फूल.... नाम के अनुरूप वो कोमल थी पर उसकी जोड़ेंगी वैसी नहीं थी मां बाप उसे लड़की होने से उदास रहते थे पढ़ने का उसका बहुत मन था लेकिन घर की इसी हालत थी कि उसके बाबा उसे ओर उसके भाई दोनो को पढ़ा सके इसलिए उसने अपने भाई के लिए अपने पढ़ाई की कुर्बानी दे दी...
लेकिन कुछ साल बाद उसके बाबा की किस्मत चमक गई और उनकी छोटी सी कितने की दुकान मुनाफा कमाने लगी इसका फायदा इसका बड़ा भाई बड़े स्कूल में पढ़ने जाने लगा लेकिन फूल की एक बार पढ़ाई छूती फिर से उसको पढ़ने का बिल्कुल मन नहीं किया.... वो घर पर अपने मां के संग रहा करती थी
उसे टीवी सीरियल बहुत पसंद थे जहां अक्सर गरीब लड़की की शादी अमीर लड़के से होती थी ये देखते देखते उसका भी मन करता था कि कोई उसका भी राजकुमार घोड़ी में चढ़कर उसे लेने आएगा.... ये सपने देखते हुए उसने कई सारे रिश्ते ठुकरा दिए.... और ये सीरियल देखते हुए उसके मन में एक ओर बात बैठ जाती है कि ज्यादा पढ़ी लिखी मॉडल लड़कियां खराब रहती है कम पढ़ी लिखी लड़की जो हमेशा पूजा पाठ करती है घर का काम करती है हमेशा साड़ी या सूट में रहती है वो ही अच्छी लड़कियां है इस कारण वो बाहरी तौर तरीके से बिल्कुल दूर हो जाती है
इसमें उसका साथ अक्सर उसकी मां देती की हमारी बेटी में क्या कमी है सुंदर है सुशील है हर काम में अच्छी है अब ससुराल वाले उसे नौकरी करवाएंगे क्या.... उसके बाबा सोचते थे कि उसकी बेटी बारहवीं तक पढ़ ले तो अच्छा रहता लेकिन उसका मन अब पढ़ाई में नहीं लगता था
देखते ही देखते फूल की उम्र हो रही थी और ऐसे ही जल्द ही उसके भाई ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी अब वो बहुत बड़े कंपनी में जॉब बहुत अच्छे पैकेज के साथ करने लगता है वो भी घर के माहौल से अंजान नहीं था यहां तक कि उसने कई बार अपनी बहन और मां को भी समझाने की कोशिश की लेकिन ना उसकी मां समझ पा रही थी और ना ही फूल....
जल्द ही एक बड़े घर का रिश्ता फूल के लिए आता है लड़के की मां ने फूल को देखते ही उसे पसंद कर लिया था रिश्ता पक्का करने के लिए उसके मां और पापा ही आए थे इतने बड़े घर का रिश्ता देख फूल और उसकी मां खुशी से झूम उठते है की फूल के भाग्य खिल गए.....
लेकिन फूल के पापा को कुछ शक हुआ.... वो लड़के के बारे में भी पूछे लेकिन लड़के की मां ने बहाना बना देती है फिर फूल के बाबा ज्यादा कुछ बोल नहीं पाते है
जल्द की शादी का दिन आ गया फूल पूरी तरह फूल से सजी हुई थी आज उसके सारे ख्वाब पूरे जो हो रहे थे आज सही में उसके सपनों का राजकुमार आने वाला है वो उसके इंतजार में रहती है उसकी मां भी अपनी बेटी की खुशी में बहुत खुश हो रही होती है वही उसके बाबा को अभी भी शक होता है कि उसने लड़के की फोटो के अलावा कुछ नही देखा है पर वो अपनी बेटी को खुश देखकर सिर्फ भगवान से प्राथना कर सकते है कि उसकी आने वाली जिंदगी अच्छे से बीते....
जल्द ही बारात भी आती है पर देखते है कि बाराती बहुत कम आए हुए रहते है ये देखकर फुल के बाबा ने कहा" ये बरात इतनी कम नहीं दिख रही..."
