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भावनाएं जो समझता हो, वह व्यक्ति होता अनमोल। संभालकर रखें ऐसे लोगों को, जिससे बातें कर सकें, आप दिल खोल।। मिश्री -किरन झा मिश्री
सत्कर्म कभी मत छोड़ना, छोड़ देना दुष्टों का साथ। विरक्त मन भी भर जाता है, जब प्रभु पकड़ लेते है हाथ।। सुप्रभात मिश्री -किरन झा मिश्री
शब्दों के इस हेर फेर में, कभी भी न कोई पड़ना। पहले तो वफा दिखाएगी, बाद में दिखाएगी लड़ना।। मिश्री -किरन झा मिश्री
कंठ में राम,उर में सीताराम, जपते निरन्तर है हनुमान। राम के प्रिय भक्त है बजरंगी, कहते है अपने कृपानिधान।। मिश्री -किरन झा मिश्री
उड़ान भरो कितनी भी ऊंची, जमीन से नाता नहीं तोड़ना। सपनों की इस ऊंची उड़ान में, बस अपनों को नहीं छोड़ना।। सुप्रभात मिश्री -किरन झा मिश्री
मचलते हुए अरमानों को, दिल से हम भी लगायेंगे। चैन जब तक तुम्हें न आए, दूर तुम्हें नहीं हम भगाएंगे।। मिश्री -किरन झा मिश्री
आ जाओ मेरे पहलू में, जी भरकर तुमको देखेंगे। धड़कनें तुम्हारी सुनकर, हम भी कुछ तो बहकेंगे।। मिश्री -किरन झा मिश्री
अपशब्दों को अनदेखा कर, हर बार एक नया मौका दिया। पर दिल से थे वो बड़े होशियार, हर मौके पर एक मौका लिया।। मिश्री -किरन झा मिश्री
सुनने और सुनाने को अब, कुछ भी जीवन में बचा नहीं। घाव अब नासूर हो गए कि, मरहम लगाने का मजा नहीं।। मिश्री -किरन झा मिश्री
मत छोड़ना कभी भी तुम, अपने उम्मीदों की आस। दृढ़ निश्चय मन को करके, लक्ष्य पर बने रहो बिंदास।। सुप्रभात मिश्री -किरन झा मिश्री
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