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ચાલ ને આજ હું મૌન ને થોડું સીવી લઉં, તું કંઈક બોલને હું આજ થોડું જીવી લઉં..
तेरी ग़ैरमौजूदगी में भी तुझें ही पुकारते है, मेरे हर ख़याल तेरा ही ख़याल गुनगुनाते है..
खूबसूरत इतनी कि नज़र उतार लूं, नकचड़ी इतनी कि इंट से मार दूँ..
मुझें भी फ़न दे नशेमन बनाने का ख़ुदा, सर ये आसमान को देख दुखता बहोत है..
उलझ के जो हवा सर रूख पे आई तो लगा है यूं, वो ज़ुल्फ़ बन गई है जैसे साएबान चाँद पर..
गज़ब कि उमस है उसके नाम के हर्फ़ोँ में, लेते ही बारिशें आ जाती है..
खुद कि लकीरों को फ़क़ीर हमने तेरी ख़ातिर किया है, कैद है ए मिस्बाह मेरी रूह में तस्वीर तेरी..!
जिस्म तो सरकारी तेरा महज़ जिस्म का क्या, सजदे तेरी रूह से किए तो ज़माना-ए-रस्म का क्या
हमसे रुख़सती में वो अपने शहर का नक्शा दे गया, एक मुलाक़ात कम थी एक और का इशारा दे गया..
सुराही में आज पानी कि जगह जाम है, इन मय सी आँखों के समंदर भी तलबगार है..
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