🌬️ सुबह की ठंडी हवा
शाह हवेली की सुबह अब भी वैसी ही सुनहरी थी, लेकिन नैना के दिल में एक अजीब-सी बेचैनी थी। सूरज की किरणें खिड़कियों से छनकर कमरे में आ रही थीं, और रसोई से इलायची वाली चाय की खुशबू तैर रही थी। नैना ने कबीर के लिए नाश्ता तैयार किया—आलू के पराठे, दही, और आम का अचार। कबीर, ऑफिस के लिए तैयार होकर, बालकनी में खड़ा था, अपनी कॉफी की चुस्की लेते हुए।
“नैना, तुम्हारी चाय की खुशबू से तो दिन की शुरुआत ही अलग हो जाती है,” कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा।
नैना ने हल्की मुस्कान दी, लेकिन उसकी आँखों में कुछ छुपा था। “बस, तुम खुश रहो, यही मेरी खुशी है।”
शालिनी माँ, जो हमेशा की तरह सुबह की पूजा के बाद नैना की तारीफ करती थीं, आज कुछ चुप थीं। उनकी आँखों में एक ठंडी चमक थी, जो नैना ने पहले कभी नहीं देखी थी। “नैना, आज घर में मेहमान आने वाले हैं। कुछ खास बनाना, सबको पसंद आए।” शालिनी की आवाज़ में मिठास थी, लेकिन नैना को उसमें कुछ अनकहा-सा लगा।
कबीर ने नैना का हाथ थामा और कहा, “मैं जल्दी लौटूँगा। तुम टेंशन मत लो, माँ सब संभाल लेंगी।” फिर वह अपनी गाड़ी की ओर बढ़ गया।
जैसे ही कबीर की गाड़ी गेट से बाहर निकली, शालिनी का चेहरा बदल गया। वह नैना के पास आई और धीरे से बोली, “तुम सोचती हो कि तुमने सब कुछ जीत लिया, है ना? लेकिन ये घर, ये परिवार… ये मेरी दुनिया है।”
नैना ने हैरानी से शालिनी की ओर देखा। “माँ, मैं समझी नहीं…”
शालिनी ने ठंडी हँसी हँसी। “समझने की ज़रूरत नहीं। बस इतना समझ लो कि यहाँ जो होता है, वो मेरे हिसाब से होगा।”
🔥 शालिनी का नया खेल
उस दिन मेहमानों के लिए खाना तैयार करने में नैना ने जी-जान लगा दी। रसोई में मसालों की महक, बिरयानी की खुशबू, और मिठाइयों की मिठास—सब कुछ परफेक्ट था। लेकिन शालिनी ने हर कदम पर नैना को परखा। कभी खाने में नमक की शिकायत की, कभी मिठाई को कम मीठा बताया। मेहमानों के सामने तो वह नैना की तारीफ करती रही, लेकिन जैसे ही मेहमान चले गए, उसने नैना को रसोई में बुलाया।
“ये क्या बनाया था तुमने?” शालिनी ने तीखी आवाज़ में कहा। “मेहमानों ने कुछ नहीं कहा, लेकिन मुझे तो सब समझ आता है। तुम इस घर की बहू हो, पर अभी तक कुछ सीखा नहीं।”
नैना ने शांत स्वर में कहा, “माँ, मैंने पूरी कोशिश की थी। अगर कुछ कमी रह गई, तो मैं सुधार लूँगी।”
शालिनी ने उसकी ओर देखा, और फिर अचानक एक गिलास पानी उठाकर नैना की साड़ी पर गिरा दिया। “ओह, मुझसे गलती हो गई,” उसने बनावटी अफसोस जताते हुए कहा। “तुम्हें सावधान रहना चाहिए था।”
नैना ने गीली साड़ी को देखा, उसका चेहरा लाल हो गया। लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। वह जानती थी कि शालिनी का हर कदम एक सोची-समझी चाल है। उसने अपने आँसुओं को छुपाया और रसोई से बाहर चली गई।
🕊️ नैना की ताकत
रात को, जब कबीर घर लौटा, शालिनी ने फिर वही प्यारी माँ का मुखौटा पहन लिया। “कबीर, देखो, नैना ने आज कितना अच्छा खाना बनाया। मेहमानों ने तारीफ की।” कबीर ने नैना की ओर देखा और मुस्कुराया। “मेरी नैना तो हर काम में कमाल करती है।”
नैना ने हल्की मुस्कान दी, लेकिन उसका दिल भारी था। वह कबीर को कुछ नहीं बताना चाहती थी। वह नहीं चाहती थी कि कबीर और उसकी माँ के बीच कोई दरार आए। लेकिन शालिनी का हर नया जुल्म उसे और टूटने की कगार पर ला रहा था।
रात को, अपने कमरे में अकेली बैठी नैना ने अपनी डायरी खोली। उसने लिखा:
“कबीर का प्यार मेरी ताकत है, लेकिन माँ का व्यवहार मेरे लिए एक अनसुलझा रहस्य है। मैं हर दिन खुद को मजबूत कर रही हूँ, लेकिन कब तक? क्या सच सामने लाना ठीक होगा? या चुप रहना ही मेरे लिए बेहतर है?”
