Shrapit ek Prem Kahaani - 4 in Hindi Spiritual Stories by CHIRANJIT TEWARY books and stories PDF | श्रापित एक प्रेम कहानी - 4

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 4



अघोरी कहता  है ----


तुझे ये मणि शुद्ध करना होगा और तेरा कार्य पूर्ण होगा और तु श्राप से मुक्त हो जाएगा ।




 दक्षराज कहता है ।



दक्षराज ---- इंसान का रक्त बाबा ?



 अघोरी कहता है ।




बाबा ---- ह़ा़ दक्ष इंसान के छाती का रक्त। ! और वो भी किसी ऐसे इंसान की जो पूर्णिमा तिथि के रोहिणी नक्षत्र के बरियान योग में जन्मा हो । ऐसे इंसान की तलाश करके तुझे उसके रक्त से मेघ मणि को अभिषेक करना होगा । क्योकी ये देत्य मणी है और देत्य मणी केवल रक्त से ही शुध्द होती है दक्षराज ।




अघोरी  की बात सुनकर दक्षराज कहता है ।



दक्षराज ---- बाबा पर ऐसा इंसान मुझे कहाँ मिलेगा ?



 तब अघोरी हल्की मुस्कान के साथ कहता है ।




बाबा ---- मुझे एक ऐसे लड़के के बारे मे जानकारी है । भानपुर के इंद्रजीत का बेटा एकांश । 



अघोरी गुस्से से कहता है ।




बाबा---- दक्षराज तू मेरा भक्त है और तूने मेरा हर कार्य में बहुत साथ दिया है, इसिलिए में तेरे इस अनुचित कार्य में साथ दे रहा हूँ और एक निश्पाप मनुष्य के बारे में बता रहा हूं । जिसके लिए शायद  मेरे भोलेनाथ कभी मुझे माफ नहीं करेंगे ।





अब तू जा और अपने कार्य में लग जा क्योंकि तुम्हारे पास अब सिर्फ तीन माहिना ही शेष है । अब तु जा ----और मुझे कुंम्भन के बारे मे और जानकारी प्राप्त करनी है के वो यहां क्यों और किस लिए आया है ।




 इतना बोलकर अघोरी बाबा फिरसे अपनी आंखे बंद करके ध्यान में चले जाते हैं । और दक्षराज भी अघोरी को प्रणाम करके वहा से चला जाता है ।




इधर भानपुर स्टेशन पर इंद्रजीत अपने वफादार गिरी के साथ अपने बेटे एकांश का इंतजार कर रहा था । जो लंदन से अपनी डॉक्टर की पढ़ाई पूरी करके छ: साल बाद अपने घर वापस आ रहा था। जिसकी खुशी इंद्रजीत के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी । ट्रेन के आने में अभी भी पंद्रह मिनट की दैरी थी । 




वही उसी स्टेशन पर चट्टान सिंह भी अपनी बेटी वृंदा को लेने उसी स्टेशन पर आया हुआ था । वृंदा भी अपनी डॉक्टर की पढ़ाई पूरी करके आज अपने घर वापस लौट रही थी । तभी वही पर खड़ा स्टेशन मास्टर की नज़र इंद्रजीत पर पढती है तो वो दौड़ कर इंद्रजीत के पास आता है और कहता है ।




स्टेशन मास्टर ----- सर आप यहाँ  ? कोई आने वाला है क्या ! आए ना सर, आप बाहर क्यों खड़े हो अंदर आके बेठिये ।



 इंद्रजीत कहता है ।




इंद्रजीत --- अरे नहीं कोई बात नहीं मै यहाँ ठीक हूँ , आप टेंशन मत लिजिये ।



 स्टेशन मास्टर फिर इंद्रजीत से पुछता है । 




स्टेसन मास्टर ---- क्या कोई खास आने वाला है ? 




