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#संकट प्रभु ये कैसा संकट आन पड़ा, जहाँ भेद न कोई कर सका....कौन अपना,कौन पराया है। ★निज मन,जिससे ये मिल जाए, संकट की घड़ी में,जो काम आए, अंतर्मन को जो छू जाए, वही दुनिया की भीड़ में अपना है।
#सलाम तुमने मुस्कुरा कर जो सलाम-ए-इज़हार कर दिया, हमने भी पलके झुका, सलाम-ए-इकरार दे दिया।
#मुश्किल बहुत मुश्किल है अतीत की यादों से निकल पाना। अतीत की तंग गलियों से जब यादें गुजरती हैं, न जाने कितने बेशकीमती सफर तय कर जाती हैं। कुछ मीठी,कुछ खट्टी मधुर स्मृतियाँ विस्मृत हो जाती हैं। अतीत की विस्मृत स्मृतियों से .... चेतना में आना,सच में बड़ा मुश्किल है।
#न्याय मैं औरत, बेटी,पत्नी और माँ हूँ। मुझे मेरे हिस्से का न्याय उस दिन मिल गया होता... जब 'बेटी' रूप में आने पर , तुमने गर्भपात न कराया होता। 'पत्नी' रूप में साथ दे,मेरे हक और इज्जत के लिए दुनिया से लड़ गए होते।.... और 'माँ' माँ रूप में मेरे बुढ़ापे को वृद्धाआश्रम में न छोड़़, अपने परिवार और संस्कार की छांव तले मेरे हिस्से का न्याय मेरे साथ किया होता।
#मूल्य भगवान का मुझ नाचीज़ को दिया तोहफा है वो, उसका कोई मूल्य नही,अमूल्य है वो। दिल से निकल आंखों में बस जाती हैं, आँखे बंद कर लूं,तो दिलो दिमाग से होती मेरे मन में ठहर जाती है'वो'। और जब अपना दिल बड़ा कर उस अमूल्य तोहफे को दूसरे को सोपने का सोचती हूँ....तो इस समाज के कुछ दंरिन्दे उसे खुश रखने का मूल्य माँगते हैं। ...मूल्य माँगते हैं मेरी ममता का,पिता के फ़र्ज़ का और उसकी बनी हुई पहचान के आंकलन का। # # # # # # समय बदल गया है...दिन प्रतिदिन उसका मूल्य बढ़ता जा रहा है ,बदलते समय के साथ उन चंद दरिंदो का मूल्य लगाने में वो सक्षम है।... 'मेरी बेटी' जिसका कभी कोई मूल्य नहीं था, वो तो सदा से ही बहुमूल्य है।
ज़िंदगी रही तो फिर मुलाकात होगी, ख्वाबों में ही सही, तुमसे हर रोज बात होगी। मिलना बिछुड़ना तो किस्मतें ज़िंदगी है, मेरी सांसों में कहाँ किसी की बंदगी है। मेरी हर सांस तुम्हारे लिए धड़कती है, मेरे दिल से निकली.. 'तड़प की',हर एक आह तुम तक जा पहुँचती है। अब दीदारे हमसफ़र न हो,कोई बात नहीं, दोनों की मुलाकात हो न हो, कोई बात नहीं, ये प्रेम की पराकाष्ठा है, अब मुलाकात के लिए ,दो इंसानों की मौजूदगी का होना भी जरूरी नहीं। ये सच्चे प्रेम की चरम सीमा है जहाँ दो रूहों की मुलाकात हो जाती है। और इस पवित्र मुलाकात की दुनिया को खबर भी नहीं। #मुलाक़ात
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