उसने डायरी बंद की और खिड़की की ओर देखा। बाहर चाँदनी बिखरी थी, लेकिन नैना के दिल में एक अंधेरा सा छा रहा था।
🌪️ एक नया तूफान
अगले दिन, शालिनी ने एक नया खेल शुरू किया। उसने नैना को घर के पुराने स्टोररूम में कुछ सामान लाने के लिए भेजा। स्टोररूम धूल और पुरानी चीज़ों से भरा था। नैना को वहाँ अकेले भेजकर शालिनी ने दरवाज़ा बाहर से बंद कर दिया।
“माँ, दरवाज़ा खोलिए!” नैना ने चिल्लाया, लेकिन जवाब में सिर्फ़ शालिनी की हल्की हँसी सुनाई दी। “तुम्हें इस घर की हर चीज़ समझनी होगी, नैना। अभी तो बहुत कुछ सीखना बाकी है।”
नैना ने घंटों तक स्टोररूम में फँसे रहने के बाद खुद को संभाला। उसने एक पुराना लोहे का रॉड उठाया और दरवाज़े को तोड़ने की कोशिश की। आखिरकार, दरवाज़ा खुल गया, और वह बाहर निकली। उसका चेहरा धूल से सना था, और हाथों में खरोंच के निशान थे।
शालिनी ने उसे देखकर फिर वही बनावटी चिंता दिखाई। “अरे, ये क्या हो गया? तुम ठीक हो ना, नैना?”
नैना ने ठंडे स्वर में जवाब दिया, “हाँ, माँ। मैं ठीक हूँ।”
लेकिन उसकी आँखों में अब एक नई चमक थी। वह अब और चुप नहीं रहने वाली थी।
🔍 रहस्य का खुलासा
उसी रात, नैना ने कबीर से बात करने का फैसला किया। जब कबीर घर लौटा, उसने उसे अपने कमरे में बुलाया। “कबीर, मुझे तुमसे कुछ कहना है।”
कबीर ने उसकी आँखों में देखा। “क्या हुआ, नैना? तुम परेशान लग रही हो।”
नैना ने गहरी साँस ली। “कबीर, मैं तुम्हारी माँ का सम्मान करती हूँ। लेकिन… कुछ चीज़ें हैं जो मुझे समझ नहीं आ रही हैं।”
कबीर ने भौहें चढ़ाईं। “क्या मतलब?”
नैना ने धीरे-धीरे सब कुछ बताया—शालिनी का व्यवहार, छोटे-छोटे जुल्म, और स्टोररूम की घटना। उसने कहा, “मैं नहीं चाहती थी कि तुम्हें पता चले, क्योंकि मैं तुम्हें और माँ को अलग नहीं करना चाहती। लेकिन अब मैं और नहीं सह सकती।”
कबीर का चेहरा सख्त हो गया। “नैना, तुमने पहले क्यों नहीं बताया?”
“क्योंकि मैं तुम्हारी खुशी नहीं तोड़ना चाहती थी,” नैना की आँखों में आँसू थे।
कबीर ने उसका हाथ थामा। “तुम मेरी ताकत हो, नैना। और अगर माँ गलत कर रही हैं, तो मैं चुप नहीं रहूँगा।”
⚔️ कबीर का सामना
अगली सुबह, कबीर ने शालिनी को लिविंग रूम में बुलाया। नैना पास खड़ी थी, लेकिन उसने कबीर को अकेले बोलने दिया।
“माँ, मैंने सुना है कि आप नैना के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रही हैं। क्या ये सच है?” कबीर की आवाज़ में दृढ़ता थी, लेकिन सम्मान भी।
शालिनी ने पहले तो इनकार किया। “कबीर, ये सब झूठ है! मैंने तो नैना को अपनी बेटी माना है।”
लेकिन कबीर ने उसे बीच में रोका। “माँ, मैं आपका बहुत सम्मान करता हूँ। लेकिन अगर आपने नैना को दुख पहुँचाया, तो मैं ये बर्दाश्त नहीं करूँगा।”
शालिनी की आँखों में एक पल के लिए डर दिखा, लेकिन फिर उसने अपनी बात पलट दी। “ठीक है, अगर तुम्हें ऐसा लगता है, तो मैं नैना से माफी माँग लूँगी।”
उसने नैना की ओर देखा और कहा, “नैना, अगर मेरी वजह से तुम्हें बुरा लगा, तो मुझे माफ़ कर देना।”
नैना ने सिर झुकाया, लेकिन उसका दिल जानता था कि शालिनी की माफी में कितनी सच्चाई है।
🌟 एक नई शुरुआत
इस घटना के बाद, कबीर और नैना ने मिलकर फैसला किया कि वे शालिनी के साथ सावधानी से पेश आएँगे। कबीर ने नैना से कहा, “तुम अब कभी चुप मत रहना। तुम्हारा दर्द मेरा दर्द है।”
नैना ने मुस्कुराकर कहा, “कबीर, तुम मेरे साथ हो, ये मेरे लिए सबसे बड़ी ताकत है।”
शालिनी का व्यवहार कुछ समय के लिए सामान्य हो गया, लेकिन नैना जानती थी कि उसकी चालें अभी खत्म नहीं हुई थीं। उसने अपने मन में ठान लिया कि वह अब हर कदम पर सावधान रहेगी।
🏰 हवेली में नया माहौल
कुछ हफ्तों बाद, हवेली में फिर से रौनक लौट आई। कबीर और नैना ने मिलकर एक छोटी-सी पार्टी का आयोजन किया, जिसमें पड़ोसी और रिश्तेदार शामिल हुए। शालिनी ने इस बार कोई नया खेल नहीं खेला, लेकिन उसकी आँखों में अब भी वही चमक थी, जो नैना को बेचैन करती थी।
पार्टी के दौरान, नैना ने एक पुरानी पेन ड्राइव देखी, जो स्टोररूम में मिली थी। उसने कबीर को दिखाया। “कबीर, ये वही ड्राइव है, जिसके बारे में आर्यन ने बात की थी। क्या इसमें अभी भी कुछ रहस्य बाकी हैं?”
