नंदीश संधु सिंह उस रात बंगले से निकल पड़ा आज वह सिर्फ़ एक पति नहीं था , वो वकील भी था और उससे भी ज़्यादा, एक सबूत को सुंघाने वाला शिकारी भी था ...
नंदीश की सबसे बड़ी ताक़त उसकी ठंडी समझ थी , कोर्टरूम में वह कभी आवाज़ ऊँची नहीं करता था, मगर सवाल ऐसे दागता कि सामने वाला खुद टूट जाए,
वह सबूतों को टुकड़ों में नहीं, कहानी की तरह पढ़ता था , शुरुआत, मध्य और अंत,
उसकी गाड़ी तुलसी के फ्लैट के सामने रुकी...
तुलसी का अकेलापन भरा फ्लैट
छोटी-सी सोसाइटी, तीसरी मंज़िल, कोने का फ्लैट ..दरवाज़ा खुलते ही नंदीश कुछ पल वहीं खड़ा रहा.. वो यहां एक बार ही आया था ,तुलसी का कोई नहीं वो अनाथ है कोई है तो उसकी दोस्त त्रिशा और उसकी फैमिली जिसने तुलसी को मजबूर किया उससे शादी करने के लिए ,उनकी शादी मजबूरी में हुई थी पर मजबूरी एक मजबूत दिशा की ओर बढ़ रही थी पंद्रह दिन के नोंक झोंक में... नंदीश अंदर गया कमरे में तुलसी की मौजूदगी अब भी महसूस हो रही थी...
उसकी हल्की-सी इत्र की खुशबू, खिड़की के पास रखा पौधा, और सोफे पर करीने से रखा दुपट्टा।
उसने सबसे पहले कानूनी नज़र से देखा.. आज यहां मौजूद होने के कोई के निशान नहीं था ,ना ताले टूटे ,ना फर्नीचर अस्त-व्यस्त ,मतलब ...तुलसी यहां नहीं आई , किसी ने उसे सोच-समझकर बाहर ले गया...
नंदीश ने मोबाइल निकाला, और
अपने निजी नेटवर्क से बात की ,
“इस गीतांजलि अपार्टमेंट के फ्लैट में पिछले तीन दिन का कॉल लॉग, विज़िटर रिकॉर्ड, और सीसीटीवी फुटेज चाहिए… अब ये केस को मैं सुलझाऊंगा अपने तरीके से उसने फोन डिस्कनेक्ट किया और तुलसी के टेबल पर कुछ फाइल थे ...
नंदीश कुछ ढूंढ रहा था उसने बेडरूम में आया यहां वहां देखा फिर शेल्फ़ पर नज़र गई वो शेल्फ खोला उसे एक पतली-सी नीली डायरी दिखाई दिया ..नंदीश ने डायरी पर लिखा था 02 , उसने उँगलियों से उसे थामा जैसे किसी नाज़ुक सच को पकड़ रहा हो।
पहला पन्ना..
मेरी यह दूसरी डायरी है 02 ,
मैने पांच कंपनी में इंटरव्यू दिया जिनमें से एक बड़ी कंपनी सिंह एंड सस् प्राइवेट लिमिटेड , बाकी रॉय कॉरपोरेशन में नहीं जाना चाहती क्योंकि त्रिशा के डैड की कंपनी है ....
त्रिशा चाहती है मैं उसकी कंपनी ज्वाइन करूं हम दोनों साथ काम करें लेकिन मैं नहीं चाहती क्लास 6th से वो मेरी हमसाया बनकर चल रही है मेरी हर खर्चा उठा रही है वैसे भी उसकी एहसान के कर्ज में डूबी हुं ,और कंपनी ज्वाइन करके एहसान नहीं लेना चाहती , मैं एजुकेटेड हुं अपने पैरों पर खड़े होना चाहती हुं,बाबा का इलाज का खर्चा अब मैं खुद उठाना चाहती हुं .. त्रिशा में कमजोरी नहीं ताकत है जिसको कभी भूल नहीं सकती....
इन सब में त्रिशा का नाम ही सबसे ज्यादा था जैसे तुलसी और त्रिशा एक जान दो जिस्म हो ....
