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वो सोचता था सूरज भी उसी से चमकता था, चाँद भी उसी के लिए दमकता था, हकीकत बस इतनी है मेरे दोस्त, वो अपने साए को ही क़ायनात समझता था
आईना देख-देख के वो इतराता रहा, खुद को खुदा बताता रहा, दुनिया की नज़रों में तो वो गिर चुका पर नाजने खुद को देखके क्यों शर्माता रहा ।।
"वो खुद को ही इबादत समझ बैठा, दूसरों को अदावत समझ बैठा, आईना भी थक गया सच दिखाते-दिखाते, वो अब आईने को भी ग़लत समझ बैठा
इंसान को पहचानना हो तो उसके मज़बूत वक्त में नहीं, उसके मजबूर पल में पहचानो, क्योंकि ताक़त चेहरे पर मुखौटा चढ़ा देती है, मगर मजबूरी सच्चाई उघाड़ देती है। मजबूरी ही वह आईना है, जिसमें इंसान का असली चेहरा और तुम्हारी असली औक़ात उसकी नज़रों में साफ़ दिख जाती है। ✍️ जादू की कलम से
एकतरफ़ा मोहब्बत में मत टूटो, ये दिल नहीं, तुम्हारी रूह को भी तोड़ेगी। ये मोहब्बत नहीं, बस एकतरफ़ा मेहनत है, जो थकाकर तुम्हें खाली छोड़ देगी। मोहब्बत वही जो दोनों तरफ़ से बहती हो, वरना ये सिर्फ़ दर्द की नदिया है। दो दिल जब साथ धड़कें, तभी जन्म लेता है प्रेम, एकतरफ़ा चाहत तो बस तन्हाई का दरिया है। जो प्रेम की परिभाषा न समझे, उससे कैसा रिश्ता? पहले खुद से इश्क़ करो, फिर उससे जो तुम्हें चाहे बिना शर्त, जैसे आसमान चाँद को चाहे। सच्चा प्रेम आंसू नहीं देता, वो ताक़त देता है उठने की, अंधकार से उजाले की ओर ले जाने की— ये भगवान का दिया सबसे पवित्र इशारा है। तो उठो, मुस्कुराओ… और खुद से मोहब्बत करो, क्योंकि यही प्रेम का पहला और सबसे सच्चा रूप है।
"दिल टूटा तो क्या हुआ, क्यों विलाप में अपनी ताक़त गँवाते हो? क्या तुम्हारे जाने पर संसार की धड़कन थम जाएगी? दर्द मेरा स्वभाव नहीं, मैं तो गिरते हुओं को संभलते देखना चाहती हूँ। चोट मिले तो और मज़बूत बनो, अंधकार मिले तो अपना दीपक स्वयं बनो। जीवन आंसुओं का पात्र नहीं, यह तो साहस की शिला पर लिखा जाने वाला महाकाव्य है। उठो क्योंकि तुम्हारी कहानी अभी अधूरी है।"
हार मान गई तो मैंने औरों से अलग क्या किया? और जीत गई तो औरों के लिए मैंने क्या किया? मैं खुद के लिए क्या करती… क्या इतना काफ़ी नहीं? ये वो आईना हैं जिसमें हर इंसान को एक बार ज़रूर झांकना चाहिए।
जीवन के रास्ते कभी आसान नहीं होते। मैंने अनगिनत बार देखा है कि लोग अपनी परिस्थितियों से हार मान बैठते हैं। कभी कोई कहता है — "मेरे पास अच्छी शिक्षा नहीं है" कभी कोई मान लेता है — "मुझे अंग्रेज़ी नहीं आती" कोई सोचता है — "मेरे पास पैसे नहीं हैं" तो कोई यह मानकर बैठ जाता है — "मुझमें कोई प्रतिभा ही नहीं है" और फिर, इन विचारों के बोझ तले दबकर, इंसान अपने सपनों की डोर किसी और के हाथ में सौंप देता है। धीरे-धीरे वह इस स्थिति का अभ्यस्त हो जाता है कि — वह क्या खाएगा, क्या पहनेगा, कहाँ रहेगा, और कैसे जिएगा… ये सब कोई और तय करे। पर सच यह है कि कमज़ोर आप तब होते हैं, जब अपनी क्षमता पर संदेह करने लगते हैं। धन, भाषा, समाज — इनमें से कोई भी आपके रास्ते की असली रुकावट नहीं है। असली रुकावट है आपका डर और आपकी हार मानने की आदत। हर मनुष्य के भीतर एक अनमोल प्रतिभा छुपी होती है। कोई शब्दों में जादू बुनता है, कोई हाथों से कला रचता है, कोई विचारों से दुनिया बदल देता है। फर्क बस इतना है — कुछ लोग अपनी प्रतिभा पहचान लेते हैं, और कुछ जीवनभर तलाश में भटकते रहते हैं। चाहे आप पढ़े-लिखे न हों, चाहे आपके पास संसाधन न हों, इस दुनिया में अवसरों की कोई कमी नहीं है। बस एक सवाल खुद से पूछना है — "मैं क्या कर सकता हूँ?"
ज़िंदगी की राह में अनगिनत मुश्किलें आईं, पर मैं हर तूफ़ान से डटकर लड़ती रही। आँसू भी आए — कुछ अपने ग़म में, कुछ अपनों की खुशी में, पर मैंने माथे पर शिकन तक आने न दी। क्यों दिखाऊँ दुनिया को कि मुझे भी तकलीफ़ होती है? क्यों न यह दिखाऊँ कि तकलीफ़ सिर्फ़ एक शब्द है, जिससे हर कोई लड़ सकता है, अगर उसके भीतर हिम्मत बाकी है। जिंदगी की लड़ाई — खुद ही लड़नी पड़ती है। हम आए हैं अकेले, और जाएंगे भी अकेले। न कोई साथी, न कोई संबंधी — सब यहीं छूट जाएंगे। रहेगी तो बस आपकी कामयाबी, आपकी होशियारी, आपकी मेहनत। इसी आत्मविश्वास के सहारे मैं बढ़ती रही, चलती रही… और आज इस मोड़ पर खड़ी हूँ जहाँ मेरी नज़र में बस कामयाबी ही कामयाबी है। ज़िंदगी में कभी हार मत मानो। याद रखो — तुम्हारा भविष्य, तुम्हारे अपने हाथों में है। ✍️ जादू की कलम
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