कबीर ने ड्राइव को अपने लैपटॉप में लगाया। स्क्रीन पर एक नया फ़ोल्डर खुला: “The Game Continues.”
कबीर और नैना ने एक-दूसरे की ओर देखा। “ये क्या है?” नैना ने पूछा।
कबीर ने गहरी साँस ली। “शायद ये वही रहस्य है, जिसे आर्यन ने छुपाया था। लेकिन अब हम डरने वाले नहीं हैं।”
🌌 कहानी का नया मोड़
हवेली में खुशियों की चमक थी, लेकिन हवा में अब भी एक अनकहा रहस्य तैर रहा था। शालिनी का डबल गेम, पुरानी पेन ड्राइव, और आर्यन की कुर्बानी—सब कुछ एक नई कहानी की ओर इशारा कर रहा था।
नैना ने कबीर का हाथ थामा और कहा, “चाहे जो भी हो, हम अब हर तूफान का सामना करेंगे।”
कबीर ने मुस्कुराकर जवाब दिया, “साथ में, हम हर खेल जीतेंगे।”
और हवेली की खिड़कियों से चाँदनी बिखर रही थी, जैसे कह रही हो—कहानी अभी खत्म नहीं हुई।
🌅 सुबह की सुनहरी किरणें
शाह हवेली की बालकनी में नैना खड़ी थी, उसका चेहरा सुबह की सुनहरी धूप में चमक रहा था। हवा में समुद्र की नमकीन खुशबू थी, और दूर से मंदिर की घंटियों की आवाज़ आ रही थी। नैना के हाथ में एक कप चाय थी, लेकिन उसकी आँखों में एक गहरी उदासी थी। शादी के बाद का जीवन खुशियों से भरा था, लेकिन शालिनी माँ का व्यवहार और अब अपने माता-पिता—सलीम और माया—की अनकही सच्चाई उसे बेचैन कर रही थी।
कबीर ने उसे पीछे से आकर गले लगाया। “नैना, सुबह-सुबह इतनी खामोश? क्या हुआ?”
नैना ने गहरी साँस ली और कबीर की ओर पलटी। “कबीर, मुझे पापा और माँ की बहुत याद आ रही है। मैं जानती हूँ वो ज़िंदा हैं, लेकिन... उनकी चुप्पी मुझे डराती है। क्या वो मुझसे नाराज़ हैं? क्या मैंने कुछ गलत किया?”
कबीर ने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया। “नैना, तुमने कुछ गलत नहीं किया। पापा और माँ तुमसे बहुत प्यार करते हैं। लेकिन रहमान की साज़िश ने सब कुछ उलझा दिया। वो अब भी छुपे हुए हैं, क्योंकि उनकी जान को खतरा है। मैं वादा करता हूँ, हम उन्हें ढूँढ लेंगे।”
नैना की आँखें नम हो गईं। “कबीर, तुम नहीं समझते। मैं हर रात पापा की आवाज़ सुनती हूँ, जैसे वो मुझसे कह रहे हों कि सच को सामने लाओ। और माँ... उनकी मुस्कान मेरे दिल में बसी है। लेकिन शालिनी माँ... वो मुझे हर पल परख रही हैं। मैं थक रही हूँ, कबीर।”
कबीर ने उसे कसकर गले लगाया। “तुम अकेली नहीं हो, नैना। मैं तुम्हारे साथ हूँ। और अगर माँ तुम्हें दुख दे रही हैं, तो मैं इसे ठीक करूँगा।”
💔 शालिनी का डबल गेम
उस सुबह शालिनी रसोई में थीं, जहाँ नैना खाना तैयार कर रही थी। शालिनी की मुस्कान वैसी ही थी—मीठी, लेकिन ठंडी। “नैना, आज मैंने कुछ मेहमान बुलाए हैं। कुछ खास बनाओ, सबको पसंद आए।”
नैना ने सिर झुकाकर कहा, “जी, माँ।” लेकिन उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था। वह जानती थी कि शालिनी की हर बात के पीछे एक मकसद होता है।
मेहमानों के लिए नैना ने बिरयानी, पनीर टिक्का और गुलाब जामुन बनाए। मेहमानों ने तारीफ की, और शालिनी ने सबके सामने नैना की पीठ थपथपाई। “मेरी बहू तो कमाल है,” उन्होंने कहा। लेकिन जैसे ही मेहमान चले गए, शालिनी का चेहरा बदल गया।
“ये क्या खाना बनाया था?” शालिनी ने तीखे स्वर में कहा। “मेहमानों ने तारीफ की, लेकिन मुझे सब समझ आता है। तुम अभी भी इस घर की बहू बनने लायक नहीं हो।”
नैना ने शांत स्वर में जवाब दिया, “माँ, मैंने पूरी कोशिश की। अगर कुछ कमी थी, तो बताइए, मैं सुधार लूँगी।”
शालिनी ने ठंडी हँसी हँसी और अचानक एक गर्म कटोरी नैना के पास सरकाई। कटोरी नैना के हाथ पर गिरी, और वह दर्द से चीख पड़ी। “ओह, मुझसे गलती हो गई,” शालिनी ने बनावटी चिंता दिखाई। “तुम्हें सावधान रहना चाहिए था।”
