मी एक सामान्य मनुष्य असुन माझ्यातील लिखाणाची जी कला माझ्याकडे आहे. तीचे यथायोग्य रीतीने प्रकाशन करण्यास उत्सुक आहे. या app चा माध्यमातून मी माझे स्वप्न पुर्ण करण्यासाठी कटिबद्ध आहे.

नकळत झालेल्या चुकांच्या
तुजसंगे अनुभवलेल्या सुखांच्या
ओसरून गेलेल्या दुःखांच्या
मी केलाच नाही हिशोब......

सुखद त्या क्षणांचा
तुझीया अबोल पनांचा
अविरत राहिलेल्या उणीवांच्या
मी केलाच नाही हिशोब....

सर्वस्व माझीये लूटविले
होते नव्हते तुजला दिले
तुजवर केलेल्या प्रेमाच्या
मी केलाच नाही हिशोब........

तू केलेस मजवर आरोप
दिल्यास मजला यातना
सोसलेल्या प्रत्येक वेदनांच्या
मी केलाच नाही हिशोब........

देणे घेणे आपल्यातले
भाव माझीया मनातले
संग पाहिलेल्या स्वप्नांच्या
मी केलाच नाही हिशोब........

मी घेतोय आता निरोप
तुज संगे सगळ्या जगाच्या
तुझ्या प्रत्येक कर्माचा तुला
शेवटी द्यावा लागेल हिशोब.....

स्वरचित

गजेंद्र गोविंदराव कूडमाते

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जागतिक मैत्री दिनाच्या हार्दिक शुभेच्छा

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मै कौन हूं क्या हूं
यह सवाल बडा़ है
बनकर अजब पहेली
बरसों से सामने खड़ा है

जानवर हूं या इंसान
समझ न पा रहा हूं
फरक इसमें कर पाना
इम्तिहान बहोत कड़ा है

मन तो कह रहा है
मान लूं मै खुदको इंसान
दो धारी तलवार लेकर
तन जीद पर अड़ा है

उलझनभरी कश्मकश का
न मिल रहा कुछ जवाब
जल्द हि फैसला किजीए
आप साहेबान पर छोडा़ है

दिल कि बेचैनी से
मूक्ती दिला दो मूझे
आशाओं का ये दरीया मैने
आपकी ओर मोड़ा है

स्वरचित

गजेंद्र गोविंदराव कूडमाते

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मेरा फैसला

ऐ अजनबी इंसान
क्याें तू भटक रहा है
कोई राह तकता होगा तेरी
तेरा घोंसला जहाँ है

हारकर जिंदगी से
मायूस ना हो ऐ बंदे
हो तैयार लढने जिंदगी से
तेरा हौसला बड़ा है

मीलेगी तूझको भी मंजिल
जिसके हो तुम भी काबिल
बस दोनों के बीच में का
फासला जरा बड़ा है

पाना है तुझको मंजिल
या लौटकर आना है
तूझको है तय करना
ये फैसला तेरा है

स्वरचित

गजेंद्र गोवीदराव कुडमाते

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याद

न जाने क्यों आज उनका
बार बार आ रहा है खयाल
बरसों से जिसे हमनें
दिया था जिंदगी से निकाल

रह रह के यादें उनकी
दिल पे दे रही है दस्तक
उमड़ रहे क्यों है अरमान
दफ्न थे सीने में जो आजतक

भूल चूका था शायद मै
मेरा बीता हूआ कल
वफा के नाम पर किया
उसने मूझसे जो छल

ठंडी हवा का झोंका
कर गया ताजा हसीन पल
भीनी भीनी सी फिजा
और लहराता वो आंचल

एै मेरे बेचैन दिल बता
क्यों तू हो रहा बेकरार
याद ना कर उस जालीम को
जीसने कभी किया न तूझसे प्यार

खेलना औरों के दिल से
होता है हसीनों का काम
करना झूठी दिल्लगी
चाहे जो भी हो अंजाम

सह चुका हूं रंजो गम
ना फिर से तू इसे टटोल
यादों कि इस परछाईं को
दिल के दर्पन से दे नीकाल

स्वरचित

गजेंद्र गोविंदराव कूडमाते

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लोंग

आपके नाम से हि तो
चल रही है सांसे हमारी
धड़कनों पर तो अब हमें
न रहा जरा भी एतबार

करते है छलावा लोग
मासूम दिलों से दुनिया में
बड़ी हि शिद्दत से फिर
नाम उसको देते है प्यार

तोड़ देते है कली कि तरह
दिल उनका जब भी भर जाये
टूटे हुये दिल को बहलाने का
फिर करते है व्यापार

दुनिया में मौकापरस्त लोगों का
हर तरफ है बोलबाला
वह रखते है मिठास लबों पर
और पीठ पर करते है वार

एक आप ही हो वजह
दुनिया में हमारे जीने कि
ता उम्र रहेंगे दिल से सदा
हम आपके शुक्रगुजार

स्वरचित

गजेन्द्र गोविंदराव कुडमाते

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