स्वस्मै स्वल्पं समाजाय सर्वस्वं।

अंदर कोई झांके तो टुकड़ो में मिलेगा वो,
ये मुस्कुराता चेहरा तो जमाने के लिए है।
#Empathy

ईलाज़ ये है कि मज़बूर कर दिया जाऊँ,
वरना यूं तो किसी की नही सुनी मैंने।

मैं और भी खामियां बताऊंगा....
तू मेरी गुफ्तगू तो कर मुझसे..!!

तीर ताने हुए हूँ दर्पण पर,
मैं शिकारी भी हूँ,
निशाना भी....

आप ही अपने काम आएंगे,
कभी सीखिए खुद से ही मशवरा करना... !!

समंदर में ले जा कर फरेब मत देना,
तू कहे तो किनारे पे डूब जाऊं मैं....

इस क़दर कड़वाहट आयी
उसकी बातों में...
आखिरी ख़त दीमक से भी
ना खाया गया.....

तुम कहाँ हो मेरे करीब आओ,
मैं कहाँ हूँ मुझे पता तो चले....

होते हैं ऐसे भी लोग

जिनसे सूखा गुलाब भी नहीं फेका जाता .....!

आंसू अंतिम प्रयास है।