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Umakant

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@mehtaumakantoutlook.com109738


“पत्थर से विशाल माँगती हुं “

पत्थर से विशाल माँगती हुं
मैं आदमियों से कट गई हूँ

शायद पाउं सुरागे-ए-उल्फत
मुठ्ठी में ख़ाक-भर रही। हु

तर लम्स है जब तपिश सें जारी
किसी आँच से यूँ पिघल रही हूँ

वो ख़्वाहिश-ए-बोसा भी नहीं अब
हेरत से होंट काटतीं हूँ

इक तिफ्लक-ए-जुस्तजू हूँ शायद
मैं अपने बदन से खेलती हूँ

अब तब्अ’ किसी पे क्यूँ रागिब
इंसानों को बरत चुकीं है

….,.. फहमिदा रियाज

- Umakant

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“ये पैरहन जो मिरी रह का उतर न सका
तो नख -ब- नख कहीं पैवस्त रेशा-ए-दिल था”
🥵
- Umakant

ઓળખો તો ઔષધ
કાનમાં કોઈ જીવજ્તુ ગયું હોય તો:-

સરસીયા તેલના ટીપાં કાનમાં
નાંખવાથી તે નીકળી જશે.
🙏🏻
- Umakant

Every cause
Have
Some reason
🙏🏻
- Umakant

સર્વ મંગલ માંગલ્યે શિવે
સર્વાર્થ સાધિકે શરણ્યે ત્ર્યંબકે ગૌરી નારાયણી નમો સ્તુતે
🙏🏻
- Umakant

ઓળખો તો ઔષધ.
કાનમાં દુ:ખાવો:-

તલના તેલમાં હિંગ નાંખી ઉકાળીને ઠંડુ કરી
દુ:ખતા કાનમાં એક બે ટીપાં નાંખવાથી કાનનો
દુ:ખાવો મટે છે.
🧘
- Umakant

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ગુજરાતની રંગભૂમિ

- Umakant

ઓળખો તો ઔષધ.
કોલેરા (કોગળીયું):-

કાંદાંના રસમાં ચપટી હિંગ મેળવીને દર અર્ધા અર્ધા
કલાકે લેવાથી કોલેરા (કોગળીયું) મટે છે.
🧘
- Umakant

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“यारों की मोहब्बत का यक़ीं कर लिया मैं ने
फूलों में छुपाया हुआ ख़ंजर नहीं देखा”
🥵

- Umakant

मेरे तो गिरिधर गोपाल
मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई।
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।
तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई॥।
छाँड़ि दी कुल की कानि कहा करिहै कोई।
संतन ढिंग बैठि-बैठि लोक लाज खोई॥
चुनरी के किये टूक ओढ़ लीन्ही लोई।
मोती मूँगे उतार बनमाला पोई॥
अँसुवन जल सींचि सींचि प्रेम बेलि बोई।
अब तो बेल फैल गई आणँद फल होई॥
दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से बिलोई।
माखन जब काढ़ि लियो छाछा पिये कोई॥
भगत देख राजी हुई जगत देखि रोई।
दासी "मीरा" लाल गिरिधर तारो अब मोही॥
- मीराबाई
🙏🏻
- Umakant

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