नैना ने अपने जलते हाथ को देखा, उसकी आँखें आँसुओं से भर गईं। लेकिन उसने चुप्पी साध ली। वह नहीं चाहती थी कि कबीर को पता चले और वह अपनी माँ से नाराज़ हो।
🌹 सलीम और माया की अनकही कहानी
उसी शाम, नैना को एक पुराना पत्र मिला, जो स्टोररूम में एक संदूक के नीचे छुपा था। पत्र पर सलीम की लिखावट थी। नैना ने काँपते हाथों से उसे खोला:
“मेरी प्यारी नैना,
अगर तुम ये पढ़ रही हो, तो समझ लेना कि मैं और तुम्हारी माँ माया ज़िंदा हैं। हम छुपे हुए हैं, क्योंकि रहमान की साज़िश ने हमें सब कुछ छोड़ने पर मजबूर किया। लेकिन तुम्हारा प्यार हमें जीवित रखता है। हम जल्दी तुमसे मिलेंगे। सच को सामने लाओ, बेटी। रहमान का खेल अभी खत्म नहीं हुआ।
तुम्हारे पापा, सलीम”
नैना की आँखों से आँसू बहने लगे। वह पत्र लेकर कबीर के पास दौड़ी। “कबीर, ये देखो! पापा और माँ ज़िंदा हैं! लेकिन वो खतरे में हैं।”
कबीर ने पत्र पढ़ा और उसका चेहरा गंभीर हो गया। “नैना, हमें उन्हें ढूँढना होगा। लेकिन पहले हमें शालिनी माँ से बात करनी होगी। अगर वो तुम्हें परेशान कर रही हैं, तो ये सब और उलझ सकता है।”
नैना ने सिर हिलाया, लेकिन उसका दिल भारी था। वह अपने माता-पिता को ढूँढना चाहती थी, लेकिन शालिनी का व्यवहार उसे डराता था।
🔥 शालिनी का टकराव
उस रात, कबीर ने शालिनी को लिविंग रूम में बुलाया। नैना पास खड़ी थी, उसकी आँखें ज़मीन की ओर थीं। कबीर ने शांत लेकिन दृढ़ स्वर में कहा, “माँ, मैं जानता हूँ कि आप नैना के साथ ठीक व्यवहार नहीं कर रही हैं। ये सच है?”
शालिनी की आँखें सिकुड़ गईं। “कबीर, ये क्या बकवास है? मैंने तो नैना को अपनी बेटी माना है।”
नैना ने पहली बार हिम्मत जुटाई। “माँ, मैं आपका सम्मान करती हूँ। लेकिन आपकी हर छोटी बात, हर गलती... वो मुझे दुख देती है। मैंने चुप रहने की कोशिश की, लेकिन अब नहीं सह सकती।”
शालिनी स्तब्ध रह गईं। फिर उनकी आँखें नम हो गईं। “कबीर, नैना... मैं डर गई थी। सलीम के जाने के बाद, मैंने तुम्हें अकेले पाला, कबीर। मुझे लगा कि नैना तुम्हें मुझसे दूर ले जाएगी। मैं गलत थी।”
नैना ने शालिनी का हाथ थामा। “माँ, मैं आपसे कुछ छीनने नहीं आई। मैं तो इस परिवार को पूरा करना चाहती हूँ।”
उस पल शालिनी रो पड़ीं। “नैना, मुझे माफ़ कर दे। मेरा दर्द मुझे गलत रास्ते पर ले गया।”
कबीर ने दोनों को गले लगाया। “अब कोई दीवार नहीं। हम एक परिवार हैं।”
🌌 सलीम और माया का पुनर्मिलन
अगले दिन, कबीर और नैना ने सलीम और माया को ढूँढने का फैसला किया। पत्र में एक पुराना पता था—मुंबई के बाहरी इलाके में एक छोटा-सा घर। कबीर, नैना और शालिनी तीनों वहाँ पहुँचे।
दरवाज़ा खुला, और सामने सलीम और माया खड़े थे। सलीम की आँखों में आँसू थे, और माया ने नैना को देखते ही उसे गले लगा लिया। “मेरी बेटी...” माया की आवाज़ काँप रही थी।
“पापा, माँ... आप ज़िंदा हैं!” नैना रोते हुए बोली। “मैंने आपको कितना मिस किया।”
सलीम ने कबीर की ओर देखा। “कबीर, तुमने मेरी बेटी को संभाला। मैं तुम्हारा शुक्रगुज़ार हूँ।”
शालिनी ने सलीम की ओर देखा, और पुरानी यादें ताज़ा हो गईं। “सलीम, तुम्हारी बेटी मेरी बेटी है। मैंने गलती की, लेकिन अब सब ठीक होगा।”
उस रात, हवेली में एक छोटी-सी सभा हुई। सलीम और माया ने अपनी कहानी सुनाई—कैसे रहमान की साज़िश ने उन्हें छुपने पर मजबूर किया। लेकिन अब, कबीर और नैना के प्यार ने उन्हें वापस ला दिया।
✨ प्यार और क्षमा
हवेली में अब एक नई शांति थी। शालिनी ने नैना को अपनी बेटी की तरह अपनाया। सलीम और माया ने कबीर को अपने बेटे की तरह गले लगाया। लेकिन पुरानी पेन ड्राइव में अब भी एक रहस्य बाकी था—“The Game Continues.”
