Last Benchers - 1 in Hindi Classic Stories by govind yadav books and stories PDF | Last Benchers - 1

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Last Benchers - 1

हर क्लास में कुछ बच्चे होते हैं जो आगे बैठकर जवाब देते हैं,
और कुछ जो पीछे बैठकर सोचते हैं।
आर्यन और काव्या, 12-B की वही जोड़ी थे —
जो बातें कम, लेकिन महसूस ज़्यादा करते थे।

आर्यन को drawing का शौक था।
क्लास में चलते हुए उसके हाथ हमेशा pencil से स्याही भरे रहते।
काव्या के पास हमेशा एक छोटी diary होती थी,
जिसमें वो अपने ख़्याल लिखती रहती —
“लोग बातों से पहचान बनाते हैं, मैं खामोशियों से।”

दोनों एक-दूसरे से कम बोलते, पर जब भी नजरें मिलतीं,
ऐसा लगता जैसे पुराने दोस्त हों जो शब्दों से आगे जुड़ चुके हैं।


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एक दिन क्लास में teacher ने नया प्रोजेक्ट दिया —
“Your Dream Board” — जिसमें सबको अपने सपनों को poster में दिखाना था।
Front bench वाले हँसी-खुशी रंग भरने लगे।
किसी ने doctor, किसी ने engineer, किसी ने pilot बनाया।

आर्यन ने एक blank page पर सिर्फ़ एक डिजाइन बनाया —
एक खुला रास्ता, और लिखा, “Still searching.”
काव्या ने अपनी diary से कुछ पन्ने फाड़े और उन पर लिखा —

> “सपने देखना आसान है, पर उन्हें सच करने के लिए जो नींद टूटती है, वही असली मेहनत है।”



जब submission का वक्त आया, teacher ने काव्या का board देखा और हँस दीं,

> “काव्या, ये तो poetry है, art नहीं।”
क्लास हँस पड़ी, लेकिन आर्यन नहीं।
वो आगे बढ़ा और बोला,
“कभी-कभी शब्द सबसे खूबसूरत रंग होते हैं।”



क्लास चुप हो गई।
उस दिन पहली बार काव्या ने उसे थोड़ा अलग नज़रिए से देखा।


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धीरे-धीरे दोनों दोस्त बन गए।
हर lunch break में दोनों last bench पर बैठकर अपने सपनों की बातें करते।
काव्या कहती, “लोग हमें पीछे बैठने वाला समझते हैं, पर असल में हम दुनिया को पीछे से देख रहे होते हैं।”
आर्यन हँसकर कहता, “पीछे बैठे लोग ही आगे का सोचते हैं।”

उनकी बातें छोटी थीं, लेकिन हर बात में गहराई थी।
और शायद… थोड़ा रहस्य भी।


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एक दिन काव्या absent थी।
एक नहीं, दो दिन, तीन दिन… पूरे हफ्ते वो नहीं आई।
आर्यन ने diary में note किया —

> “आज पहली बार last bench खाली लग रही है।”



अगले सोमवार जब वो लौटी, तो शांत थी।
उसकी आँखों में थकान थी, और मुस्कान थोड़ी कमजोर।
आर्यन ने पूछा — “सब ठीक है?”
वो बोली — “हाँ, बस थोड़ा वक़्त चाहिए।”
आर्यन ने कुछ नहीं कहा, बस एक sketch बना डाली —
एक लड़की जो diary के पन्नों में छिपी है।

वो sketch देखकर काव्या मुस्कुराई,
पर उस मुस्कान में कुछ छिपा हुआ था —
जैसे कुछ कहना चाहती हो पर कह न पा रही हो।


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Farewell का दिन आया।
सभी selfies ले रहे थे, future की बातें कर रहे थे।
काव्या ने आर्यन को diary दी और बोली,

> “अगर कभी कुछ समझ न आए, तो इसे पढ़ लेना।”
आर्यन ने कहा, “तू कहाँ जा रही है?”
वो बोली, “कभी-कभी कुछ जवाब मिलने में वक़्त लगता है।”



आर्यन समझ नहीं पाया।
वो बस मुस्कुराई और चली गई।


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कुछ हफ्तों बाद जब result आया,
आर्यन को खबर मिली — काव्या अब इस शहर में नहीं है।
किसी ने कहा वो दूसरे देश चली गई,
किसी ने कहा वो अब लिखती नहीं।
पर किसी को सही नहीं पता था।

आर्यन ने उसकी दी हुई diary खोली।
आखिरी पेज पर लिखा था —

> “अगर कभी मेरी आवाज़ सुननी हो,
तो अपनी खामोशी में ढूँढ लेना।
क्योंकि मैं वहीं हूँ — हर उस बात में
जो तुमने कभी किसी से नहीं कही।”



वो पन्ना आँसुओं से भीग गया।
और वहीं से शुरू हुई Last Benchers की वो कहानी —
जो अब सिर्फ़ याद नहीं, एक रहस्य बन चुकी थी।