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मध्यम वर्गीय लोग प्रेम चाहते ही है अमीरों से ,और वे भूल जाते है अमीरों के सिर्फ अमीर ही अच्छे दोस्त होते है।
आखिर हमें जो जिंदा रखते हैं वो🌳🍂 भी रंग बदलते हैं वसंत में.. और हमे लोगो के बदलाव से फर्क पड़ जाता है.. प्रकृतिका भी नियम है, रंग बदलने के बाद पुराने जैसा हो जाना..
*क्यों है?? क्यों है ये जात पात ? क्यो है ये अंध विश्वास ? क्यों है ये रंगभेद क्यों ही है ये काला सफेद ? क्यों है ये भेदभाव ? क्यों ही है ये अमीर खास ? क्यों है गरीब पर कम विश्वास ? क्यों है धर्म की लड़ाई ? क्यों है ये नफरत ? क्यों है ये जंग ? और किस बात का है गुरूर? जब अंत में जाना ही है सबसे दूर।*
महेकते हर गुलाब । पर जरूरी नही हर गुलाब को सूंघा जाए तोड़ा जाए, दिया जाए, बस दूर से देखा भी जा सकता है. उसकी तो खूबी ही है महेकना ।
शादी के बाद जिन स्त्रियों को स्वतंत्रता नहीं मिलती। वो ढोंग करती है शांत और शुशील स्वभाव का। वास्तव में वो अपना हूनर और प्रेम दोनोको मार देती है।
પ્રેમ ના દરિયા ને માપવો હોય ને તો પથ્થર નાખી ના મપાય . એમાં નાવ લઈને મધદરિયે પોચવું પડે..
हमेशा स्त्री को चाहिए बहेतर उम्मीद पूरी करनेवाला मर्द. आपकी महत्वाकांक्षा का कोई मोल नही .अगर आप किसी पुरुष की तुलना मे कम हो तो आपको बेहतर होना जरूरी है। और ये उन स्त्री पर लिखा गया है जो खुद किसी के आधीन जिंदगी गुजरना चाहती है। स्वतंत्र स्त्री खुद को बेहतर बनाती हे,और पसंद करती है खुश और स्वतंत्र रखनेवाला पुरुष.
लोग छोटे कपड़े से इतने बुरा नही मानते । जितना वो छोटा सोचते हे.. परहेज छोटे कपड़े नही छोटी सोच है।
हम सब लोग बस संभावना और तर्क से जुड़ जाते हे.यतीत और प्रतीत को भूल कर..
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