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ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए, और अंत में फिर एक बार सफर पर, निकलना पड़ा ख्वाइशों को पूरा करने..
मैंने शहर देखा है, बड़ी बड़ी गगनचुंबी इमारतें, महंगी महंगी गाड़ियां, आलीशान रेस्टोरेंट, और आरामदायक मूवी थियेटर, सब बड़ा रोमांचकारी है, बस उनमें रहने वाले, बसने वाले लोगों के, दिल छोटे है......
वाकिफ थे फितरत ए इश्क़ से, पर किश्तों में जिंदगी को अलविदा कहना मुनासिब समझा इस दिल ने......
ये मोहब्बत वोहब्बत तो ठीक है, पर क्या कभी उनकी आंखों में झांक कर देखा है, और क्या ये चांद तारे तोड़ने की बात करते हो, क्या कभी उनके बालों से खेला है...... -MUKESH JHA
बड़ी फुर्सत में थे आज, मैं, चाय और इतवार, पुरानी अलमारी से, बंद पड़े लिफाफे निकाले थे, जिनमें तुम थी, तुम्हारी बातें थी, तुम्हारी यादें थी और जो गुजर गया, वो खूबसूरत लम्हा था, जाने क्यों अचानक मुझे, तुम्हारा सजना संवरना, और खिलखिला कर हंसना याद आ गया, बस फिर क्या था, फिर एक इतवार, तुम्हारी याद में गुजर गया..... -MUKESH JHA
और फिर वो वक्त भी आया, की हम उन्हें मनाना चाहते थे, और उन्होंने बड़े इत्मीनान से दिल के दरवाजे बंद कर दिए..... -MUKESH JHA
सारा मसला तो उम्र भर साथ निभाने का है, वरना 7 दिनों का वेलेंटाइन मनाना तो हम भी जानते है...... -MUKESH JHA
गुजर रही है जिंदगी इक तेरे इंतजार में, जो अबकी सूरज निकले तो, हम भी तन्हा ही किसी सफर पर निकले...... -MUKESH JHA
उनकी तो बात ही कुछ और है, एक तो चेहरा हसीं, और ऊपर से कानों की बालियां........ -MUKESH JHA
जैसे जैसे इश्क की उम्र बढ़ने लगी, वैसे वैसे गलतफहमियां पैर पसारने लगी, और एक मोड़ पर आकर हम दोनों ही थक गए, फिर वो दिन भी आया जब हम अलग अलग रास्ते के मुसाफिर हो गए...... -MUKESH JHA
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