इस पर मां ने कहा" अरे... आपको तो हर चीज में शक होता है... देखिए लड़के वाले आ रहे है उनके स्वागत कीजिए ये सब चीजें बाद में सोचना...."
कुछ देर में लड़का कार से बाहर निकलता है जो अपनी बंद होती आंखो को बार बार खोलने की कोशिश कर रहा होता है वो चल भी रहा होता है तो उसे सहारे की जरूरत पड़ती है ये देखकर फुल के बाबा कुछ कहने के लिए होते है तो फूल की मां उसे चुप करा देती है
कुछ देर में वरमाला का समय हो जाता है फूल सोलह शृंगार में आती है फूल को देखते ही लड़का पागलों की तरह हंसने लगता है फूल जब उसे वरमाला डालती है तो वो भी वरमाला डालते हुए फूल के तरफ चढ़ने के लिए होता है की फूल भी डर जाती है दो लड़के दूल्हे को सम्हालते है इस पर फुल के बाबा कुछ कहने के लिए होते है कि फूल के ससुर उन्हें शांत कर देते है....
अब फेरे का समय होता है जहा दूल्हे की हालत ऐसी थी कि उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा होता है फूल भी शांत रहती है उसे इस बात की खुशी होती है कि उसकी शादी बड़े घर में हो रही है फेरे भी जैसे तैसे दूल्हे को सम्हालते हुए होते है कुछ देर बाद विदाई का समय आ जाता है फूल अपनी मां से लिपट कर रो रही होती है फूल के बाबा को अभी भी कुछ शक होता है पर वो कुछ कह नहीं पाते है वही फूल का भाई भी ये सब देखकर एक बार अपने बाबा से कहा" बाबा आप एक बार लड़के के बारे में पूछ ताछ कर लेते... ये किस तरह का लड़का है जो खुद को सम्हाल नहीं पा रहा तो फूल को कहा सम्हाल पाएगा...."
ये सुनते ही फूल के बाबा भी लड़के को देखते है पर अब वो कुछ नहीं कर सकते क्योंकि अब फूल की शादी हो चुकी रहती है.....
फूल अपने मां बाप से विदा लेकर अपने ससुराल आती है जहा रस्ते भर में उसका पति नींद में रहता है वही कुछ देर में जब वो सुसराल पहुंचती है वो ससुरार के चौखट में रहती है जहा उसके पति को उसका जेठ पकड़ा हुआ रहता है उसकी सास उसके ओर उसके पति की आरती कर रही होती है आरती के बाद घर में कदम रखने को कहती है वो घर पर कदम रखती है तभी वो देखती है कि उसका पति एक कदम रखते ही लड़खड़ा कर गिर जाता है ये देखते ही घर के सारे सदस्य उसे सम्हालने लगते है
फूल को कुछ भी समझ नहीं आ रहा होता है कि ये सब क्या हो रहा है फिर घर के सदस्य मिलकर उसके पति को उसके कमरे में ले जाकर लेटा देते है कुछ देर में उसकी सास ने कहा" बहु... जा जाकर अपने पति के पैर दबा..."
इस पर फुल अपनी सास से कहा" जी इन्हें क्या हुआ...."
इस पर उसकी सास ने कहा" अरे शादी वाला घर है... थोड़ी ज्यादा पी ली.... तू चिंता मत कर... वैसे भी तुझे कहा पता होगा छोटे से घर से आई है बड़े बड़े घरों के लड़के इसी तरह पलते है....अब जा उसके पैर दबा दे उसे बिन पैर दबाए नींद नहीं आती है..."
ये सुनते ही फूल डरते हुए अपने पति के कमरे में जाती है जहा उसका पति पूरे बिस्तर घेरे हुए खराटे लिए सो रहा होता है फूल उसके पास जाकर जैसे ही उसके पैर छूती है कि तभी उसके खराटे की आवाज से डर जाती है फिर वो सामने रखे सोफे पर बैठ जाती है कुछ देर बाद वो भी सोफे में सो जाती है......