नंदीश की भौंहें तन गईं।
तुलसी ने लिखा था..
त्रिशा मेरी वो दीवार है जो हर मुसीबत में चट्टान बनकर खड़ी हो जाती…”
“त्रिशा मेरी परछाई है… बिना उसके मैं अधूरी हूँ…“अगर ज़िंदगी में किसी ने मुझे हमेशा बचाया है, तो वो त्रिशा है…”
नंदीश ने डायरी बंद की।
उसे याद आया...त्रिशा से उसकी अच्छी बातचीत हुआ करता था , ऑफिस के काम से और शादी के रजामंदी के लिए , त्रिशा ने अपने तरफ से शादी के लिए हां कहा था फिर अचानक मंडप छोड़ कर भाग गयी और उसमंडप पर तुलसी बैठ गई थी..उस की शादी से इंकार ने ही नंदीश को तुलसी तक पहुँचाया था,
एक अजीब-सा त्रिकोण, जो कभी पूरी तरह सुलझा ही नहीं था।
नंदीश ने खुद से बुदबुदाया ,“हर किडनैप तीन चीज़ों से जुड़ा होता है ,मकसद, मौका और मुनाफ़ा,
मुनाफ़ा..???? न पैसे की मांग, न फिरौती का कॉल।
तो बचा....
मकसद!!
उसने डायरी फिर खोली,
एक पन्ना बार-बार उसकी आँखों में चुभ रहा था त्रिशा और तुलसी का क्लोज़ होना ,यानि त्रिशा के पास कुछ सबूत हो सकता है ...
नंदीश फिर एक बार उस डायरी को शुरू से पढ़ने के लिए सोफे पर बैठा और तुलसी की डायरी पढ़ने लगा..
मैं तुलसी आज अपने करियर का छठवीं बार मल्टीनेशनल कंपनी में इंटरव्यू देने जा रही थी , अपने छोटी-से किराए की फ्लैट में सुबह की धूप खिड़की से छनकर अंदर आ रही थी और कमरे में एक हल्की-सी गर्माहट थी, तुलसी आईने के सामने खड़ी थी, नीली फॉर्मल शर्ट और ब्लैक पैंट पहने, लंबे बालों को जल्दी-जल्दी सेट करती हुई, चेहरे पर घबराहट और उत्साह दोनों का अजीब-सा मिश्रण था..
तभी उसका फोन लगातार वाइब्रेट होने लगा...वो झुंझलाकर बोली ," ओफ्फो..
स्क्रीन पर नाम चमक रहा था ,त्रिशा कॉलिंग...
तुलसी ने तेजी से लिपग्लॉस लगाते हुए, फोन को स्पीकर पर रखते हुए बोली ,
“हेलो त्रिशा, आ रही हूँ बाबा… तुम दो मिनट रुको!
नीचे पोर्च पर खड़ी मिशा ने लगभग चिल्लाते हुए कहा, “तुलसी , दस मिनट से नीचे खड़ी हूँ अपनी बुलेट पर , तू पाँच मिनट बोलकर दस मिनट लगा देती है हर बार… आज तो तेरा इंटरव्यू है, लेट हो गई तो मैं बोल रही… मेरा तो नहीं, तेरा ही नुकसान होगा!
तुलसी ने कंधे उचकाते हुए आईने में खुद को देखा
“बस बस, नाटक रानी… अभी आई..
लेकिन अंदर से उसका दिल धक-धक कर रहा था “आज सब ठीक होना चाहिए… प्लीज़ गणेशा वह खुद से बुदबुदाई , फिर
वो रिज़्यूमे की फाइल और अपना छोटा-सा लकी पेन बैग में डालकर फ्लैट का दरवाज़ा बंद करने ही वाली थी कि उसकी नज़र दीवार पर लगी अपनी छोटा सा गणेश भगवान की मूर्ति देखकर रुक गई ,गणेशा की आर्शीवाद देते हाथ जैसे उसे हिम्मत और आशीष दे रहा हो..
