एक लड़का था, जो हमेशा अपनी अपनी कल्पनाओं मैं खोया रहता था। बो सोचता है कि काश ऐसी दुनियां होती जा सिर्फ बो अकेला होता। लेकिन उसे क्या पता था कि ये सच हो जाएगा। चारों तरफ डरावनी ख़ामोशी फैली हुई थी…
मानो पूरी दुनिया अचानक साँस रोककर सो गई हो।
लेकिन इस सोई हुई दुनिया में एक लड़का अब भी जाग रहा था — **आरव**।
आरव समझ नहीं पा रहा था कि एक ही रात में ऐसा क्या हुआ कि पूरा शहर खाली पड़ा है।
न इंसान… न गाड़ियों की आवाज़…
सब कुछ ऐसा लग रहा था जैसे यह दुनिया कभी थी ही नहीं।
सन्नाटा इतना गहरा था कि अपने कदमों की आवाज़ भी उसे डरा रही थी।
पर रुके तो वो पहले ही बहुत है…
इसलिए वह अपने डर को घूँट की तरह पीते हुए आगे बढ़ता गया।
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## **प्रयोगशाला की ओर सफर**
अजीब बात यह थी कि सारी राह खाली थी, पर हवा में एक बेचैनी तैर रही थी।
आरव ने सोचा—
“शायद इस सबका जवाब *प्रयोगशाला* में मिलेगा…”
वह वही जगह थी जहाँ वैज्ञानिक कई रहस्यमयी प्रयोग करते थे।
और आरव का दिल मानने को तैयार ही नहीं था कि यह सब सामान्य है।
जब वह वहाँ पहुँचा, तो भारी लोहा-दरवाज़ा आधा टूटा हुआ था।
अंदर हर तरफ टूटी काँच की शीशियाँ, टूटे कंप्यूटर, बिखरे कागज़…
मानो यहाँ कुछ बहुत भयानक हुआ हो।
लेकिन…
**डर के अलावा उसे कुछ भी नहीं मिला।**
एक भी इंसान नहीं।
सिर्फ अजीब गंध और बेचैन कर देने वाली निस्तब्धता।
एक पल के लिए उसे लगा—
“क्या मैं इस दुनिया में अकेला बच गया हूँ…?”
यह सोचकर उसका दिल और तेज़ धड़कने लगा।
वह फौरन बाहर निकल आया।
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## **उसका पहला साथी – शैडो**
प्रयोगशाला से लौटते हुए, सुनसान रास्ते पर उसकी नज़र अचानक किसी हल्की कराह पर पड़ी।
वह चौंककर पीछे मुड़ा।
वहाँ एक काला-सफेद, घायल-सा **कुत्ता** पड़ा था।
आरव धीरे-धीरे उसके पास गया…
कुत्ते ने थकी हुई आँखें ऊपर उठाईं—डर, दर्द और भरोसा… सब एक साथ।
आरव ने घुटनों के बल बैठते हुए उसका सिर सहलाया।
पहली बार उसे महसूस हुआ कि वह पूरी तरह अकेला नहीं है।
“तुम… आओ मेरे साथ,”
आरव ने फुसफुसाकर कहा।
कुत्ते की पूँछ हल्की-सी हिली, मानो वह भी इसी पल का इंतज़ार कर रहा था।
आरव ने उसका नाम रखा — **शैडो**
क्योंकि वह उस पर पहली बार नज़र पड़ा था जब परछाइयाँ लम्बी होकर उसके चारों तरफ फैली हुई थीं।
उस दिन के बाद, शैडो उसके साथ-साथ चलने लगा।
दोनों की जोड़ी इस वीरान दुनिया में एक-दूसरे की उम्मीद बन गयी।
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## **गुफा की सूचना**
जब दोनों आगे जंगल की ओर बढ़ रहे थे, तभी उन्हें एक पुरानी, जर्जर **झोपड़ी** दिखी।
झोपड़ी के सामने एक बेहद बूढ़ी—लगभग 120 वर्ष की दिखने वाली—डरावनी-सी औरत बैठी थी।
उसकी झुर्रियों भरी आँखें आरव को देखते ही काँप उठीं।
उस बूढ़ी औरत ने काँपती आवाज़ में कहा—
**“इस दुनिया में तू अकेला नहीं है बेटा…
जंगल के उस पार की *गुफा* में एक *सैतान* रहता है…
जिसने इंसानों को बंद करके रखा है…”**
आरव का दिल जोर से धड़क उठा।
क्या सच में कोई सैतान?
क्या बाकी लोग गुफा में क़ैद हैं?
बूढ़ी औरत की उंगली काँपते हुए दूर स्थित काले पहाड़ की ओर उठी।
आरव ने शैडो की ओर देखा।
शैडो भी मानो सब समझ गया हो, उसकी आँखों में एक दृढ़ता थी।
आरव ने गहरी साँस ली—
**“अगर किसी की जान उस गुफा में अटकी है… तो मुझे जाना ही पड़ेगा।”**
क्या हुआ आगे??