कुछ देर बाद आधी रात को कोई झटके से कोई उसका बाल पकड़ता है बाल पकड़ते हुए उसकी नींद टूट जाती है वो अपनी आधी खुली आंखो से देखती है उसका पति लाल आंखो से उसे देख रहा होता है फिर उसके बाल को घसीटते हुए कहा" तू मेरे कमरे में क्या कर रही है देहाती औरत...."
ये सुनकर फूल के आंखो से आंसू निकलने लगते है वो उसका बात पकड़कर कमरे से बाहर फेंकते हुए कहा" मुझे ये देहाती औरत मेरे कमरे में नहीं चाहिए...."
ये सुनते ही फूल के सास ससुर जेठ जेठानी सब अपने कमरे से बाहर आ जाते है अपने बेटे की करतूत देख कर भी किसी के भी मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा होता है फूल को तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा होता है कि ये सब क्या हो रहा है वही उसके पति ने आगे कहा" आप लोग के कहने पर मैने इस गवार लड़की से शादी तो कर ली पर मैं इसे अपने पत्नी का दर्जा कभी नहीं दूंगा..." ये कहकर वो गुस्से से अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लेता है फूल को कुछ भी समझ नहीं आ रहा होता है कि ये सब उसके साथ क्या हो रहा है उसने जैसे सपने ओर फिल्मों में सोचा था वैसा उसके साथ कुछ नहीं हो रहा है..... उसके साथ तो कुछ और.....
फूल कमरे के बाहर आंसू बहा रही होती है तभी जेठ गुस्से में कहा" मां क्या तमाशा है ये.... ठीक से सोने भी नहीं मिलता ये घर है या पागलखाना...."
ये सुनते ही फूल की जेठानी भी बोल पड़ती है" ये तो हमारी सासू मां का मन था कि देवर जी की शादी कर दे.... अब तो घर में मुफ्त की रोटी खाने वाली एक ओर आ गई..." ये कहकर जेठ जेठानी वहां से चले जाते है तो सास फूल को देखकर कहा" दुल्हन इस तरह रो कर मनहूसियत मत फैला... राजेश का गुस्सा थोड़ा ज्यादा है तू ऐसा कर तू यही जमीन पर सो जा सुबह जल्दी उठना भी है न..."
ये सुनते ही फूल हैरान होकर अपनी सास को देखने लगती है इस पर फुल की सास ने कहा" देख क्या रही है जो बोल रही हूं वो कर..." ये कहकर सास ससुर के साथ वहा से चले जाती है
वही अब फूल ठंडे फर्श पर सोने लगती है वो फर्श इतना ठंडा रहता है कि उसकी ठंड से फूल ठिठुरने लगती है पर किसी को भी क्या फर्क पड़ता है कि उसे ठंड लग रही है कि नहीं....
सुबह जब उसकी नींद खुलती है तो देखती है कि सुबह सुबह सास किचेन में रहती है ये देखते ही उसे थोड़ा अजीब लगता है फिर खुद को सम्हालते हुए सास के पास जाकर उनके पैर छूने के लिए होती है की उसकी सास मुंह बनाकर कहा" बस बस... अब जा पीछे आंगन में बाथरूम है वह जाकर नहा आ..."
ये सुनकर फूल सास की बात मानकर पीछे आंगन में जाती है कि तो वहा बाथरूम को देखकर हैरान हो जाती है वो बाथरूम टूटा सा ईट का बना हुआ रहता है जिसमें दरवाजे के नाम पर सिर्फ पर्दा लगा हुआ रहता है माना की फूल छोटे घर से आई थी लेकिन उसने अपने मायके में भी इस तरह के बाथरूम में भी नहीं नाही होगी फूल खुद को सम्हालते हुए बाथरूम में जाती है जहा पर ठंडा पानी रखा हुआ रहता है एक तो ठंड उसमें भी ठंडा पानी..... ये देखकर फुल के आंखो से आंसू निकल पड़ते है लेकिन वो खुद को सम्हालते हुए नहाती है
नहा कर जब वो अपनी सास के पास आती है तो उसकी सास उसके शादी के गहने अपने पास रखते हुए कहा" ये गहने मैं रख लेती हूं तुझसे घूम सकते है इस पर फुल कुछ कह नहीं पाती है...."
