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Milan rajput

Milan rajput

@milandod2710gmailcom


सब पतझड़ के फूल बन गए हैं।
कुछ हिले तो गिरने से डर गए हैं।

#मुसाफिर

एक उम्मीद सी सुबह।
ढ़लते सूरज औऱ उगते
सूरज के बीच दिखे सपनों
को पंख देती सुबह।
सूरज निकलतें ही,
निकलती एक हुफ,
कल से आज बेहतर बनाने की।
आँख में रोशनी भर के उड़ाने की,
कुछ कर गुजरने की सुबह।
जीवन का मोल समजाती।
किरन जैसे सुबह वो कितनी
अदब से निकलती हैं और साम
होते होते ढल जाती हैं।
-मिलन

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काली अँधेरी रात के बाद,
उगते सूरज की रौशनी,
जैसी नई सुबह लेके आती हैं
पूरी रात की आंखों में थकान
फ़िर भी कुछ कर गुज़रने की उम्मीद।
सुबह मुबारक

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वो पूरी रात बदन को,
छूता रहा सिर्फ़ जताने ईश्क़।

वो पूरी रात सोचती रही,
उसका कैसा ईश्क़ था?

ना कभी उसने बदन को छूआ,
सिर्फ़ रूह से जताता रहा ईश्क़।

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