Quotes by Darshita Babubhai Shah in Bitesapp read free

Darshita Babubhai Shah

Darshita Babubhai Shah Matrubharti Verified

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मैं और मेरे अह्सास

माँ की दुआएं
माँ की दुआओ का असर देख लो l
होने लगी दुनिया में क़दर देख लो ll

पाठशाला से घर आएं हुए नादान l
बच्चों की आँख में तड़प देख लो ll

सो साल का बुढ़ा भी माँ को तरसे l
सभी उम्र में होती गरज देख लो ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

बौद्धिक ज्ञान से सोच सकारात्मक हो जाती हैं l
भीतर आंतरिक खोज सकारात्मक हो जाती हैं ll

नया दिन जो भी साथ लाया उसे स्वीकार करें l
जिंदगी रोज ही रोज सकारात्मक हो जाती हैं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

दिल में छुपी हुई सारी बात लिखो l
ख़ामोश अनकहे ज़ज्बात लिखो ll

युगों से तरसे है जिस भावना को l
तनमन भीगे एसी बरसात लिखो ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

स्मृति
पुरानी स्मृतियाँ दिल में हलचल मचा जाती हैं l
सुहाने प्यारे मीठे लम्हेंकी याद रुला जाती हैं ll

तहखाने में से निकली हुई पुरानी तसवीरें l
छोटी सी मुलाकात की आग लगा जाती हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास
दिनकर
मानवता का दिनकर लोगों के दिलों में उगना जरूरी हो गया हैं l
हर समय हर लम्हा चौकन्ना रहकर जगना
जरूरी हो गया हैं ll

एक दिन तो पंचभूत में ही मिल जाना है
ये स्वीकार करके l
मिट्टी से भले बने हो पर सोने का लगना
जरूरी हो गया हैं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

पुस्तक
पुस्तकों से दोस्ती करके बहुत कुछ पाओगे l
आदर और सम्मान मिलेगा जहां भी जाओगे ll

पढ़ने के अभ्यास से ओ ऊँच सोच के साथ l
खुद में और समाज में बड़ी क्रांति लाओगे ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

पृथ्वी की हर जगह में सौंदर्य छलकता हैं l
उसकी हर धड़कन में संगीत धड़कता हैं ll

ये माता हमारी यहां बस्ती दुनिया सारी l
चारौ ओर पैड पौधों से जग महकता हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

चाय तो सिर्फ़ बहाना है बातें करने का l
जरिया है मन को खुशियों से भरने का ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

अनुभव
जिंदगी के अनुभव से चमक-दार नज़र आते हैं l
समय की रफ़्तार के आगे बेजार नज़र आते हैं ll

नादानी और बचकानी हरकतों में उम्र गुजार दी l
अब पहले से तो काफ़ी समझदार नज़र आते हैं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास
देश की मिट्टी
देश की मिट्टी की ख़ुशबु घर वापिस परदेशी को ले आएंगीं l
अपनों के प्यार की जुस्तजू घर वापिस परदेशी को ले आएंगीं ll

जहाँ पहचान उस घर, आँगन, गालियाँ, दोस्त वहीं पर आज l
ख्वाबों से निकाल रूबरू घर वापिस परदेशी को ले आएंगीं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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