Bekhouff Ishq - 5 in Hindi Love Stories by kajal jha books and stories PDF | बेखौफ इश्क - एपिसोड 5

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बेखौफ इश्क - एपिसोड 5

बेखौफ  इश्क – एपिसोड 5नई राहें, पुरानी यादें और संघर्षसंस्कार के जाने के बाद से आयाना की जिंदगी में एक खालीपन सा आ गया था। स्कूल का माहौल अब कोई नई ऊर्जा नहीं देता था। संस्कार का साथ मिस करना उसकी आदत बन चुका था। हर दिन रुक-रुक कर उसकी यादों से खुद को जोड़ती और मजबूत करने की कोशिश करती— लेकिन अंदर कहीं न somewhere दर्द गहरी घुटन की तरह मौजूद था।अकेलेपन के बाद संघर्षघर लौटते वक्त, अकेलेपन का एहसास और बढ़ गया। कोई संस्कार की गर्माहट नहीं थी। रूही की मुस्कान सहारा तो थी, लेकिन वह भी खुद अपनी मदद के लिए संघर्ष कर रही थी। आयाना ने खुद से कहा, “तुम्हें अब खुद की लड़ाई लड़नी होगी।”स्कूल लाइब्रेरी में बैठकर आयाना ने मनोविज्ञान, जीवन संघर्ष और आत्म-विश्वास पर किताबें पढ़नी शुरू कीं। वह जानती थी कि संस्कार के बिना-अंदर की मजबूती को अपनाना जरूरी है।एक दिन एक शिक्षक ने उसकी नई सोच और अभिनय के प्रयासों को नोटिस किया और उसे स्कूल के वार्षिक नाटक में भूमिका देने की बात कही। आयाना के लिए यह एक नई चुनौती थी, लेकिन उसने इस अवसर को स्वीकार किया।पुराने दिन और नए मोड़तनाव भरे इसी दौर में, संस्कार का फोन आया। उसकी आवाज़ में थकान थी, लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई थी।
“मुझे तुम्हारी मदद चाहिए,” उसने कहा। “घर में हालात बुरे हैं। पिता की हालत बढ़ रही है।”आयाना ने तय किया कि वह संस्कार का समर्थन करेगी, भले ही वे दूर हों। उसने अपनी माँ और रूही से मदद मांगी। थोड़ी अनबन के बाद, परिवार फिर से एक जुट होने लगा।संस्कार की मेडिकल जरूरतों के लिए पैसे जुटाने में आयाना और रूही ने स्थानीय समुदाय और स्कूल में अभियान चलाया। उनकी मेहनत रंग लाई। संस्कार का उपचार शुरू हो पाया।नाटक की तैयारी और आत्मविश्वासस्कूल के नाटक की rehearsals शुरू हुईं। आयाना ने पहली बार मंच पर अपने डर को पीछे छोड़ दिया। संस्कार की दूर से मिली हिम्मत ने उसे मजबूत किया था। उसने मंच पर खूब मेहनत की और धीरे-धीरे उसकी अभिनय प्रतिभा भी निखरी।संस्कार और आयाना के बीच फोन पर नियमित संपर्क बना रहा। संस्कार उसकी तारीफ़ करता और कहता, “तुम बदल रही हो, मैं तुम पर गर्व करता हूँ।”आयाना खुद भी महसूस करने लगी थी कि खुद से प्यार करना और दूसरों की मदद से खुद को समझना दोनों जरूरी हैं।रिश्तों का फिर से जुड़नाकुछ महीनों बाद, संस्कार का स्वास्थ्य सुधरने लगा। वह वापस स्कूल आने की योजना बनाने लगा। आयाना और रूही ने दोनों के लिए स्वागत की तैयारी शुरू कर दी।संस्कार को देखकर स्कूल के कई छात्र चौंक गए थे, लेकिन अब वे सब जानते थे कि यह लड़के में कितनी ताकत और समर्थन है। आयाना ने फिर से महसूस किया कि सचमुच प्यार का मतलब ‘साथ चलना’ है, चाहे हालत कैसी भी हो।अंत में नयी उम्मीदेंएपिसोड के अंतिम दृश्य में, आयाना और संस्कार स्कूल के गार्डन में बैठे थे। हवा में ठंडक थी, लेकिन दोनों की आंखों में चमक और भरोसा था।“कभी-कभी ज़िंदगी हमें अकेले छोड़ देती है,” आयाना ने कहा, “लेकिन सच्चा प्यार हमें खुद के साथ लड़ना सिखाता है।”
संस्कार ने मुस्कुराकर कहा, “और जो साथ रहते हैं, वे हर तूफान से पार पा लेते हैं।”रूही पास आई, सभी ने मिलकर मुस्कुराए। नए सपनों की शुरुआत हुई—आयाना, संस्कार और रूही का परिवार अब न सिर्फ़ ज़िंदगी बल्कि एक-दूसरे के लिए भी मजबूत था।