Diware Todti Mohabbat - 14 in Hindi Love Stories by ADITYA RAJ RAI books and stories PDF | दीवारें तोड़ती मोहब्बत - 14

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दीवारें तोड़ती मोहब्बत - 14


शीर्षक: प्रिया का दफ्तर: अतीत का ज़हर और बलिदान का सच

अगले दिन, अनायरा ने अपनी सबसे पुरानी और सबसे महंगी साड़ी पहनी। यह साड़ी उसे उसकी माँ ने दी थी, और अनायरा इसे तब पहनती थी जब उसे सबसे ज़्यादा साहस की ज़रूरत होती थी। उसने वीर को एक दिन का समय लिया था, और वह जानती थी कि उसे यह लड़ाई अकेले लड़नी होगी—अपनी बहन के लिए और अपने प्यार के लिए।

अनायरा, प्रिया के आलीशान कॉर्पोरेट दफ़्तर पहुँची। दफ़्तर की भव्यता और दिखावा, अनायरा की सादगी के ठीक विपरीत था। प्रिया, जो अब 'आर.के. चैरिटेबल ट्रस्ट' की वारिस थी, अपनी महँगी कुर्सी पर बैठी थी। उसके चेहरे पर बरसों का गुस्सा और विजय का भाव था।

"स्वागत है, अनायरा," प्रिया ने ज़हर-घुली मुस्कान के साथ कहा। "कैसी लग रही हूँ मैं? क्या यह 'करोड़ों की ज़िंदगी' तुम्हें पसंद आई? यह वही ज़िंदगी है, जो तुमने रिया को देकर मुझसे छीन ली थी।"
अनायरा ने सीधे उसकी आँखों में देखा। "हम यहाँ इल्ज़ाम लगाने नहीं आए हैं, प्रिया। हम यहाँ सच जानने आए हैं। तुम वीर का प्रोजेक्ट क्यों बर्बाद कर रही हो? वह रिया का सपना था।"

"रिया का सपना?" प्रिया ज़ोर से हँसी। "रिया ने तुम्हें यह कहानी सुनाई होगी! रिया के लिए वह ज़मीन सिर्फ़ एक औज़ार थी। रिया ने यह ट्रस्ट बनाया था, ताकि तुम्हारी तरह कोई गरीब, लालची इंसान मेरे आसपास न फटक सके! रिया जानती थी कि तुम पैसों के लिए कुछ भी कर सकती हो।"

अनायरा का दिल टूट गया। वह समझ गई कि रिया ने प्रिया को बचाने के लिए, खुद को बुरा बनने दिया था और अनायरा के बलिदान को छिपाया था।
"प्रिया! रिया ने तुम्हें मुझसे बचाने के लिए यह कहानी बनाई थी। रिया ने मेरी मदद की थी ताकि मैं तुम्हें अमीर और सुरक्षित माहौल दे सकूँ। मैंने तुम्हें रिया को सौंपकर, अपने जीवन का सबसे बड़ा बलिदान दिया था, ताकि तुम गलियों की धूल न बनो! मैंने रिया को वचन दिया था कि मैं तुम्हें कभी नहीं बताऊँगी कि मैं तुम्हारी असली बहन हूँ।"

प्रिया का चेहरा सख़्त हो गया। "झूठ! तुम रिया को अमीर देखकर जलती थी! रिया ने खुद मुझे बताया था कि तुम मुझसे नफ़रत करती थी, क्योंकि मैं उसके सारे पैसे और प्यार लेती थी! और रिया ने ही मुझे बताया था कि तुम मेरे जीवन में शैतान की तरह आई थीं, और उसे मुझसे दूर ले जाना चाहती थीं!"

अनायरा ने मेज़ पर झुककर, अपनी आवाज़ को नम लेकिन दृढ़ किया। "रिया ने ऐसा कहा, क्योंकि वह तुम्हें सुरक्षित रखना चाहती थी, प्रिया। वह नहीं चाहती थी कि तुम जानो कि तुम्हारी असली बहन को तुम्हें छोड़ने के लिए कितना बड़ा त्याग करना पड़ा।"

प्रिया ने अपना फ़ोन उठाया और ओबेरॉय द्वारा खींची गई तस्वीरें अनायरा के सामने फेंक दीं—साइट पर वीर और अनायरा की नज़दीकी वाली तस्वीरें।

"यह तुम्हारा त्याग है, अनायरा? तुम रिया के पति को बहका रही हो! तुम रिया की जगह लेना चाहती हो! तुम वीर को मेरे ख़िलाफ़ कर रही हो!"

"वीर को किसी ने मेरे ख़िलाफ़ नहीं किया है, प्रिया। तुम खुद कर रही हो!" अनायरा अब चिल्लाई। "वीर और मेरा रिश्ता प्यार पर आधारित है, न कि रिया के पैसे या तुम्हारे बदले पर। तुम रिया को प्यार करती थी, तो उसके सपने को क्यों मार रही हो?"