नैना ने कबीर का हाथ थामा। “कबीर, चाहे जो भी हो, अब हम हर तूफान का सामना करेंगे।”
कबीर ने मुस्कुराकर कहा, “प्यार हमेशा जीतता है, नैना। और अब हमारा परिवार पूरा है।”
हवेली की खिड़कियों से चाँदनी बिखर रही थी, और हवा में प्यार, क्षमा और एक नई शुरुआत की खुशबू थी।
🌫️ एक नई सुबह, लेकिन अनकहा डर
शाह हवेली की सुबह धूप और समुद्र की लहरों की आवाज़ से भरी थी, लेकिन नैना के दिल में एक अजीब-सी बेचैनी थी। वह अपने कमरे की खिड़की पर खड़ी थी, हाथ में सलीम का पुराना पत्र लिए, जिसमें लिखा था कि वह और माया ज़िंदा हैं। पत्र की आखिरी पंक्ति बार-बार उसके दिमाग में गूँज रही थी: “रहमान का खेल अभी खत्म नहीं हुआ।” नैना की आँखें नम थीं, और उसका दिल डर और उम्मीद के बीच झूल रहा था। “पापा, माँ... आप कहाँ हो? और रहमान अब क्या चाहता है?” वह फुसफुसाई, जैसे हवा से जवाब माँग रही हो।
कबीर ने दरवाज़े से उसे देखा। उसकी आँखों में दर्द देखकर उसका दिल पिघल गया। वह धीरे से पास आया और नैना के कंधे पर हाथ रखा। “नैना, क्या हुआ? तुम फिर उदास हो।”
नैना ने कबीर की ओर पलटकर देखा, उसकी आँखों में आँसू चमक रहे थे। “कबीर, ये पत्र... पापा और माँ ज़िंदा हैं, लेकिन वो खतरे में हैं। रहमान की साजिश... मुझे डर है कि वो फिर कुछ करने वाला है। और शालिनी माँ... उनका व्यवहार मुझे तोड़ रहा है। मैं कितना सहूँ, कबीर?” उसकी आवाज़ काँप रही थी, जैसे हर शब्द में सालों का दर्द समाया हो।
कबीर ने उसे गले लगाया, उसकी सिसकियाँ उसके सीने से टकरा रही थीं। “नैना, तुम अकेली नहीं हो। मैंने भी खोया है—पापा को, आर्यन को। लेकिन तुम्हारा प्यार मेरी ताकत है। हम रहमान का सामना करेंगे, और माँ को भी समझाएँगे। वादा करता हूँ, मैं तुम्हें कभी टूटने नहीं दूँगा।” कबीर की आवाज़ में दृढ़ता थी, लेकिन उसकी आँखें भी नम थीं। वह जानता था कि रहमान का खेल अब भी खत्म नहीं हुआ है।
💔 शालिनी का टूटा दिल
उसी सुबह, शालिनी अपने कमरे में अकेली थीं, सामने उनके पति की तस्वीर। उनकी आँखें तस्वीर पर टिकी थीं, और दिल में एक पुराना दर्द उभर रहा था। “तुम चले गए, और मैं अकेली रह गई। कबीर मेरा सब कुछ था, लेकिन अब नैना... वो उसे मुझसे दूर ले जा रही है। मैंने क्या गलती की कि मेरे हिस्से में सिर्फ़ दर्द आया?” शालिनी की सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थीं। उन्होंने नैना पर छोटे-छोटे जुल्म किए थे—गर्म चाय गिराना, ताने मारना, स्टोररूम में बंद करना—लेकिन हर जुल्म के पीछे उनका डर था। डर कि कबीर उन्हें भूल जाएगा, कि वह इस घर में अकेली रह जाएँगी।
“मैं गलत हूँ,” शालिनी ने फुसफुसाया, और तस्वीर को सीने से लगाया। “लेकिन मैं क्या करूँ? मेरा दिल टूट चुका है।” उनकी आँखों में आँसू थे, लेकिन बाहर से वह वही मज़बूत माँ थीं जो कबीर के सामने मुस्कुराती थीं।
नैना ने रसोई में काम करते हुए शालिनी की सिसकियाँ सुनीं। उसका दिल पिघल गया। “माँ भी दुखी हैं,” उसने सोचा। “लेकिन उनका दुख मुझे क्यों चोट पहुँचा रहा है?” नैना की आँखें फिर नम हो गईं। वह शालिनी को समझना चाहती थी, लेकिन उनके जुल्म उसे तोड़ रहे थे।
🔥 रहमान की साजिश का नया चेहरा
उस दोपहर, नैना को स्टोररूम में फिर वही पुरानी पेन ड्राइव मिली, जिस पर लिखा था: “The Game Continues.” उसने काँपते हाथों से उसे कबीर को दिखाया। “कबीर, ये क्या है? आर्यन ने कहा था कि रहमान का खेल खत्म नहीं हुआ।”
कबीर ने ड्राइव को लैपटॉप में लगाया। स्क्रीन पर एक वीडियो खुला। रहमान की ठंडी मुस्कान स्क्रीन पर चमक रही थी। “कबीर, नैना... तुमने सोचा तुम जीत गए? लेकिन मेरा असली खेल अब शुरू होगा। तुम्हारी कंपनी का हर डेटा, हर रहस्य मेरे पास है। और तुम्हारे अपने लोग—तुम्हारी कंपनी में, तुम्हारे घर में—मेरे लिए काम कर रहे हैं।” वीडियो में रहमान ने एक कोड दिखाया: “R-19.”
