The race before the mask in Hindi Motivational Stories by Miss Chhoti books and stories PDF | मास्क से पहले की दौड़

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मास्क से पहले की दौड़


समय: वर्ष 2019, फरवरी का महीना।

अहमदाबाद का एक व्यस्त ऑफिस एरिया।
सुबह के आठ बजे थे। सूरज की सुनहरी किरणें अभी मुश्किल से शहर को छू रही थीं, लेकिन प्रतीक के लिए यह समय गति का था। उसने जल्दी में ब्रेड पर जैम लगाया, कॉफी मग में भरी और लैपटॉप बैग कंधे पर टाँगा।

"अगर आज ट्रैफिक जाम नहीं हुआ तो पंद्रह मिनट में पहुँच जाऊँगा," वह खुद से कह रहा था।

उसने कार स्टार्ट की और रोड पर निकल पड़ा। कार के अंदर उसका मन आने वाले दिन के टास्क की सूची बनाने में व्यस्त था। फोन पर लगातार मैसेज आते रहे: "मीटिंग के लिए तैयार रहो," "क्लाइंट कॉल पर है," "यह रिपोर्ट आज शाम चाहिए।"

रास्ते पर, प्रतीक ने देखा कि कैफे में लोग कॉफी पीने के लिए लाइन में खड़े थे, दोस्तों के झुंड हँसते-हँसाते सुबह की बातें कर रहे थे। बस स्टॉप पर लोग एक-दूसरे को छूकर खड़े थे, फिर भी उनकी आँखों में एक-दूसरे से बात करने और भविष्य के सपने देखने की चमक थी।

एक सिग्नल पर, एक बुजुर्ग दादा हँसते-हँसाते अपने पोते को साइकिल पर बिठाकर ले जा रहे थे। प्रतीक ने यह दृश्य देखा और पल भर के लिए अपनी दौड़ भूल गया। उसे याद आया कि आखिरी बार उसने अपने माता-पिता के साथ शांति से चाय कब पी थी? पिछले महीने गया था, लेकिन फोन पर ऑफिस की बातचीत चलती रही।

"बस, ऑफिस पहुँच जाऊँ, फिर शांति," उसने मन को समझाया।

ऑफिस में प्रवेश करने के बाद वही भाग-दौड़। दिन भर मीटिंगें, डेडलाइन, लंच ब्रेक में भी लैपटॉप खुला। शाम को छ बजे निकला, लेकिन घर पहुँचते-पहुँचते रात के नौ बज गए। रात का भोजन किया और कल की तैयारी में फोन देखते-देखते सो गया।

उनका जीवन एक अंतहीन दौड़ जैसा था। वे एक-दूसरे से मिलते, पार्टी करते, घूमने जाते, पर कभी भी उस पल को पूरी तरह से जीते नहीं थे। हमेशा आगे की टिकट, आने वाले प्रमोशन, या अगले वीकेंड की योजना में खोए रहते थे।

उनके पास समय कम था, पर उन्हें कभी पता नहीं था कि समय कितना अनमोल है। वे यात्रा करते थे, पर प्रकृति को मात्र पीछे छूटते हुए एक फ्रेम के रूप में देखते थे। वे दोस्तों से मिलते थे, पर चैट में लिखे 'Miss You' की तुलना में आमने-सामने की भेंट और स्पर्श में रहने वाली गर्माहट कम थी।

2020 की शुरुआत में जब पहली बार लॉकडाउन की बात आई, तो कई लोगों ने राहत महसूस की कि चलो, यह दौड़ कुछ समय के लिए रुकेगी। उन्हें पता नहीं था कि यह ठहराव जीवन का एक बड़ा हिस्सा छीन लेगा, जिसकी कीमत वे कभी आंक नहीं पाए थे।

यह कोरोना से पहले के उस जीवन को दर्शाता है जहाँ लोग शारीरिक रूप से करीब होने के बावजूद मानसिक रूप से कहीं दूर रहते थे, और सामाजिक बंधनों के बजाय समय की पाबंदी को अधिक महत्व देते है।

ज़िंदगी भागना नहीं, बस जीना है यारों,
यही ज्ञान मिला, जब सब कुछ थम गया।

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Miss Chhoti ✍️