सास आगे कहा" अब जा जाकर अपने पति को चाय दे आ..." इस पर फुल सिर झुका कर चाय का कप लिए राकेश के कमरे में जाती है कमरे में देखती है कि राकेश उसी समय उठा होता है और मोबाइल पर कुछ कर रहा होता है
फूल राकेश के पास आकर चाय सामने कर कहा" जी चाय...."
जैसे ही राकेश की नजर फूल के तरफ जाती है फूल को देखते ही राकेश का गुस्सा बढ़ जाता है वो चाय का कप लेता है तो फूल को लगता है कि उसके हाथ की कुछ चीज लेकर पी रहे है इस बात की उसे थोड़ी खुशी होती है लेकिन राकेश चाय का एक घुट पीता है फिर कप की चाय को फूल के चेहरे पर फेक देता है गर्म चाय फूल के गाल पर पड़ती है फूल दर्द के कारण चिल्ला पड़ती है" आह...."
फूल इतनी जोर से चिल्लाई कि उसकी सास कमरे में आकर देखती है तो फूल को देखकर शॉक्ड हो जाती है वो राकेश के पास आकर कहा" ये तूने क्या किया... इसका चेहरा जला दिया...."
इस पर राकेश कप को एक तरफ फेंकते हुए कहा" इससे कितनी बार कहा कि मेरे कमरे में इस तरह मत घुस लेकिन ये है कि...."
तभी उसकी सास ने कहा" अरे.... तुझे चाय देने मैने इसे कहा था अब इसके घर वालो को क्या जवाब दूंगी... अगर उन्होंने बहु का जला चेहरा देख लिए तो..."
ये सुनकर राजेश ने कहा" ये आपकी प्रॉब्लम है..."
तभी जेठानी कमरे में आती है वो देखती है कि फूल के चेहरे में चाय और नीचे जमीन पर कप टूटा रहता ये देखकर गुस्से में जेठानी ने कहा" मेरे कप का सेट तोड़ दिया... पता भी है ये कप कितना महंगा था.... तुम्हे कैसे पता होगा कमाओगे तभी तो पैसे की कीमत पता चलेगी"
ये सुनकर राकेश कुछ कहने के लिए होता है तो उसकी मां उसे रोक लेती है वही फूल जो ये सब सुनकर हैरान थी कि राकेश कुछ कमाता नहीं है क्या.... वही सास फूल पर गुस्सा करते हुए कहा" अब खड़ी खड़ी मुंह क्या देख रही है जा यहां से ओर सबके लिए नाश्ता बना..."
ये सुनकर फूल जले हुए चेहरे के साथ किचेन में जाती है उसके गाल पर जले का निशान बन गया होता है खुद को सम्हालते हुए वो काम कर रही होती है वही किचेन के बाहर फिर से आवाज सुनाई दे रही होती है
बात ये रहती है कि फूल के जेठ सरकारी ऑफिसर रहते है अच्छा खासा कमाते है... फूल के सास ससुर भी अपने बड़े बेटे पर ही आश्रित रहते है वही राकेश का मन ना पढ़ाई में रहता है और ना ही दूसरे काम में रहता है उसका बस घूमना फिरना और मोज मस्ती करना रहता है उसे किसी से कोई मतलब नहीं रहता है सास ससुर का झुकाव अपने छोटे बेटे के तरफ ज्यादा रहता है तो उन्होंने सोचा कि बेटा कोई दुकान ही खोल ले इसके लिए उन्होंने अपने पुश्तैनी घर को भी गिरवी रख दिया.... लेकिन राकेश ने उस पैसे को पानी की तरह बहा दिया उसने कुछ भी नहीं किया जिससे मजबूरी में सास ससुर को अपना घर बेचना पड़ा....
फूल के जेठ ने भी अपने छोटे भाई की मदद की पर राकेश मन किसी भी काम में नहीं लगता था जब जेठ की सरकारी नौकरी लगी तो उसके लिए लड़कियों की लाइन लग गई थी बड़े से बड़े घर की लड़कियों के रिश्ते आए थे इन सब में जेठ जी ने बड़े घर की मॉर्डन जेठानी को पसंद किया जो अपने साथ काफी दहेज भी लाई थी जिससे जेठ जी का रहन सहन बढ़ गया.....