तुलसी ने एक पल रुककर धीमे से कहा—
“गणेशा… आज भी आपका आशीर्वाद चाहिए .. उसने अपने दिल पर हाथ रखा और आंखें बंद कर सिर झुकाई और फिर जल्दी से बाहर निकली..
तुलसी जैसे ही वो नीचे पहुँची, त्रिशा हेलमेट उतारकर गुस्से में बोली,“आज तो तू गई महारानी , इंटरव्यू देने जा रही है या स्विट्ज़रलैंड घूमने..??
तुलसी हँसते हुए बोली...“बस बस… खा जाओगी क्या मुझे..?? चलो जल्दी, सॉरी बाबा ... सॉरी
त्रिशा ने उसे पीछे बैठने का इशारा किया ,
“बैठ जा, वरना तेरे सपने उन फुटपाथ पर रह जाएंगे!
तुलसी ने बैग को कसकर पकड़ा और बुलेट पर बैठ गई , जैसे ही मोटरबाइक स्टार्ट हुई, हवा उसके चेहरे से घबराहट हटाती चली गई , त्रिशा को तेज चलाने की आदत थी, और आज तो जैसे वह तूफान बनकर गाड़ी चला रही थी...
“अरे धीरे... तुलसी चिल्लाई।
त्रिशा बोली,“आज नहीं… तू लेट हुई है, अब बाइक नहीं, मैं तेरी किस्मत दौड़ा रही हूँ!
तुलसी हँस पड़ी, उसके मन की डर गुम हो गई थी ..
रास्ता खूबसूरत था ,सड़क किनारे पेड़, ऊँची इमारतें, भागती हुई जिंदगी… और इन सबके बीच तुलसी का मन बस एक बात सोच रही थी...“कब मेरी जिंदगी बदलेगी , मैं उन बदनाम गलियों में नहीं जाऊंगी मैं अपनी किस्मत खुद बनाऊंगी ..
त्रिशा ने उसकी तंद्रा तोड़ी..
“वैसे, याद है मैंने क्या कहा था ?? वहां कॉन्फिडेंस दिखाना , तू जितनी टैलेंटेड है ना, इंटरव्यूअर खुद खड़े होके सलाम करें ऐसा धांसू बोलना किसी से डरने की जरूरत नहीं तुझे समझी तेरे पीछे मिशा खड़ी है याद रखना..
तुलसी मुस्कुरा दी...“त्रिशा… तू ना, मेरे लिए एक मोटिवेशन मशीन है यार ,सोचती हुं कभी कभी कि तू मुझे नहीं मिलती तो मेरा क्या होता ..!!
त्रिशा बोली...“ तेरा कुछ होता या नहीं होता ये गणेशा को पता है मुझे नहीं ,हाँ, और तू ऐसे 'लेटलतीफ रानी' बनेगी तो शायद सिक्योरिटी गार्ड अंदर भी नहीं जाने देगा ...
दोनों हँस पड़ीं..."हाहाहाहाहा
कुछ ही देर में बुलेट उस ग्लास बिल्डिंग के सामने रुक गई, जहाँ बड़े-बड़े अक्षरों में company का नाम चमक रहा था, गाड़ी का इंजन बंद हुआ और तुलसी का दिल अचानक जोर से धड़कने लगा..
“ओए.. साँस ले… इंटरव्यू है, शादी नहीं तेरी ना वहां तेरा दूल्हा और उसके मां है , त्रिशा ने चुटकी ली...
तुलसी ने गहरी साँस ली ,“थैंक्स, त्रिशा… तू ना होती तो मैं आधे रास्ते से ही वापस आ जाती।
त्रिशा ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा ,
“तुलसी, आज तू जीतेगी , बस अंदर जा… और डर को मेरे पास बाहर छोड़ दे।
तुलसी ने सिर हिलाया, अपने कपड़े ठीक किए, बैग संभाला… और आत्मविश्वास के साथ बिल्डिंग की ओर बढ़ी।
आज शायद उसे नहीं पता था ..
इस इंटरव्यू के दरवाज़े के पीछे सिर्फ नौकरी नहीं… उसकी जिंदगी का नया मोड़ भी इंतज़ार कर रहा था....कौन सा मोड़,
कौन लोग उससे मिलने वाले थे..??