नैना का चेहरा सफेद पड़ गया। “R-19... ये तो रुही का कोड था, जिसे रहमान ने झूठा ठहराया था। लेकिन अगर ये सच है, तो...”
कबीर ने मुट्ठी भींची। “रहमान झूठ बोल रहा है। लेकिन हमें सच ढूँढना होगा। और सबसे पहले, हमें पापा और माया माँ को ढूँढना है।”
🌌 सलीम और माया का दर्द
नैना और कबीर ने सलीम के पत्र में लिखे पते पर जाने का फैसला किया। मुंबई के बाहरी इलाके में एक छोटा-सा घर था, जहाँ सलीम और माया छुपे हुए थे। दरवाज़ा खुला, और सामने सलीम खड़े थे—उनके चेहरे पर थकान थी, लेकिन आँखों में नैना के लिए प्यार चमक रहा था। माया ने नैना को देखते ही उसे गले लगा लिया। “मेरी बच्ची... हमने तुझे कितना मिस किया,” माया की आवाज़ टूट रही थी, आँसू उनके गालों पर बह रहे थे।
“पापा, माँ... आप ज़िंदा हैं!” नैना रोते हुए बोली। “मैंने सोचा था मैंने आपको खो दिया। ये दर्द... मैं सह नहीं पाई।” उसकी सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थीं।
सलीम ने नैना के सिर पर हाथ फेरा। “बेटी, हम छुपे थे क्योंकि रहमान ने हमें धमकी दी थी। उसने हमारे नाम पर झूठी कहानियाँ बनाईं, हमारी ज़िंदगी छीन ली। लेकिन तेरा प्यार हमें जीवित रखता था।”
कबीर ने सलीम का हाथ थामा। “पापा, अब आप सुरक्षित हैं। हम रहमान को रोकेंगे।”
माया ने कबीर की ओर देखा, उसकी आँखें कृतज्ञता से भरी थीं। “कबीर, तुमने मेरी बेटी को संभाला। तुम हमारे लिए बेटे जैसे हो।”
💥 शालिनी का सामना
वापस हवेली लौटकर, कबीर ने शालिनी को बुलाया। “माँ, हमें बात करनी है। नैना के साथ आपका व्यवहार... ये ठीक नहीं है।”
शालिनी की आँखें सिकुड़ गईं, लेकिन फिर वह टूट गईं। “कबीर, मैं डर गई थी। तेरे पापा के जाने के बाद, तू मेरा सब कुछ था। मुझे लगा नैना तुझे मुझसे छीन लेगी। मैंने गलती की।” शालिनी की सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थीं। “नैना, मुझे माफ़ कर दे। मेरा दर्द मुझे गलत रास्ते पर ले गया।”
नैना ने शालिनी का हाथ थामा, उसकी आँखें भी नम थीं। “माँ, मैं आपका दर्द समझती हूँ। मैंने भी खोया है—पापा और माँ को, आर्यन को। लेकिन प्यार हमें जोड़ता है, तोड़ता नहीं।”
शालिनी ने नैना को गले लगाया। “तू मेरी बेटी है, नैना। मैं अब कभी तुझे दुख नहीं दूँगी।”
🔍 रहमान का अंतिम खेल
कबीर और नैना ने पेन ड्राइव के रहस्य को खोलने का फैसला किया। लैपटॉप पर एक नया फ़ोल्डर खुला: “The Final Move.” इसमें एक डेटा लीक का कोड था, जो कबीर की कंपनी के सर्वर को नष्ट कर सकता था। लेकिन उसमें एक और संदेश था—रहमान का। “कबीर, तुम्हारे सबसे करीबी ने मुझे डेटा दिया। R-19 कोई और नहीं, तुम्हारा भरोसेमंद है।”
कबीर और नैना ने रुही को बुलाया। “रुही, ये सच है?” कबीर की आवाज़ में दर्द था।
रुही की आँखें भर आईं। “कबीर, मैंने कुछ नहीं किया। मेरी ID हैक की गई थी। लेकिन... मुझे शक है कि कंपनी में कोई और रहमान के लिए काम कर रहा है।”
कबीर ने गहरी साँस ली। “हमें उस गद्दार को ढूँढना होगा।”
🌟 प्यार की जीत
हवेली में सलीम, माया, शालिनी, कबीर और नैना साथ बैठे। सलीम ने कहा, “रहमान का खेल खत्म होगा, बेटी। तुम और कबीर मिलकर सच सामने लाओ।”
नैना ने कबीर का हाथ थामा। “कबीर, आर्यन ने कहा था—प्यार जीतेगा। हम हार नहीं मानेंगे।”
कबीर ने मुस्कुराया, उसकी आँखें आँसुओं से भरी थीं। “नैना, तुम मेरी ताकत हो। हमारा परिवार, हमारा प्यार... ये सब रहमान से बड़ा है।”
