Antara - 1 in Hindi Travel stories by Raj Phulware books and stories PDF | अंतरा - भाग 1

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अंतरा - भाग 1


🌸“अंतरा”भाग १

विल्सन अब अपने रेगुलर जॉब से ऊब चुका था।
तीन घंटे काम, घर लौटना, खाना और फिर सो जाना — यही उसकी दिनचर्या थी।
उसे अपनी ज़िंदगी में कुछ नया, कुछ रोमांच चाहिए था।
एक दिन उसने अचानक फैसला किया —
वो अपना सामान पैक करके मुंबई जाएगा।

वो अमेरिका में रहता था, इसलिए यात्रा लंबी थी,
लेकिन एक दिन में वह मुंबई पहुँच गया।
विल्सन ने ताज होटल में ठहरने का निश्चय किया।
हर सुबह वह अपना कैमरा लेकर गेटवे ऑफ़ इंडिया चला जाता,
जहाँ वह तस्वीरें खींचता, लोगों को देखता,
और शहर के रंगों में खो जाता था।


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🌆 अंतरा का संघर्ष

अंतरा जब पहली बार मुंबई आई थी,
तो उसके साथ उसका परिवार भी था —
पिता और बड़ा भाई, जो साइट पर मजदूरी करते थे।
दोनों बिल्डिंग के बाहर प्लास्टर का काम करते थे।

एक दिन हादसा हो गया।
पिता का बैलेंस बिगड़ा, और उन्हें बचाने के चक्कर में
भाई भी नीचे गिर गया।
दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।

अंतरा के लिए मुंबई में ज़िंदा रहना अब बेहद मुश्किल हो गया।
महिमा, उसकी एक दोस्त, उसे अपने साथ मुंबई के माहीम में रहने ले गई।
लेकिन हर दिन का खर्च बढ़ रहा था,
और घर में मां की दवा व खाने का इंतज़ाम करना भारी पड़ रहा था।


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📸 नई राह

एक दिन अंतरा गेटवे ऑफ़ इंडिया पर यूँ ही टहल रही थी।
उसने देखा कि कुछ लोग लोगों की तस्वीरें खींचकर पैसे कमा रहे हैं —
“एक फोटो सिर्फ़ 30 रुपये में — मोबाइल या हार्ड कॉपी दोनों में।”

वह सोच में पड़ गई —
“शायद यही मेरे लिए रास्ता हो।”

उसने जितना भी पैसा बचा था,
उसे जोड़कर ₹30,000 का एक कैमरा खरीदा
और तस्वीरें खींचने का काम शुरू कर दिया।

धीरे-धीरे उसे काम मिलने लगा।
मां की दवा, किराया और खाने का खर्च चलने लगा।
मुंबई अब थोड़ा कम बेरहम लगने लगी थी।


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💞 विल्सन और अंतरा

विल्सन रोज़ की तरह उस दिन भी गेटवे पर तस्वीरें ले रहा था,
जब उसकी नज़र पहली बार अंतरा पर पड़ी।
वह उसे देखता ही रह गया —
उसकी सादगी, उसके चेहरे की थकान, और आंखों की गहराई
सब कुछ उसे मोह लेने लगा।

वह बिना बताए उसकी तस्वीरें खींचने लगा।
जब उसने तस्वीर दिखाने की कोशिश की,
तो अंतरा गुस्से से बोली —
“यह क्या कर रहे हैं आप? डिलीट कीजिए!”

विल्सन मुस्कुराया —
“टेंशन मत लो, बस ऐसे ही क्लिक कर लिया था।”

धीरे-धीरे दोनों के बीच बातें शुरू हुईं।
कैमरे के बहाने, मुस्कान के बहाने
उनके बीच एक रिश्ता बनने लगा।

दिन बीते, और यह पहचान प्यार में बदल गई।


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🤍 प्यार और वादा

विल्सन अब अंतरा की मां की दवाइयों का खर्च उठाने लगा।
वह उनके घर आने-जाने लगा।
अंतरा की ज़िंदगी में फिर से रोशनी लौट आई थी।

एक दिन, जब दोनों मरीन ड्राइव पर बैठे थे,
अंतरा ने धीरे से कहा —
“विल्सन... मैं प्रेग्नेंट हूँ।”

विल्सन ने उसका हाथ थामते हुए कहा —
“टेंशन मत लो।
मैं अमेरिका जाकर अपने डॉक्यूमेंट्स और ज़रूरी चीज़ें लेकर आता हूँ।
फिर मैं यहीं तुम्हारे साथ हमेशा के लिए रहूँगा।”

अंतरा की आँखों में उम्मीद की चमक थी।
वह बोली —
“ठीक है, मैं यहीं तुम्हारा इंतज़ार करूँगी।”


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🌧️ नियति की दीवार

लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।
विल्सन जब अमेरिका पहुँचा,
तो वहाँ की सरकार ने उसे भारत वापस जाने से रोक दिया।
कानूनी और वीज़ा की जटिलताएँ सामने आ गईं।
उसके पास कोई पारिवारिक सहारा नहीं था।
मुंबई लौटना अब असंभव सा लग रहा था।

विल्सन ने हर कोशिश की,
लेकिन कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।

उधर, मुंबई में अंतरा हर दिन गेटवे ऑफ़ इंडिया पर जाती,
उसी जगह खड़ी होकर समुद्र की ओर देखती —
मानो लहरों से पूछ रही हो,
“क्या वो वापस आएगा...?”


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To be continued...