==================
स्नेहिल नमस्कार मित्रों
कितनी गति से भाग रहा है जीवन ! हम मुँह ताकते रह जाते हैँ और वह हमारे सामने से गुज़र जाता है । बात यह नहीं है कि हम जीवन को पकड़ नहीं पा रहे हैं ,बात है कि जीवन की अठखेलियाँ हमें सरल,सहज जीकन नहीं जीने देतीं अथवा यह कह लें कि हम स्वयं ही अपने वायदों,अपने विश्वास ,अपने जुड़ाव पर स्थिर नहीं रह पाते । हम स्वयं में न देखकर सामने वाले की ओर मुख घुमाए रखते हैं और वहीं स्वयं से चूक जाते हैं । हमारा व्यक्तित्व क्षीण पड़ने लगता है और दूसरे के प्रभाव पड़ने से हम अपनी वास्तविकता कहीं खो देते हैं।
आज AI का हम सब इतना अधिक प्रभाव पर पड़ रहा है कि हम अपनी नैसर्गिकता भूलते जा रहे हैं । यह हमारे विचारों, राय और भावनाओं को जिस प्रकार से प्रभावित कर रहा है, यह याद दिलाता है कि आंखों से दिखाई देने वाली हर चीज सत्य नही होती है। असली बुद्धि वह है जिसमें मन की स्पष्टता बनी रहती है। डिजिटल दुनिया की यह चुनौती हमें अपने भीतर झांकने को भी प्रेरित करती है। बाहर चाहे कितना भी भ्रम हो, मन की स्थिरता ही वह दीपक है जो अंधकार में रास्ता दिखाती है।
इसी प्रकार टेक्नोलॉजी से हटकर अपने आम जीवन में भी सामाजिक, पारिवारिक भ्रम में न उलझ कर हम सत्य, विवेक और आत्मजागरण पर अपने मन को केंद्रित कर सकें तो किसी भी प्रकार की तकनीक हमें अपने मार्ग से नही भटका सकती है। इसीलिए सत्य वही है जो हमारे भीतर से उजाला करे, न कि वह जो स्क्रीन से चमकता हुआ दिखाई दे।
आज की बात नहीं है ,यह सार्वभौमिक सत्य है कि हर काल में प्रत्येक के जीवन में कठिनाइयाँ,समस्या आती ही हैं । उनका निवारण,उनका समाधान कैसे हो ,यह चिंता व चिंतन करने का विषय है । किसी का भी जीवन आसान नहीं होता ,किसी के जीवन में कुछ तो किसी में कुछ कठनाइयाँ होंगी ही । क्या हम उनमें डूबकर अपना जीवन और कठिन बना लें? अथवा उनके समाधान के बारे में काम करना शुरू करें ?
यदि हम समस्या के बारे में सोचते ही रहें तो और अधिक परेशानी में घिर जाते हैं। समस्या के बारे में सोचने पर बहाने मिलते हैं,समाधान के बारे में सोचने पर रास्ते मिलते हैं। .हम सब इस तथ्य से परिचित हैं ही कि जिंदगी आसान नहीं है लेकिन जितना जीवन हमें मिला है,हमारे सामने है,उसे जीना तो पड़ता ही है । हमेशा से ही जीवन को जीने के लिए स्वयं को मजबूत बनाना जरूरी है।
किसी परेशानी का समय देखकर हम परेशान हो जाते हैं,थकने लगते हैं लेकिन ऐसे परेशान होने से कोई समाधान तो निकलेगा नहीं । हम इतना निराश हो जाते हैं कि अपने सहज जीवन से दूर जाने लगते हैं। प्रेम से दूर भागने लगते हैं।
हम सोचते हैं कि अच्छा समय आने पर हम बेहतर कर पाएंगे । बेहतर करुणा! बेहतर प्रेम!बेहतर आचरण ! लेकिन अच्छा समय कभी नहीं आता,हमें समय के साथ जूझकर उस को उत्तम बनाना पड़ता है।।
हमें अपने जीवन में अंधेरे से निकलकर रोशनी भरनी है ,तभी तो मार्ग स्पष्ट होगा। न केवल हमारे लिए बल्कि अपने से जुड़े अथवा अपने पूरे वातावरण के लिए। हम ऐसे दीपक बनकर जल सकें जिसकी बाती उजाला दे सके,जिसमें पूरा तेल हो जो मार्ग के अंधकार को दूर कर सके । ऐसे दीपक का क्या लाभ जो जलकर पूरा मार्ग प्रशस्त करे बिना जल्दी ही बुझ जाएं । जरा सी चमक, जरा सी उम्मीद दिखाई और उसके बाद फिर अंधकार ! जैसे फुलझड़ी जो एक मिनट के लिए जलती है और फिर बुझ जाती है सुबह उसको झाड़ू से किनारे कर दिया जाता है। चकरी को देखें जो तेज घूमती है, लगातार घूमती है , बुझने के बाद भी घूमती है। अर्थात् हम अपने जीवन मे इस प्रकार कुछ करें कि कभी भी न रुके ओर लगातार हमारा काम बेहतर और बेहतर बनता रहे । उसके बेहतर परिणाम आ सकें/ ।
मित्रों! जीवन का प्रत्येक कुछ न कुछ नया सोचने का विषय देता है ,उसके बारे में सोचकर ही हम सब एक-दूसरे की परेशानियों से बाबस्ता होकर बेहतर जीवन जी सकते हैं अन्यथा जैसे जीवन को आना है,चले भी जाना है ।
जाने से पहले कुछ ऐसे विचार। कुछ ऐसे समाधान ,कुछ प्रेम,कुछ स्नेह फैलाकर जा सकें ,इससे बेहतर और क्या हो सकता है ? हम सभी मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें,जीवन में उजाले भर सकें ।
सभी को शुभकामनाएं
आप सबकी मित्र
डॉ. प्रणव भारती