। पाण्डेय जी ने भी इस रचना में प्रभु के विभिन्न रूपों की विनय की है।

                 वे सबसे पहले संसार की दार्ती भुवनेश्वरि देवी की बन्दना की हैं। सभी शुभ कार्यों में सबसे पहले भुवनेश्वरि देवी की पूजा होती है।

                 भुवनेश्वरि देवी के प्रथम पुत्र ब्रह्मा जी हैं। द्वितिय सूक्त में ब्रह्मा जी की वन्दना की गई है। इसी प्रकार क्रम से तीसरे सूक्त से लेकर चैतीस सूक्त तक सरस्वति माता, विष्णु भगवान,श्री लक्ष्मी माता, श्री शंकर भगवान, महादेवी माता, शेषनाग जी,बृहस्पति देव जी, श्री इन्द्र देव जी, सूर्य देव जी, श्री चन्द्र देव जी,श्री पवन देव जी, श्री अग्नि देव जी, श्री वरुण देव जी,श्री धर्मराज जी,श्री सनक सनन्दन, सनातन और सनत कुमार जैसे ऋषि पुत्र धरती पर अवतरित हुए है।

          उसके बाद वैद्य धनवन्तरि, विश्वकर्मा,पार्वति पुत्र स्कंध श्री गणेश जी, श्री हनुमान जी श्री काल भैरव जी श्री कुबेर जी और श्री प्रेतराज जी का संसार में आ गमन हुआ।

          इसी क्रम से संतोषी माता, श्री नंदीश्वर,श्री  नवग्रह, उसके बाद ब्रह्म नदी और देव नदी बनकर प्रथ्वी पर आई। पूज्यनीय कालिका भवानी, श्रीराम जी आपने चारों भाइयों सहित अयोध्या में अवतरित हुए। मथुरा में श्री कृष्ण- बलराम आदि महान देवों ने इस भारत माता को सुशोभित किया है।

         इस तरह पाण्डेय जी ने इन सभी देवों की उनके विशेष गुणों की क्रम से वन्दना की है। इसी कारण इसे विनय पत्रिका नाम देना उन्हें उचित लगा होगा।

               द्वितीय सोपान को तारिकासुर के आतंक से शुरू किया है। इसमें षडानन के जन्म की कथा कहने का अपने शब्दों में प्रयास किया है। शंकर-पार्वती का विवाह ब्रह्मा जी द्वारा विधि-विधान से कराया गया है। इसमें ब्रह्मा जी की विशेष महिमा का वर्णन किया गया है। इसमें सृष्टि की रचना का वर्णन भी है। उसके बाद अंधकासुर से सृष्टि बचाने का प्रसंग भी  पाठकों के समक्ष रखा है।

         उसके बाद कवि एकदम श्री वाल्मीकि की कथा विस्तार से कहने में लग जाता है ,लेकिन लव-कुश के जन्म के वर्णन के साथ राम कथा संक्षेप में कह दी है।

               श्री हरि महिमा  में गायत्री मंत्र की उत्पति कही हैं। अजामिल प्रसंग विस्तार से कहने का प्रयास किया है। त्रिकूटपर्वत का वर्णन भी विस्तार से किया है। पिंगला नाम वैश्या का वर्णन भी रुचि के साथ विस्तार से वर्णन कर भगवत भजन का महत्व बताया है। कभी वे शिव पुराण का महत्व लिख जाते हैं तो कभी चंचुला ब्राह्मणी का वर्णन करने लगते हैं।

          सोपान के अन्त में वे शिवकथा का आनन्द लेते हुए दिखाई दे जाते हैं।

  कृति के तृतीय सोपान में उनकी राष्ट्रीय कार्य योजना  का विस्तार से उल्लेख किया है। इसके इकहत्तर नियमों का निर्माण किया है। वे चाहते हैं, उस योजना का देश के हर प्राणी को पालन करना चाहिए, तभी संसार व्यवस्थित किया जा सकता है। वे यह भी मानते हैं, सारा संसार उनकी इस योजना के अनुसार चले, तभी संसार का कल्याण सम्भव है। वे इस योजना को देश के प्रमुख प्रमुख नेताओं के सामने अपनी योजना रख चुके हैं। उन्हें पूरा विश्वास है उनकी यह योजना एक दिन अवश्य ही देश में लागू की जायेगी। मैं देखता हूँ, इस कार्य के प्रति वे हमे सजग रहते हैं। उनके इस जुनून को प्रणाम है।

 

कृति का नाम- विनय पत्रिका

कृतिकार का नाम- सत्य प्रकाश पाण्डेय

                       ब्रह्मानन्द सरस्वती

कृति का मूल्य- 400रू मात्र

प्रकाशक- श्री महाकाली शक्ति पीठ प्राम जरहौली

                      जिला- इटावा उ.प्र.

     प्रकाशन वर्ष-2025