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शीर्षक – पत्र की पुकार प्रिय पाठक, क्या मैं आप सभी को याद हूँ? या तकनीकी सुविधाओं संग आप मुझे भूल गए? मैं एक पत्र हूँ। आप मुझे चिट्ठी, ख़त, तार आदि के नाम से भी जानते हैं। एक समय में जिनसे मिलना संभव ना हो, उनसे संवाद का मैं प्रथम मार्ग था। जब कोई मुझे पढ़ता था तो मैं उसके अधरों पर मुस्कान बिखेरता था। कभी मैं प्रेम की निशानी बनकर किसी किताब के पन्नों में अपना बसेरा बनाता था, तो कभी अनमोल धरोहर बन दराज़ के किसी कोने में यादों की महक बिखेरता था। उस समय आज की भाँति तत्काल संदेश पहुँचाने की सेवा भी तो उपलब्ध नहीं थी। तो संदेश प्राप्ति की व्याकुल प्रतीक्षा जैसे सुंदर क्षण भी तो बनते थे। लेकिन अफ़सोस! तकनीकी सेवाओं के आदि पाठक क्या जाने इन सुंदर क्षणों के आनंद को! मेरे माध्यम से भेजे गए संदेश मात्र संदेश नहीं अपितु लिखने वाले की भावनाएँ होते थे। साधारण पत्र के लिए नीली स्याही, प्रेम-पत्र के लिए लाल स्याही का सुंदर इस्तेमाल, शुभकामना-पत्र के लिए रंग-बिरंगी अनेकों स्याही संग सुंदर अलंकरण। वह सब भावनाएँ इन तकनीकी संदेशों में कहाँ! लेकिन इस बदलते युग के साथ मेरा अस्तित्व मिटता जा रहा है। लोग अब ईमेल और मैसेजिंग ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं। मैं अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा हूँ। क्या आप मुझे याद करते हैं? क्या आप मुझे अपने जीवन में वापस लाने के लिए तैयार हैं? एक पत्र! © सृष्टि स्नेही चौहान
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