ये ही सब देखकर राकेश के मन भी आया कि वो भी बड़े घर की लड़की से ही शादी करेगा... लेकिन कोई भी अमीर बाप अपनी बेटी की शादी राकेश जैसे निकम्मे से क्यों करना चाहेगा जहा भी राकेश अपने रिश्ते के लिए जाता तो हर तरफ से उसे ना ही सुनने को मिलता ये देखकर उसके मां बाप को भी बुरा लगता एक तो लड़का कुछ काम नहीं कर रहा ऊपर से दिन रात शराब के नशे में ही रहता है ये सब देखकर राकेश की मां ने सोचा कि इसकी शादी कर देते है एक बार शादी हो जाएगी तो ये अपनी जिम्मेदारी समझने लगेगा
पर अब समस्या ये थी कि राकेश को बड़े घर की लड़की से शादी करनी थी पर उसकी औकात ऐसी नहीं थी कि उसे कोई बड़े घर की लड़की मिले.... तो राकेश के पापा ने सुझाव दिया कि उसे बड़े घर की लड़की नहीं मिलेगी तो उसे किसी गांव की सीधी सादी लड़की से शादी कर देते है कुछ दिन तक राकेश मुंह फुलाएगा लेकिन बाद में जब उसकी अकल आएगी तो उसे अपना लेगा.....
ये सोचते हुए इसके मां पापा ने उसके लिए फूल को चुना... लेकिन राकेश का भाई इन सबके खिलाफ था वो नहीं चाहता था कि राकेश की शादी करा कर किसी लड़की की जिंदगी बर्बाद करे लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं सुनी....थक हर कर वो भी चुप होकर अपने मां पापा ओर राकेश की हरकतों को देखने के अलावा कुछ नहीं कर पाता है
फूल किचेन में रहती है और सिलबट्टे से चटनी पिस रही होती है क्योंकि उसके घर में मिक्सर नहीं रहता है तो उसे मिक्सी चालने नहीं आता वो जैसे तैसे किचेन का काम कर रही थी वो सुबह से कुछ भी नहीं खाई थी उसे भूख लग रही थी पर बाहर लिविंग रूम में आती ठहाको की आवाज से उसका मन तो खाने का कर रहा था लेकिन इतना काम उसे दे दिया था कि उसके पास खाने का भी समय नहीं रहता है अपने पसीने को पोछते हुए वो ट्रे में जूस और कोलड्रिंक लेकर लिविंग रूम में ले जाती है कहा जेठानी अपनी सहेली को बुलाए हुए रहती है वो वहा आकर सबको जूस दे रही होती है तभी जेठानी की एक सहेली ने कहा" अरे प्रभा... तूने नई नौकरानी रख ली है क्या..."
इस पर फुल को बहुत बुरा लगता है वो ये सुनकर कुछ कहने वाली होती है a कि फूल की जेठानी प्रभा बोल पड़ती है" हा वो पहले वाली कच कच करती थी बड़ी चोरनी निकली..."
तो दूसरी सहेली ने कहा" सम्हल कर रहना... ऐसी कम उम्र की नौकरानी हाथ साफ करने में माहिर होती है..." ये सुनकर फूल की आंखों से आंसू निकलने लगते है लेकिन वो खुद को सम्हालने की कोशिश करती है....
ये सुनकर सभी लोग हंसने लगते है वही डायनिंग टेबल पर फुल के जेठ अपने दोस्तो के साथ शराब पी रहे होते है जेठानी फूल को रोते हुए देखकर कहा" अब यहां खड़ी खड़ी क्या कर रही है जा... वहा वाइन की बोतल है सबके ग्लास में डाल..." ये सुनकर फूल की आंखे फैल जाती है उसके मायके में उसके पापा और भाई थोड़ा बहुत शराब पीते है लेकिन इस तहर घर की महिला को शराब सर्व करने के लिए....."
वो इस पर आगे कुछ कहने वाली होती है कि जेठानी जोर से चिल्ला कर कहा" देख क्या रही है जा...."