इंद्रजीत स्टेशन मास्टर के कंधे पर हाथ रख कर कहता है ।




इंद्रजीत --- हाँ...! आज मेरा बेटा एकांश डॉक्टर बन कर आ रहा है । 




स्टेशन मास्टर भी खुशी से कहता है ।




स्टेसन मास्टर -----क्या एकांश बाबा आ रहे हैं। इसका मतलाब अब गांव में जो अस्पताल आप बनवा रहे हो उसके लिए डाक्टर आ रहें है और उसमे अब सबका इलाज भी होगा ।




 इंद्रजीत स्टेसन मास्टर की बात को अनसुना कर देता है वो कुछ नहीं बोलता है । तभी गिरी आके स्टेशन मास्टर से कहता है । 




गिरी ---- सर आप टेंशन मत लिजिये आज मालिक का ध्यान सिर्फ ट्रेन की और है । जब तक ट्रेन नहीं आ जाती मालिक किसी की नहीं सुनेंगे । 




इतना बोलकर गिरी हंसने लगता है ।




गिरी --- हा हा हा हा हा । 




तभी वहा गुना और चतुर भी नाचते हुए आता है । दोनो ही एकांश के आने की खुशी मे नाचने लगता है । और अपने साथ बैंड बाजा लेकर आता है पर इंद्रजीत को देख कर दोनो ही बैंड वाला को इशारे से बाजा बंद करने को कहता है और वही गिरी के पास चुप चाप खड़ा हो जाता है । 





गुना धीरे से फूस फूसाते हूए गिरी से पुछता है ।




गुना ---- गिरी चाचा ट्रेन कब तक आएगी ? 




गुना के इतना कहते हैं वहाँ ट्रेन की हॉर्न की आवाज आने लगती है । हॉर्न की आवाज धीरे-धीरे तेज होती जा रही थी, और अब सभी को ट्रेन दिखई देने लगता है। ट्रेन को देख कर सभी के चेहरे पर एक खुशी आ जाती है। और सभी ट्रेन को ही देखे जा रहे था। ट्रेन स्टेशन में आ कर रुक जाती है ।

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 इंद्रजीत और बाकी सब एकांश को लोगो की भीड़ मे से ढूंढने लगते है । चट्टान सिंह भी अपनी बेटी वृंदा को ईधर उधर बेसब्री से देखने लगता है । तभी एकांश ट्रेन के गेट से निकलता है । एकांश एक गौरे रंग के फिट बॉडी का एक हैंडसम लड़का है जिसकी लम्बाई पाँच फूट दस इंच है । एकांश उतर कर ईधर उधर अपने पापा को देखता है । गूना और चतूर ऐकांश को देखकर खूश हो जाता है पर इंद्रजीत के डर से वो बाजे वाले को बजाने का इशारा नहीं कर पाता है । 




तभी इंद्रजीत कहता है ।




इंद्रजीत ---- तुम लोग ऐसे खड़े क्यों हो  बजाओ बाजा । 




इंद्रजीत के इतना कहते ही गुना और चतुर खुशी से बाजा ले कर नाचते हुए एकांश के पास जाता है और ऐकांश को गले लगाने जाता है के तभी पिछे से एक लड़की जो वृंदा थी एकांश को धक्का देकर निकलती है जिससे एकांश लड़खड़ा जाता है वृंदा पिछे मुड़कर कहती है । 




वृंदा ----- बेवकूफ़ बिच रास्ते में खड़ा हैं ।




 वृंदा एक बहुत ही खूबसुरत और गौरी लड़की है । वृंदा अपने पापा चट्टान सिंह के पास जाती है और कहती है । 



वृदां ---- हाय .. पापा । 




चट्टान सिंह कहता है । 




चट्टान -----  मेरा बच्चा ..! 




इतना बोलकर चट्ट।न सिंह वृंदा को गले लगा लेता है । कैसी हो मेरी बच्ची ? आने में कोई समस्या तो नहीं हुई ? वृंदा कहती है । नहीं पापा कोई समस्या नहीं हुई है और मैं बिल्कुल ठीक हूं । 




इतना बोलकर वृंदा एकांश की और देखती है एकांश भी वृंदा को देखता है और अपने दोस्तों से गले मिलते हुए कहता है ।




एकांश ---- कौन है ये तूफ़ान एक्सप्रेस ?



चतुर भिन्नाकर कहता है ।




चतुर --- और कोन होगी हमारी चट्टू की बेटी । जैसा बाप वैसी बेटी । 




एकांश हल्की मुस्कान के साथ कहता है ।





एकांश क्या.... ? ये वृंदा थी ? 




