Quotes by Aachaarya Deepak Sikka in Bitesapp read free

Aachaarya Deepak Sikka

Aachaarya Deepak Sikka Matrubharti Verified

@drdeepaksikkagmailco
(47.5k)

*ॐ नमः शिवाय।*

प्रश्न कुंडली में देखा जाए तो सभी ग्रह और भाव महत्वपूर्ण हैं परंतु चंद्रमा की स्थिति और चंद्रमा किस भाव में है ये विशेष महत्व रखता है।

अतः प्रश्न कुंडली में चंद्रमा पर सभी रिजल्ट्स अत्यंत निर्भर करते हैं।

चंद्रमा मन का कारक है और याद रखें प्रश्न सदैव मन से ही उत्पन्न होता है।

दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु बुद्ध ग्रह है जो कि वाणी का कारक है।

मन द्वारा उत्पन्न प्रश्न को आप वाणी के द्वारा कितना स्पष्ट कर पाएंगे ये बुद्ध की स्थिति पर निर्भर है।

तीसरा महत्वपूर्ण बिंदु गुरु है क्योंकि गुरु आकाश तत्व है और आकाश तत्व के द्वारा ही हम श्रवण करते हैं।

आपके द्वारा व्यक्त प्रश्न को सामने वाला कितनी स्पष्टता से सुन पाएगा या ग्रहण कर पाएगा ये गुरु की स्थिति पर निर्भर है।

*आचार्य दीपक सिक्का*
*संस्थापक ग्रह चाल कंसल्टेंसी*

Read More

*ॐ नमः शिवाय*

*कर्मों का पीछा*

एक छोटे से गाँव में एक व्यक्ति रहता था — नाम था शंभू। वह दिखने में तो बहुत साधारण था, पर उसका अभिमान आसमान छूता था। गाँव में अगर कोई भूखा होता, तो वह कहता – “मुझे क्या लेना? हर कोई अपने कर्मों का फल भोगे।”
वह अपने कर्मों को भी हल्के में लेता — झूठ बोलना, दूसरों का हक मारना, और जरूरतमंद की मदद न करना उसकी आदत बन चुकी थी।

एक दिन गाँव में एक वृद्ध साधु आया। उसने सबको कर्म का महत्व समझाया और कहा —
“कर्म बूमरैंग की तरह हैं बेटा, जो जैसा करेगा, वैसा पाएगा। चाहे आज नहीं, कल सही।”

शंभू ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा —
“महाराज, अगर सच में कर्म लौटते हैं तो मुझे अभी क्यों नहीं सज़ा मिली?”
साधु मुस्कुराया, “बीज बोया है, फल आने दो।”

साल बीतते गए। शंभू का व्यवसाय बढ़ा, धन-वैभव खूब मिला, पर उसका मन और निर्दयी होता गया।
वह गरीबों का मज़ाक उड़ाता, अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम भेज देता और मंदिर जाते हुए भी सिर्फ नाम का माथा टेकता।

एक दिन अचानक उसे अजीब बीमारी हो गई। डॉक्टरों ने कहा — “इसका इलाज नहीं।”
दिन-रात वह बिस्तर पर तड़पता, पर कोई उसके पास न आता। जिन लोगों की मदद न की थी, वे अब उससे नज़रें चुरा लेते।
एक दिन वही साधु फिर आया। उसने कहा —
“याद है शंभू, तुमने कहा था — कर्म मुझे क्यों नहीं पकड़ते? अब पकड़ चुके हैं। जिस दर्द की अनदेखी तुमने दूसरों की की थी, वही दर्द अब तुम्हारे जीवन में उतर आया है।”

शंभू रो पड़ा। बोला, “अब क्या करूँ महाराज?”
साधु ने कहा, “अभी भी देर नहीं हुई। भगवान से क्षमा मांगो, सेवा करो, पश्चाताप ही मुक्ति का मार्ग है।”

शंभू ने शेष जीवन गरीबों की सेवा में लगा दिया। उसके कर्मों ने धीरे-धीरे उसे शांति दी।
मृत्यु के समय वह मुस्कुराया —
“सच कहा था महाराज… कर्म कभी पीछा नहीं छोड़ते, पर सच्चे कर्म उन्हें भी माफ कर सकते हैं।”

*शिक्षा:*

मनुष्य योनि में किया गया हर कर्म, चाहे छोटा या बड़ा, लौटकर अवश्य आता है।

इसलिए कहा गया है —

“सोच समझकर कर्म कीजिए,
क्योंकि कर्म ही भाग्य का लेख है।”

आचार्य दीपक सिक्का
संस्थापक ग्रह चाल कंसल्टेंसी

Read More

*ॐ नमः शिवाय।*

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
------------------------------------

"तुम सदैव कह सकते हो कि प्रतिमा ईश्वर है,
केवल यही सोचने की भूल से बचना की ईश्वर प्रतिमा है ।"
'स्वामी विवेकानंद'

जड़त्व में ईश्वर है >< ईश्वर में जड़त्व नहीं है

🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷

Read More

*The 12 Kalas of the Sun:*

Tapini — Containing heat
Taapini — Emanating heat
Dhumra — Smoky
Marichi — Ray-Producing
Jvalini — Burning
Ruchi — Lustrous
Sudhumra — Smoky Red (as if fire seen through smoke)
Bhogada — Granting enjoyment
Vishva — Universal

Read More

Easy Vastu Remedies From My Vastu Notes.

चित्त शुद्धि व्रत, तप, दान, शास्त्र, वेद, तीर्थ यात्रा से नहीं — ज्ञाननिष्ठ पुरुष के सत्संग से होती है।

The soul is not cleansed by Vedas, Shastra, Fasting, Praying, Charity, Pilgrimage — but by spending time with people devoted to gyana.

Read More