kya accha hai in Hindi Poems by Sweta Pandey books and stories PDF | क्या अच्छा है?

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क्या अच्छा है?

लेखक की कलम से:

                        यह कविता जीवन के उन क्षणों की बात करती है जब मन खुद से सवाल करता है। मनुष्य के भीतर छिपे उन सवालों को उजागर करती है जो हर संवेदनशील हृदय कभी न कभी महसूस करता है।
क्या उम्मीद बनाए रखना ही सुख है या उसे छोड़ देना शांति देता है? शायद हर उत्तर हमारे भीतर ही छिपा है — बस हमें सुनना सीखना होता है। यह कविता सपनों, उम्मीदों और मन की असहजता के बीच उठते सवालों की गूंज है।
☪ शायद हर पाठक अपने मन में इसका उत्तर खोजेगा — “क्या अच्छा है?”

                                                                          

                                                                                   क्या अच्छा है?

सपनों को आखों तक लाकर,

आंसू जैसे बहने देना, क्या अच्छा है?

अँधियारे कोने में मन की,

आग सुलग कर जलने देना, क्या अच्छा है?

जिसकी आज प्रतीक्षा है वो,

कल आकर प्रत्यक्ष मिलेगा ।

इस आशा को फलने देना, क्या अच्छा है?

कीचड़ की धुंधली धरती में,

बादल का प्रतिबिंब दिखेगा ।

सूरज की किरणों सा प्रतिदिन,

नया नया आरम्भ मिलेगा ।

चंदा की शीतलता के संग,

शीतल मन का व्योम मिलेगा ।

अपनी इच्छा के धागों को,

ऐसे लट में फसने देना, क्या अच्छा है?

सूने घट को भरकर जल से,

अम्बर का दर्पण बन जाना, क्या अच्छा है?

आवेशित अंतर्मन रखकर,

जग को सीमाएँ सिखलाना, क्या अच्छा है?

अनुचित संदेहों से सत् की,

आँख मिचौली चलने देना, क्या अच्छा है?

जीवन की रचनाओं को अब,

नया नया विस्तार मिलेगा ।

अम्बर में उड़ने के अपने,

सपनों को आकार मिलेगा ।

अपनी इच्छाओं को खुल के,

जीने का अधिकार मिलेगा ।

अपनी मर्जी को अपनी ही,

साँसों में अटकाए रखना, क्या अच्छा है?

एहसासों से लड़कर अपने,

भावों को भरमाए रखना, क्या अच्छा है?

अपने मकसद को बेगानी,

 बातों में उलझाए रखना,क्या अच्छा है?

आजादी जिसका लक्षण है,

उसका ही अनुमोदन होगा ।

अपनी मर्जी से जो जी ले,

उतना ही बस जीवन होगा ।

अनुशासन जो मन का हो,

बस उसका ही पालन होगा ।

ऐसे संकल्पों से सजकर,

सत्ता का बन्दी हो जाना,क्या अच्छा है?

अच्छी-अच्छी यादों को तज,

खोए-खोए सपने जीना, क्या अच्छा है?

अपनी इच्छाओं से लड़कर,

औरों की मर्जी अपनाना, क्या अच्छा है?

सब सुन के सब समझ के फिर भी,

कोई साहस न कर पाना, क्या अच्छा है?

ऊंचे सपने आंख सजाकर,

खुद पर ही संदेह जताना,क्या अच्छा है?

इतने सारे प्रश्नों के संग,

इक उत्तर की आस लगाना,क्या अच्छा है?

सबके अपने अपने गम हैं,

अपनी अपनी इच्छाएं हैं ।

अपना अपना जीवन है और,

अपनी अपनी चिंताएं हैं ।

सब कोई अपनेपन में हैं,

कौन बताए क्या अच्छा है?

मेरा अपना अंतर्मन भी,

न समझाए, क्या अच्छा है?      

        •~•~•