रात को, हवेली में चाँदनी बिखरी थी। नैना और कबीर छत पर खड़े थे, आसमान में एक टूटता तारा चमका। “शायद वो आर्यन था,” नैना ने फुसफुसाया।
कबीर ने उसे गले लगाया। “वो हमारे दिल में है, नैना। और अब कोई रहस्य हमें नहीं तोड़ेगा।”
🌫️ एक शांत शाम, लेकिन दिल की उथल-पुथल
शाह हवेली की शाम धीरे-धीरे अंधेरी हो रही थी। समुद्र की लहरें दूर से टकरा रही थीं, और हवा में नमकीन खुशबू घुली हुई थी। नैना छत पर खड़ी थी, हाथ में पुरानी पेन ड्राइव लिए, जिस पर लिखा था “The Game Continues”। उसके दिमाग में रहमान की आखिरी धमकी गूँज रही थी: “R-19 कोई और नहीं, तुम्हारा भरोसेमंद है।” नैना की आँखें नम थीं, और दिल में एक डर सा घर कर गया था। “रुही... क्या वो?” वह फुसफुसाई, जैसे हवा से जवाब माँग रही हो। रुही—कबीर की कंपनी की सबसे भरोसेमंद साथी, जो हमेशा मुस्कुराती रहती थी, लेकिन कभी-कभी उसकी आँखों में एक अनकही उदासी झलक जाती थी।
कबीर ने नीचे से नैना को बुलाया। “नैना, रुही आई है। वो कुछ महत्वपूर्ण बात करने आई है।” कबीर की आवाज़ में उत्साह था, लेकिन नैना का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। वह नीचे उतरी, और लिविंग रूम में रुही को देखा। रुही काले कुर्ते में बैठी थी, उसके हाथ काँप रहे थे, और चेहरे पर एक अजीब-सी घबराहट थी। शालिनी माँ, सलीम पापा और माया माँ पास ही थे, सबकी निगाहें रुही पर टिकी हुई थीं।
“रुही, क्या हुआ? तुम इतनी परेशान क्यों हो?” नैना ने धीरे से पूछा, उसके पास जाकर।
रुही ने गहरी साँस ली, और फिर आँखें उठाकर कबीर की ओर देखा। “कबीर... मुझे तुम्हें कुछ बताना है। ये... ये बहुत पुरानी बात है। लेकिन अब वक्त आ गया है।” रुही की आवाज़ काँप रही थी, जैसे सालों का बोझ उतरने को हो।
💔 रुही का छुपा दर्द
रुही ने अपना बैग खोला और एक पुरानी, पीली पड़ चुकी फोटो निकाली। फोटो में एक छोटा-सा कबीर और एक लड़की—शायद 10 साल की—हँसते हुए खड़े थे। “ये देखो, कबीर। ये मैं हूँ... रुही शाह। तुम्हारी कजिन।”
कमरे में सन्नाटा छा गया। कबीर की आँखें फैल गईं, जैसे कोई पुरानी याद जाग उठी हो। “रुही... कजिन? लेकिन... माँ, पापा ने कभी कुछ नहीं बताया।”
शालिनी माँ की आँखें नम हो गईं। उन्होंने सिसकते हुए कहा, “कबीर, ये सच है। रुही तुम्हारी बुआ की बेटी है। तेरी बुआ... वो रहमान की साजिश में मर गई थी। हमने रुही को बचाया, लेकिन नाम बदल दिया—रुही सिंह। हमने सोचा, रहमान अगर जान गया तो वो उसे भी मार देगा। इसलिए हमने ये राज छुपा लिया।”
सलीम पापा ने सिर झुकाया। “रुही, हमने तुझे भेजा था कबीर की कंपनी में, ताकि तू उसकी रक्षा कर सके। लेकिन रहमान ने तेरी ID का इस्तेमाल किया, और अब वो तुझे दोषी ठहरा रहा है।”
रुही की आँखों से आँसू बहने लगे। “कबीर, मैंने कभी कुछ गलत नहीं किया। लेकिन हर रात मैं सोचती हूँ—माँ की मौत... वो रहमान की वजह से हुई। वो मेरी माँ को मारने आया था, क्योंकि वो सलीम चाचा के राज़ जानती थीं। मैंने कसम खाई थी कि मैं कबीर भाई को बचाऊँगी। लेकिन R-19 कोड... वो मेरी ID से था। रहमान ने मुझे हैक किया, लेकिन मैं चुप रही क्योंकि... डर था। डर था कि अगर सच खुला, तो सब खतरे में पड़ जाएँगे।”
नैना ने रुही का हाथ थामा, उसका दिल दर्द से भर गया। “रुही, तुम्हें कितना सहना पड़ा होगा। एक अकेली लड़की, परिवार से दूर, हर पल डरते हुए। तुम्हारी हिम्मत... मैं कल्पना भी नहीं कर सकती।”
