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में अपने दिल हाल तूझे क्यूं सुनाऊं फ़ालतू में पत्थर के आगे में क्यूं बीन बजाऊं ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
इश्क़ का भूत भी उतर जाता है जब घर में दों चुन्नू मुन्नू आ जाता है फिर उसका नशा आप पर से कम हो जाता है न आप घर के रहें न घाटके देर से ही सही किंतु इश्क़ का भूत तो उतर ही जाता है ।। नरेन्द्र परमार ✍️
વિચારવાનો સમય નથી મારી પાસે તે છતાંયે હું વિચારું છું કે તું બીજાને મળી છે આજીવન માટે એવી જ રીતે તું મને કેમ ના મળી આજીવન માટે..... નરેન્દ્ર પરમાર " તન્હા "
हरकोई अपनी बुराईयों को छुपाकर अपनी अच्छाईयां बताते हैं ! वो कम हीं लोग होते हैं जो अपनी अच्छाइयों को छुपाकर अपनी बुराईयां बताते हैं ।। नरेन्द्र परमार ✍️
ऐ घोर कलयुग में कैसा दोस्त कैसी दोस्ती सिर्फ जिस्म की भूख मिट जाएं बस वही तक रहेती है दोस्ती फिर वही बात दुबारा रीपीट ऐ घोर कलयुग में कैसा दोस्त कैसी दोस्ती ।। नरेन्द्र परमार ✍️
कूंच लोग सेलिब्रिटी न होते हुए भी अपना परफोर्मेंस सेलिब्रिटी जैसा करते हैं ! ऐसे लोग आईने पर भरोसा कम और खुद के साए पर ज़्यादा भरोते है ।। नरेन्द्र परमार ✍️
दिल कि हसरतें मेरी पूरी हो जाती अगर तुम मेरी हो जाती ! जिंदगी मेरी इस तरह " तन्हा " नहीं जाती ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
किसी भी हसीना की मासुमियत देखकर मोहब्बत मत करना ! फिर वो नागिन बनकर काटले आपको तो ?? उसको आप गुनेहगार मत ठहराना ।। नरेन्द्र परमार ✍️
फूलों का गुलदस्ता मेरा बिखर गया पहेला इश्क़ और पहेला इज़हार उसमें भी वो कलमुंही ने मेरा दिल तोड दिया ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
आप खुद पागल होकर आप हमें पागल मत समझिए में जैसा भी हूं अपनी जगह पर सही हूं आप खुद जैसा पागल हमें मत समझिए ।। नरेन्द्र परमार ✍️
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