तभी बाहर से जोर दार आवाज से दरवाजा खुलता है और कमरे में राकेश आता है जो शराब के नशे में रहता है और इस तरह चल रहा होता है कि उसकी हिम्मत नहीं होती है चलने की वो चलते चलते गिरने के लिए होता है की तभी फूल आकर उसे संभालती है ये देखकर जेठ का पारा चढ़ जाता है वो राकेश को देखकर कहा" क्या तमाशा लगा रखा है तूने पहले तो तू रात को पिता था अब कभी भी शुरू हो गया.... तेरी खुद की तो इज्जत है नहीं हमारी इज्जत भी बर्बाद करने पर तुला है"
ये सुनकर राकेश होश में नजर नहीं आ रहा होता है जेठानी भी इस पर कहा" अरे... अब तो देवर जी को समझाने से कोई फायदा नहीं... इसके यहां रहने से हमारे घर का माहौल खराब हो रहा है... अब तो डिसाइड कर लो या तो इस घर में ये रहेगा या हम..मैं रोज रोज ये सब तमाशा नहीं झेल सकती"
ये सुनते ही सास ससुर भी वहा आते है ससुर अपने बड़े बेटे को समझाते हुए कहा" बेटा छोटा भाई है तेरा... तू इसका सहारा नहीं बनेगा तो कौन बनेगा.... "
इस पर जेठानी ने कहा" जितनी मदद करने थी कर लिए शादी करा दी इसकी अब खुद कमाए और खिलाए अपने परिवार को...."
ये सुनकर राकेश जोर से चिल्लाया" शादी शादी... मैं नहीं मानता ऐसी शादी... ऐसी देहाती लड़की मेरी बीवी नहीं बन सकती....." ये कहते हुए फूल जो उसे सम्हाल रही थी वो उसे जोर से धक्का देकर खुद से अलग करता है फूल जो सुबह से कुछ नहीं खाई होती है एक तो भूखे पेट चक्कर से वो कांच के बने टी टेबल के ऊपर गिर जाती है टेबल तो टूट जाता है वही फूल के सिर पर भी गहरी चोट लगती है ये देखकर वहा जितने भी लोग होते है वो शॉक्ड हो जाते है....
फूल को आनन फानन हॉस्पिटल ले जाया गया वहा इतने लोग के भीड़ में कुछ लोग के पास इंसानियत रहती थी उसी का सोच कर फूल को हॉस्पिटल एडमिट कर लिया जाता है वही से फूल के मां पापा को भी कॉल कर लेते है जहा उन्हें बस इतना कहा होता है कि फूल का एक्सीडेंट हो गया वो कांच के टेबल पर गिर गई है...." ये सुनकर तो फूल के मां के हाथ पैर फूल जाते है वही फूल के पापा भी घबराने लगते है अब उन्हें अपनी ही गलती का पछतावा होने लगता है कि क्या सोचकर उन्होंने अपनी बेटी की शादी बड़े खानदान में की.....
फूल के मां पापा जब हॉस्पिटल में जाते है जहा फूल का ऑपरेशन चल रहा होता है फूल के पापा देखते है कि वह कुछ लोग खड़े है यहां तक कि फूल के जेठ जेठानी भी वहा हॉस्पिट में है लेकिन वहां पर ना ही फूल के सास ससुर दिख रहे होते है और ना ही फूल का पति नजर आ रहा होता है फूल के पापा फूल के जेठ से पूछते है" जी दामाद जी नजर नहीं आ रहे है..."
ये सुनते ही फूल की जेठानी बोल पड़ती है" पड़ा होगा कही शराब पीकर... ओर क्या काम आता है उसे..."
ये सुनकर फूल की मां हैरान होकर कहा" क्या.... दामाद जी शराब पीते है..."
ये सुनते ही जेठानी हंसने लगती है वो आगे कहा" तो आपके दामाद को ओर आता ही क्या है या तो शराब पीना या तो हम सबको परेशान करना...."
ये सुनकर जेठ जेठानी को आंखे दिखा कर चुप होने का इशारा करते है जेठानी चुप हो जाती है फिरधिरे धीरे बाकी सब लोग वहा से जाने लगते है रह जाते है सिर्फ फूल के मां और पापा कितने मन्नतों से फूल की शादी दोनो ने की थी कि अच्छा बड़ा घर मिला है फूल खुश रहेगी लेकिन उन्हें कहा पता होता है कि उनकी फूल की तरह बच्ची के साथ शादी के दूसरे दिन ही ये सब हो जाएगा.....
