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बेटियां.. हम बेटियां बन कर आई हैं मां बाप के जीवन में बसेरा होगा हमारा कल किसी और के आंगन में दे कर जन्म पाल के हमको बड़ा किया और फिर वक्त आने पर अपने ही हाथों से विदा किया क्यों ये रीत ऊपर वाले ने बनाई होगी कहते है आज नहीं तो कल बेटी पराई होगी क्यों ये रिश्ता इतना अजीब होता हैं क्या यही हम बेटियों का नसीब होता हैं
तेरे होते हुए में किसी और को क्यों सोचूं जान हो तुम जान का मतलब तो समझते हो ना तुम
जान कहने से कोई जान नहीं होता अगर कोई कह भी दे तो नुकसान नहीं होता
आसमान पर नजर है लोगों की चांद उनका वही पर रहता है पर में क्या ढूंढूं आसमान में मेरा चांद तो ज़मीन पर रहता है
आज कल के नौजवानों के लिए कुछ शब्द काम काज छोड़ कर फिर एक नो जवान सुंदरी से सुंदरी की मेल में लगा है दिन रात जाग कर बाबू सोना करता है प्यार के वो नए नए खेल में लगा है कोई इसे समझाओ डिब्बा ये जवानी वाला जिन्दगी की राजधानी रेल में लगा है ये बेचारे प्यार की परीक्षा में बार बार फेल पास फेल पास फेल में लगा है
मैंने तो अपना सफ़र तय कर लिया है लाड़ली , या तो ज़िंदगी तेरे साथ कटेगी, या फ़िर अकेले आया था दुनियां में, अकेले ही रहूंगा , और अकेले ही जाऊंगा दुनिया से.......!!! सारे लफ्ज़ फिरो दिए इस शायरी में क्योंकि ये दिल से लिखे शब्द है Good night
इश्क करना कोई जुर्म नहीं है लेकिन दूसरा उसने पहले के रहते हुए किया है उसने
हमने हर दुख को मोहब्बत की अजियत समझा हम क्या तुम थे जो तुम से शिकायत करते की मोहब्बत तो सियासत का जलन छोड़ दिया हमने हम अगर इश्क़ न करते तो हुकूमत करते
आंखे झूठ नजारा झूठ यानी जो है वो सारा झूठ मुझे कहो अपना बोलो आज फिर दुबारा झूठ
जिसके लिए सब लूटा दिया हमने वो कहते है भुला दिया हमने गए थे उसके आंसू पोछने इल्ज़ाम लगा दिया रुला दिया हमने
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