प्रिया की आँखें आँसुओं से भर गईं, लेकिन उसने अपने को संभाल लिया। "रिया का सपना... रिया का सपना पूरा होगा, अनायरा। लेकिन तुम्हारे बिना।"
"ठीक है," अनायरा ने साहस जुटाया। "मैं वीर को छोड़ दूँगी। मैं तुम्हारा शहर और उसकी ज़िंदगी हमेशा के लिए छोड़ दूँगी। यह मेरी शर्त है। लेकिन बदले में, तुम अभी वीर को ज़मीन के सारे क़ानूनी कागज़ात वापस करोगी। तुम रिया के सपने को मरने नहीं दोगी। यह मेरी अंतिम माँग है, प्रिया।"

प्रिया ने एक पल के लिए अपनी बड़ी बहन की आँखों में देखा। उस आँख में बरसों का दर्द और आज भी उसी के लिए किया जा रहा त्याग दिखाई दिया। प्रिया ने पहली बार महसूस किया कि शायद वह ग़लत थी।
प्रिया ने अचानक अपनी असिस्टेंट को बुलाया और कागज़ात पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा। "ठीक है, अनायरा। वीर को ज़मीन वापस मिलेगी। लेकिन तुम आज शाम तक शहर छोड़ दोगी।"

वीर का शक और एक नया मोड़

इसी बीच, वीर अपनी माँ, श्रीमती सुमित्रा देवी, के पास पहुँचा था। वह जानता था कि रिया के गुप्त ट्रस्ट के पीछे कोई बड़ा राज़ है, और वह अपनी माँ पर शक कर रहा था, क्योंकि वह हमेशा रिया को नापसंद करती थीं।
"माँ, क्या आपको 'आर.के. चैरिटेबल ट्रस्ट' के बारे में कुछ पता है?" वीर ने सीधे पूछा।
सुमित्रा देवी का चेहरा पीला पड़ गया। "मुझे कुछ नहीं पता! रिया की बातों में मत आना। वह हमेशा नाटक करती थी।"

"नाटक? रिया ने मेरे लिए 'फ़ैमिली होम' डिज़ाइन किया, और आप कह रही हैं नाटक?"

सुमित्रा देवी को लगा कि रिया का सच सामने आ सकता है। उन्होंने तुरंत वीर से ध्यान भटकाने की योजना बनाई।

"तुम्हारे लिए एक और ज़रूरी बात है, वीर। रिया के ट्रस्ट के कागज़ात मैंने देखे थे। उस ट्रस्ट में एक और clause है—रिया चाहती थी कि तुम कभी भी किसी डिज़ाइनर, खासकर अनायरा से शादी न करो। उसने लिखा था कि अनायरा जैसी महत्वाकांक्षी लड़कियाँ केवल पैसे के लिए तुम्हें बर्बाद करेंगी।"

यह बात सुनकर वीर स्तब्ध रह गया। रिया ने अनायरा के बारे में इतनी नकारात्मक बात क्यों लिखी होगी, जबकि वह उसकी प्रतिभा की इतनी तारीफ़ करती थी?


वीर अपने ऑफ़िस की तरफ़ भागा, जहाँ अनायरा उसका इंतज़ार कर रही होगी।
इधर, अनायरा, प्रिया से कागज़ात लेकर सीधे वीर के पास जा रही थी। उसने रिया का सपना बचा लिया था, लेकिन अब उसे अपना प्यार छोड़ना होगा।
जब अनायरा वीर के ऑफ़िस पहुँची, तो वीर का चेहरा सख़्त था।

"तुमने ज़मीन के कागज़ात कैसे वापस लिए, अनायरा?" वीर ने गुस्से में पूछा। "तुम प्रिया को जानती थी, है न? रिया ने अपनी वसीयत में लिखा था कि तुम्हें मुझसे दूर रहना चाहिए। क्या तुम रिया के जाने के बाद भी मेरा पीछा नहीं छोड़ रही हो?"
अनायरा के हाथ से कागज़ात गिर गए। वह वीर को बताना चाहती थी कि वह प्रिया की बहन है, और उसने रिया की इच्छा पूरी करने के लिए खुद को दूर करने का वादा किया है।
तभी, प्रिया, जो पीछे-पीछे आई थी, कमरे के दरवाज़े पर खड़ी होकर चिल्लाई, "नहीं, वीर! रिया ने कभी अनायरा को दूर रखने की बात नहीं की थी! रिया ने वह clause इसलिए लिखा था, क्योंकि वह चाहती थी कि तुम सुमित्रा देवी के जाल में न फँसो!"

वीर, अनायरा और प्रिया तीनों सदमे में थे। क्या सुमित्रा देवी ने ही रिया के ट्रस्ट में हेरफेर किया था? और क्या रिया ने जानबूझकर अनायरा के ख़िलाफ़ लिखा था ताकि कोई उससे शादी न करे, जबकि वह जानती थी कि अनायरा ही उसके लिए सही है? क्या वीर की माँ ही सबसे बड़ी विलेन थी, जिसने रिया और अनायरा दोनों को फँसाया था?