Bekhouff Ishq - 7 in Hindi Love Stories by kajal jha books and stories PDF | बेखौफ इश्क - एपिसोड 7

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बेखौफ इश्क - एपिसोड 7

बेखौफ इश्क – एपिसोड 7मोड़ और मुकाम: जीवन की सच्ची कसौटियाँआयाना के जीवन में अब एक नया अध्याय शुरू हो चुका था। संस्कार के दिल्ली जाने के बाद भी, उसकी यादों और सपनों ने उसे कमजोर नहीं बल्कि अधिक मजबूत बनाया था। उसकी जिंदगी में अब एक ऐसा बदलाव आया था, जो केवल बाहर की दुनिया से नहीं, बल्कि भीतर के संघर्ष से आया था।अकेलेपन से लड़ाईस्कूल के रास्ते पर हर दिन सूनी सी लगने लगी थी। दोस्तों की बातों में वह अब खुद को शामिल नहीं कर पाती थी। संस्कार की अनुपस्थिति ने उसे कभी-कभी टूटन महसूस कराई, लेकिन उसने हार नहीं मानी। खुद को मजबूत बनाने के लिए आयाना ने नई आदतें अपनाईं—योग, ध्यान और खुद के साथ संवाद।रूही ने उसे लगातार प्रोत्साहित किया, और कहती, “ये वक्त भी गुजर जाएगा। तुमने खुद को साबित कर दिखाया है।”संस्कार की नई चुनौतियाँदिल्ली में संस्कार की जिंदगी भी आसान नहीं थी। कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ वह अपनी मां की देखभाल करता था। उसकी दिनचर्या थकाऊ थी, लेकिन संस्कार ने हार नहीं मानी। उसे पता था कि आयाना उसके लिए उम्मीद की किरण है।संस्कार ने नए दोस्त बनाए, नए अनुभव लिए, लेकिन उसके दिल में हमेशा आयाना और घर की याद बनी रहती थी। वह भी अपनी परेशानियों को खुद से लड़ने लगता।नयी दोस्ती और सपनों का फैलावस्कूल में आयाना ने एक्टिंग क्लब की अध्यक्ष वह बनी। उसने स्क्रिप्ट लेखन और निर्देशन में भी हाथ आजमाया। पर उसकी असली कहानी तब घटनाएं हुईं जब एक नई छात्रा, मेघना, आयाना के जीवन में आई। मेघना में ऐसे गुण थे जो आयाना को पसंद आए—उसकी निडरता, स्पष्टवादिता और संवेदनशीलता।मेघना की दोस्ती ने आयाना को बहुत कुछ सिखाया। दोनों ने मिलकर नए नाटकों पर काम किया और समाज में महिलाओं की स्थिति पर जागरूकता फैलाने की ठानी।परिवार और रिश्तों का नया रंगमाँ की तबियत धीरे-धीरे ठीक हो रही थी, और घर में भी बदलाव था। पिता भी अब आयाना की समझदारी और मजबूती को मानने लगे थे। रूही की पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी, और वह भी परिवार की नई जिम्मेदारियों को समझ रही थी।परिवार में अब खुलापन और प्यार था, जो लंबे समय से गायब था। यह बदलाव आयाना के दिल को नई तसल्ली और शक्ति दे रहा था।संस्कार का अचानक आगमनएक दिन संस्कार अचानक घर लौट आया। उसका चेहरा थका हुआ था, लेकिन उसकी आँखों में एक नई चमक थी। उसने बताया कि दिल्ली में उसके पिता का स्वास्थ्य बिगड़ गया था और वह इलाज के बाद समस्या को एक नई दिशा देने के लिए वापस आया है।इस अचानक वापसी ने परिवार में खुशी के साथ-साथ कुछ अनसंदेह सवाल भी खड़े कर दिए।संस्कार और आयाना की मुलाकात में एक अजीब सी हवा थी—पुरानी यादें, नई उम्मीदें और कुछ अधूरी बातें।समझदारी और संवादसंस्कार और आयाना ने बेहतर संवाद शुरू किया, जिसमें उन्होंने अपने डर, अपनी भावनाओं और सपनों को खुलकर साझा किया। दोनों ने अपने रिश्ते को बचाने और मजबूत बनाने का वादा किया।संस्कार ने कहा, “हमें अपने डर और असफलताओं से डरे बिना एक-दूसरे का सहारा बनना होगा।”
आयाना ने हिम्मत जुटाते हुए जवाब दिया, “हम साथ हैं, तो कोई मुश्किल हमें नहीं हरा सकता।”भविष्य की ओर कदमस्कूल का वार्षिक समारोह था, और आयाना ने नाटक में मुख्य भूमिका निभाई। संस्कार भी समारोह में शामिल हुआ। दोनों के बीच की दूरी अब कम हो रही थी।आयाना ने मंच से एक कविता पढ़ी—
“हर दर्द के बाद एक चाबी होती है,
जो बंद दरवाज़ों को खोलती है।
हमारा साथ वह चाबी है,
जो हर दरवाजा खोल देगा।”सभी ने तालियाँ बजाईं, और परिवार ने एक नए सिरे से जुड़ने का जश्न मनाया।