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Utkarsh singh

Utkarsh singh

@fake.730685
(171)

न जाने क्यों मुझे ये शराब–
अच्छी लगने लगी है,
जब से गए हो तुम ये दुनिया–
बर्बाद लगने लगी है,
बस एक आखिरी बात बता –
देना मुझको ,
तू बेवफा पहले से थी–
याकि अब लगने लगी है।।

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कुछ कोशिशें मेरी तो कुछ उनकी भी थी इस रिश्ते को बनाने में ,
दिल में भी न जाने क्या तूफान था जो इश्क़ कर बैठे अंजाने में,
ये इश्क़ जुनून में उतर के मिला हो क्या ,
अंत में हमें भी शराब लेनी पड़ी मयखाने में
-- Utkarsh P. Singh
- Utkarsh singh

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इस तनहाई से उलझ रहा था मैं,
कास हमको भी किसीनें सँभाला होता,
प्यार के मीठे बोल बोलता, सिरको प्यार से सहलाया होता।
हम भी न मर रहे होते ऐसे अगर,
हमें भी गोद में सिर रख किसी
सुलाया होता ।।
-Utkarsh P. Singh

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उनकी आंखों में शराब है देखता हूं
तो नासा हो ही जाता है।
Utkarsh P. Singh