तभी गुना एकांश को कोनी मारते हुए कहते हैं । 





गुना ----अरे वाह यार तुमने तो वृंदा को झट से पहचान लिया । लंडन मे  सिर्फ वृंदा को ही याद करता था क्या ?



 इतना बोलकर सभी हंसने लगते हैं, एकांश गुना और चतुर से पुछता है । 




एकांश ----- ये आलोक कहा रह गया । वो नहीं आया क्या ? 




तभी इंद्रजीत वहा आ जाता है । इंद्रजीत को देखकर एकांश उनके पास जाता है और फिर छुकर उन्हें प्रणाम करता है । इंद्रजीत एकांश को उठाकर गले लगा लेता है फिर गर्व से देखता है और अपनी दौनो हाथो से एकांश के बाजू को पकड़ कर कहता है ।




इंद्रजीत ----- कैसे हो बेटा ? 




एकांश कहता है एकदम फिट हुँ पापा । 




ऐकांश ----मैं बिल्कुल ठिक हूँ । आप कैसे हो ?




 इंद्रजीत कहता है । 




इंद्रजीत ---- दैखो एकदम फीट बेटा । 



 एकांश गिरी को देखता है ।



एकांश ---- कैसे हो गिरी चाचा ? 




गिरी हल्की मुस्कान के साथ कहता है ।




गिरी ---- मै बिलकुल ठीक हूँ एकांश बाबा ।




 गिरी एकांश से कहता है । 



गिरी ---अब घर चलो एकांश बाबा वहा सब आपका इंतजार कर रहा है । 




तभी चतुर आ कर एकांश के कान में कहता है ।



चतुर ---- शाम को मिलते हैं अपनी वही पुरानी अड्डे में । 


एकांश हल्की मुस्कान के साथ हाँ में अपना सर हिलाता है और कार में वही से घर की और जाने लगता है । जैसी ही गाड़ी भानपुर पहूँचने वाली होती है के अचानक गाड़ी रुक जाती है । गाड़ी रुकने के बाद गिरी इंद्रजीत से कहता है ।




गिरी ---- मालिक हम मंदिर पहुँच गए ।



 गिरि की बात सुनकर इंद्रजीत एकांश की और देखता है और कहता है । 



इंद्रजीत ----आओ बेटा ।




 एकांश इंद्रजीत से पुछता है ।




एकांश ---- पापा यहां कहाँ ? 




इंद्रजीत हल्की मुस्कान के साथ कहता है ।




इंद्रजीत ---- यहां एक मां काली का मंदिर है बेटा, यहां के पुजारी जिसे सभी साधु बाबा कहते हैं उन पर मां की बहुत कृपा है । वो सबकी दुख दूर कर देते हैं । आज इस गांव में जो भी सुख शांति है वो इन्हीं के कारण है । ये इंसान को देखते ही उसके आने वाले खतरों को बताता है । इसिलिए में तुमे यहाँ लेकर आया हूँ । आओ बेटा , उनका आशीर्वाद ले लो ।




इतना बोलकर दोनो ही अपने जूते उतार कर मंदीर के अंदर चला जाता है । अंदर जा कर एकांश देखता है के एक लाल वस्त्र पहने सफेद दाड़ी वाला एक साधु वहा पर बैठा था । इंद्रजीत पहले उस बाबा को प्रणाम करता है और कहता है । बाबा ये मेरा बेटा एकांश है जो आज ही लंदन से डॉक्टर की पढ़ई पूरी करके आया है और अब गांव के अस्पताल को यही चल़ाएगा । साधु बाबा एकांश की और देखता है और कहता है। इंद्रजीत...!



तेरा बेटा बहुत भाग्यवान है वो इस गांव के लिए ही बना है, जो इस गांव का भाग्य बदल देगा । इसका मन बहुत पवित्र है । इंद्रजीत तुम इसकी चिंता मत करो इसके साथ मेरे मां काली की कृपा है । पर एक बात है इंद्रजीत...! इंद्रजीत साधु बाबा की बात सुनकर डर जाता है और बाबा से झट से पुछता है । क्या बाबा ? साधु बाबा कहता है आज से तीन माहिना तक मतलब जन्माष्टमी तक इसका मृत्यु योग चलेगा ।


To be continue....40