और क्या यह इंटरव्यू उसकी तकदीर बदल देगा..??
भाग – इंटरव्यू : काँच की दीवारों के उस पार
तुलसी ने जैसे ही ग्लास बिल्डिंग के अंदर कदम रखा, बाहर की तेज़ रफ्तार दुनिया अचानक पीछे छूट गई। अंदर सब कुछ अलग था ,ठंडी एसी की हवा, चमकती फर्श, रिसेप्शन पर मुस्कुराती हुई लड़की, और हर तरफ़ तेज़ क़दमों से चलते प्रोफेशनल लोग,
उसका दिल फिर से ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा।
“शांत… शांत… तुम कर सकती हो,” उसने खुद से कहा...
रिसेप्शन पर पहुँचकर उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा,“गुड मॉर्निंग… मेरा इंटरव्यू है, 10:30 बजे"
रिसेप्शनिस्ट ने कंप्यूटर पर नाम चेक किया,
“तुलसी"… थर्ड फ्लोर, कॉन्फ़्रेंस रूम B प्लीज़ वेटिंग एरिया में बैठ जाइए”
तुलसी ने धन्यवाद कहा और सोफ़े पर आकर बैठ गई...
आसपास कुछ और कैंडिडेट्स भी बैठे थे ,कोई बार-बार घड़ी देख रहा था, कोई लैपटॉप में कुछ पढ़ रहा था, तो कोई आँखें बंद कर शायद दुआ कर रहा था। तुलसी ने बैग से अपना लकी पेन निकाला, उसे हथेली में थाम लिया..
“छठवीं बार है… लेकिन ये आख़िरी हो गणेशा,” उसने मन ही मन प्रार्थना किया।
कुछ ही देर में नाम अलाउंस हुआ
“Miss Tulsi ..??
तुलसी तुरंत खड़ी हुई, “यस मैम…
कॉन्फ़्रेंस रूम का दरवाज़ा खुला, वो अंदर गयी तो एक बड़ा सा टेबल, काँच की दीवारें और सामने तीन लोग बैठे थे..एक महिला, प्रोफेशनल लुक में थी एक लगभग चालीस साल का गंभीर सा आदमी और तीसरा… सूट पहने, शांत आँखों वाला, जिसकी नज़र जैसे सीधे स्कैनर हो ...
“गुड मॉर्निंग, तुलसी,” महिला HR ने कहा,
“गुड मॉर्निंग, मैम… गुड मॉर्निंग सर,” तुलसी ने हल्का झुककर अभिवादन किया।
“प्लीज़, सिट डाउन।”
कुर्सी खींचते वक़्त उसके हाथ हल्के से काँपे, लेकिन उसने खुद को संभाल लिया।
महिला HR ने फ़ाइल पलटते हुए कहा,
“तो तुलसी, सबसे पहले अपने बारे में कुछ बताइए”
यही सवाल… जो हर बार पूछा जाता है।
लेकिन आज तुलसी ने तय किया था ,वो डर से नहीं दृढ़ता से जवाब देगी"
वो हल्की मुस्कान के साथ बोली,
“मैम, मैं तुलसी हूँ ,22 साल की हूँ , एक छोटे शहर से हूँ, जहाँ सपने बड़े देखना थोड़ा मुश्किल माना जाता है… लेकिन सपने देखना बुरी बात नहीं और भगवान की कृपा रही तो सकार भी होते हैं..."मैं एक अपने कार्य के प्रति प्रोफेशनल बनना चाहती हूँ जो सिर्फ़ नौकरी न करे, बल्कि कंपनी के साथ ग्रो करे”
कमरे में हल्की-सी खामोशी छा गई..
सीरियस दिखने वाले इंटरव्यूअर ने पूछा,
“आपने अब तक कितने इंटरव्यू दिए हैं..??