फूल के मां के आंखो से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे वहीं फूल के पापा मन ही मन प्राथना कर रहे थे कि फूल ठीक हो जाए उसे कुछ नहीं होना चाहिए.... कुछ देर बाद जब डॉक्टर ऑपरेशन रूम से बाहर आते है उन्हें आता देखकर फुल के पापा खड़े होकर कहा" डॉक्टर साहब मेरी बच्ची कैसी है..."
ये सुनकर कहा" एवरी थिंक इस गुड.... कल तक उसे होश आ जाएगा चोट ज्यादा लगी है उसे रिकवरी में टाइम लगेगा... एंड हा उसने कल रात से कुछ नहीं खाया क्या..."
ये सुनकर फूल की मां हैरान होकर कहा" जी..."
इस पर डॉक्टर ने कहा" उसने कुछ नहीं खाया... आप लोग उसका ध्यान रखिए...."
ये सुनकर फूल की मां रोते हुए कहा" मेरी बच्ची के साथ क्या हो गया....
कुछ देर बाद फूल के मां पापा फूल के ससुराल जाते है जहां वो देखते है कि वहा तो सब नॉर्मल था जैसे वहा कुछ हुआ ही नहीं राकेश शराब के नशे में सोफे पर सोए हुए रहता है सास ससुर भी अपने काम में रहते है फूल के पापा आकर दरवाजा खटखटाते है तो ससुर खड़े होकर कहा" अरे आप लोग... हॉस्पिटल में आपको आपकी बेटी मिली की नहीं...."
ये सुनते ही फूल के पापा को बहुत गुस्सा आता है वो अपने गुस्से को दबाए हुए कहा" जी आपकी बहु हॉस्पिटल में है और आप लोग एक बार भी देखने नहीं आए...."
ये सुनकर राकेश शराब के नशे में कहा" क्यों आएंगे हम उस देहाती को देखने..."
ये सुनकर फूल की मां ने कहा" दामाद जी वो आपकी पत्नी...."
इस पर राकेश उठते हुए फूल के मां के पास बढ़ने लगता है शराब उसने इतनी पी लेती है कि वो खुद को ही सम्हाल नहीं पा रहा होता है ये देखकर फुल के पापा राकेश को बीच में रोकते हुए कहा" रुक जाइए दामाद जी ये हमारी ही गलती थी जो हमने अपनी बेटी की इस घर में शादी की... बड़े लोग को देखकर हमने सोच हमारी बेटी राज करेगी लेकिन.... यहां तो..." इतना कहकर फूल के पापा वहा से चले जाते है वही फूल की मां भी वहा से चले जाती है
उसके बाद फूल को होश आता है तो अपने मां पापा को देखकर रो पड़ती है वो रोते रोते सारी बात अपने मां पापा को बताती है कि वह उसके साथ क्या क्या हुआ इस पर फुल के पापा फूल को तलाक लेने के लिए कहते है फूल को बहुत बुरा लगता है कि शादी के कितने सपने देखे थे उसने सारे सपने कांच के आईने की तरह टूट गए फूल ने भी अपने पति पर केस कर दिया.... अब फूल को समझ आ गया कि उसे भी अपने पैरो पर खड़े होना है वरना लोग उसे निचा दिखाते रहेंगे......
कुछ दिन बाद फूल को तलाक मिल गया साथ ही में राकेश को जेल की सजा हुईं वहीं फूल के सास ससुर को भी समझ आ गया था कि उनका बेटा अब सुधरने वाला नहीं है वो उसके लिए कितना भी कर ले वो वैसा का वैसा ही रहेगा इसलिए अपना बुढ़ापा सुधारने के लिए वो अब बड़े बेटे के साथ रहे फूल के जेठ जेठानी ने भी इन सबके बाद राकेश से सारे रिश्ते तोड़ दिए..... क्योंकि उन दोनो को भी राकेश के कारण बहुत कुछ झेलना पड़ा
समाप्त