रुही रो पड़ी। “नैना दी, मैं कबीर भाई को खोना नहीं चाहती। वो मेरे भाई हैं, मेरी ज़िंदगी। लेकिन रहमान... वो वापस आ रहा है। और वो जानता है कि R-19 मैं हूँ—रुही शाह।”
🔥 पुराना राज़ खुलना
कबीर ने रुही को गले लगा लिया, उसकी आँखें भी नम थीं। “रुही... दीदी... तुम्हें कितना दुख सहना पड़ा। मैंने कभी नहीं जाना कि मेरी कजिन मेरे इतने करीब है। माँ, क्यों नहीं बताया? मैंने सोचा था तुम्हें खो दिया।”
शालिनी माँ सिसकने लगीं। “बेटा, हम डरते थे। रहमान ने तेरी बुआ को मार दिया था क्योंकि वो उसके डेटा चोरी के राज़ जानती थी। रुही को बचाने के लिए हमने नाम बदल दिया, उसे दूर भेज दिया। लेकिन अब... अब सब सामने आ गया।”
माया माँ ने रुही के बाल सहलाए। “बेटी, तू हमारी बेटी है। तूने अकेले इतना बोझ उठाया। लेकिन अब हम सब साथ हैं।”
सलीम पापा ने गहरी साँस ली। “रहमान की साजिश का राज़ ये है—वो चाहता था कि कबीर की कंपनी का डेटा चुराकर वो एक नया साम्राज्य बनाए। लेकिन रुही ने अंदर से उसे रोका। R-19 कोड उसके हैक का नतीजा था, लेकिन रुही ने कभी डेटा नहीं दिया। वो बस... चुप रही, ताकि कबीर को बचाए।”
रुही ने कबीर की ओर देखा, उसकी आँखें आँसुओं से भरी थीं। “भाई, मैंने आर्यन की मौत देखी। वो मेरा दोस्त था, लेकिन मैं कुछ कह नहीं सकी। अब... अब मैं डर रही हूँ। रहमान मेरी माँ की मौत का बदला लेना चाहता है, लेकिन वो गलत था।”
🌌 भावनाओं का सैलाब
उस रात हवेली में सब साथ बैठे। कबीर ने रुही को अपनी दीदी कहकर पुकारा, और दोनों पुरानी यादें ताज़ा कीं। “रुही दी, याद है वो दिन जब हम पार्क में खेलते थे? तुम हमेशा मेरी रक्षा करती थीं।”
रुही मुस्कुराई, लेकिन आँसू उसके गालों पर लुढ़क गए। “हाँ भाई, लेकिन तब से मैं अकेली हूँ। माँ की मौत... वो रात मुझे आज भी सताती है। रहमान ने कहा था, 'तुम्हारा परिवार मेरा शिकार बनेगा।' लेकिन मैंने हार नहीं मानी।”
नैना ने रुही को गले लगाया। “रुही, तुम्हारी हिम्मत हम सबके लिए मिसाल है। तुम्हारा राज़ अब हमारा राज़ है। हम रहमान को हराएँगे।”
शालिनी माँ ने रुही के सिर पर हाथ फेरा। “बेटी, मैंने तुझे दुख दिया। गलती से भी। लेकिन अब तू मेरी बेटी है।”
सलीम पापा ने सबको देखा। “रहमान का खेल अब खत्म होगा। रुही, तूने जो सहा, वो व्यर्थ नहीं जाएगा।”
💥 रहमान की धमकी
तभी कबीर का फोन बजा। एक अनजान नंबर से मैसेज आया: “R-19 को बचा लो, कबीर। वरना शाह परिवार खत्म।” कबीर ने रुही की ओर देखा। “ये रहमान है। वो जानता है।”
रुही का चेहरा सफेद पड़ गया। “भाई, मुझे जाना होगा। मैं खुद सामना करूँगी।”
कबीर ने उसका हाथ पकड़ा। “नहीं, दी। अब हम साथ हैं।”
🌟 एक नई शुरुआत
रात गहरी हो चुकी थी। हवेली में चाँदनी बिखरी थी, लेकिन दिलों में एक नई ताकत जागी थी। रुही ने सबको गले लगाया। “धन्यवाद... अब मैं अकेली नहीं हूँ।”
नैना ने कबीर का हाथ थामा। “कबीर, रुही का राज़ हमें और मजबूत बनाता है। प्यार कभी हार नहीं मानता।”
कबीर ने मुस्कुराया, आँखों में आँसू थे। “हाँ, नैना। रुही दी... हमारा परिवार अब पूरा है।”
हवा में एक वादा तैर रहा था—रहमान की साजिश टूटेगी, और प्यार जीतेगा। लेकिन रुही का गुप्त राज़ अभी भी एक रहस्य था, जो कहानी को और गहरा बना रहा था।
Wait for the next chapter.. To be continued.. ख़ूबसूरत टकराव ❤️