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सिर्फ तेरी वज़ह से मेरा मानसिक संतुलन बिगड़ गया अच्छा खासा में एक इंसान था सिर्फ तेरी वज़ह से में एक पागलखाने में पेशंट बनकर केद हो गया ।। नरेन्द्र परमार ✍️
आग से इंसान का नाता जन्म से लेकर मृत्यु तक का है इंसान के खाने पीने से लेकर शादी घर परिवार फिर मृत्यु के बाद उनकी लाश को जलाकर उनका आग से रिश्ता खत्म हो जाता है ।। नरेन्द्र परमार ✍️
समझदार लोगों की एक आदत होती है क्योंकि उनको सवाल पुंछने की कभी आदत नहीं होती है ! सवाल का जवाब खुद ढूंढने अक्सर उनको बेताबी होती है फिर भी उनको लोगों से तालियां बजवाने की आदत नहीं होती है क्योंकि उनको ख़ुद का प्रचार खुद करने की कभी जल्दबाजी नहीं होती है ।। नरेन्द्र परमार ✍️
शादी करके मोहतरमा ससुराल चली गई मोहब्बत चाहत मेरी वहीं पर दफ्न हो गई ! अब उम्मीद किस बात की लगाऊ में ?? जिंदगी मेरी अब तो नर्क सी बन गई ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
વાત વાતમાં ગુસ્સો, વાત વાતમાં ગુસ્સો એનાં શિવાય તારા જોડે કંઈ કામ જ નથી ! હું પ્રેમ કરું છું તને, હું પાગલ છું તારા પ્રેમમાં પણ તારા દિલમાં તો મારું નામ જ નથી ! કેમ કે તારા જોડે ગુસ્સો કરવા શિવાય કંઈ કામ જ નથી .... નરેન્દ્ર પરમાર ✍️
लड़का अपने प्यार का इजहार करता है ओ मेरी जान आई लव यू 🌹❤️ अगर तुमने ना कहां तो ???? में अभी पानी में कुदकर मर जाउंगा 😩😩😩😩😩😞😞 लड़की ऐ तुम क्या कर रहे हों ??? पहले तुम मेरे मोबाइल में छ महीने का रिचार्ज करवा दो उसके बाद तुम मर जाना 😀😀😀🤣🤣🤣😂😂 लड़का 😩😩😩😞😞😞😞🫢🫢😪 नरेन्द्र परमार ✍️
कांच के टुकड़ों की तरह हम बिखर गए जिस दिन तुम अपना मुंह फेरकर हमें छोड़कर दिल तोड़कर तुम चले गए ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
ख़ून भले ही एक हों,एक बाप की दो औलाद हों फिर भी वो हमें भ्रमित कर देता है कभी सत्ता की लालच में तो कभी खुद के मौत डर से जैसे कि औरंगज़ेब ने अपने पिता शाहजहां को बंदी बना दिया और अपने कत्ल करके दिल्ली का बादशाह बन बैठा ! कंश राजा को आकाशवाणी से अपनी ही मौत का डर लगने लगा,तो उसने अपने ही जीजा और बहेन को बंदी बना दिया वो अपने ही हाथों से भांजी और भांजे का कत्ल करने लगा ! यानी कि बुध्दि भ्रष्ट हर किसी कि हों सकतीं हैं इसीलिए आप लालच और डर साईड में रखिये मगर संतुष्ट रहिए,कामयाबी अलग चीज है वो मेहनत से मिलती है और इसमें हर किसी का हक़ है ।। नरेन्द्र परमार ✍️
कोई हमें पसंद करें न करें हम तो खुद को पसंद करते हैं ! ऐसे भी कौन आता है साथ हमारे ??? इसीलिए हम खुदसे हीं मोहब्बत करते हैं ।। नरेन्द्र परमार ✍️
जो इंसान दुसरो की कठ पुतली बन जाता है वो इंसान खुद पे भरोसा कम औरों पर भरोसा ज़्यादा करने लगता है ।। नरेन्द्र परमार ✍️
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