ये सवाल जैसे सीधे तुलसी के डर पर वार था,तुलसी ने गहरी साँस ली ,“सर… मैंने पांच इंटरव्यू दे चुकी हुं और यह छठवीं है ,मैं रिजेक्शन से डरी नहीं हूँ ,हर रिजेक्शन ने मुझे बेहतर बनाया है, और पहले मैं साबित करना चाहती हुं कि मैं काबिल हूँ…
तीसरे इंटरव्यूअर की भौंह हल्की-सी उठी..
महिला HR ने अगला सवाल किया,
“अगर आपको यहाँ जॉब मिलती है और छह महीने बाद आपको इससे बेहतर ऑफ़र मिल जाए, तो आप क्या करेंगी..??
तुलसी ने बिना सोचे जवाब दिया,
“मैम, बेहतर ऑफ़र सिर्फ़ सैलरी से नहीं होता...अगर मुझे यहाँ सीखने का मौका, रिस्पेक्ट और ग्रोथ मिलेगी, तो मैं लॉयल रहूँगी, फिर दूसरे जगह अच्छा opportunity मिली तो उस कंपनी के व्यवहार देखूंगी कि वो अपने एम्प्लोई से लॉयल है कि नहीं...
सीरियस इंटरव्यूअर हल्का-सा मुस्कुरा दिया,"ओके....
अब टेक्निकल सवालों की बारी थी,
एक-एक सवाल… केस स्टडी… सिचुएशनल प्रॉब्लम्स…
तीसरे इंटरव्यूअर ने अचानक पूछा,
“तुलसी, आप अपने सबसे बड़े फ़ेलियर को कैसे डिफ़ाइन करेंगी..??
तुलसी की आँखों में एक पल के लिए कुछ नमी आई, लेकिन आवाज़ स्थिर रही,
“सर… मेरा डिक्शनरी में फ़ेलियर शब्द ही नहीं है, मैं खुद पर विश्वास करती हुं और यही मेरी सबसे बड़ी ताक़त है"
कमरा फिर शांत हो गया।
महिला HR ने फ़ाइल बंद की,
“थैंक यू, तुलसी, आपका इंटरव्यू काफ़ी अच्छा रहा...
हम आपको मेल के ज़रिए अपडेट करेंगे "
तुलसी खड़ी हुई,
“थैंक यू सो मच, मैम… थैंक यू, सर ,
दरवाज़ा बंद होते ही उसके पैर जैसे ढीले पड़ गए, वो वॉशरूम में जाकर आईने के सामने खड़ी हो गई,“जो बन पड़ा था उससे सवालों के जवाब दे आई थी…”उसने लकी पेन को माथे से लगाया, “थैंक यू, गणेशा”
थोड़ी देर बाद बाहर निकलते ही मिशा उसे देख चुकी थी, वो दौड़ती हुई आई ,
“क्या हुआ बेब..?? कैसा गया इंटरव्यू..??
तुलसी ने कुछ सेकंड उसे बस देखा, जैसे शब्द ढूँढ रही हो, फिर अचानक उसकी आँखें भर आईं और अगले ही पल वो हँसते हुए मिशा की बाहों में सिर रख दिया,
“त्रिशा… पता नहीं सेलेक्शन होगा या नहीं…” आवाज़ कांप गई,
“पर आज पहली बार… मुझे खुद पर पूरा भरोसा था , मैंने डरकर नहीं, कॉन्फिडेंस से जवाब दिया , बस… यही सोचकर दिल हल्का लग रहा है "
त्रिशा ने उसे कसकर पकड़ लिया, उसकी पीठ थपथपाते हुए बोली ,
“बस… यही जीत है, मेरी इनोसेंट बेब्स, रिज़ल्ट बाद की बात है, आज तुमने खुद को जीत लिया"
दूर उसी काँच की ऊँची बिल्डिंग के भीतर, इंटरव्यू रूम में बैठा एक इंटरव्यूअर दूसरी से धीमे स्वर में बोला ,“उस लड़की में कुछ है… डिग्री इम्पोर्टेंट नहीं होती हर बार , उसमें जो जज़्बा था, वही इस कंपनी को चाहिए"
दूसरी ने सहमति में सिर हिलाया, फ़ाइल पर हल्का-सा निशान लगाते हुए।
कहानी जारी रहेगी...