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Yadav Neha

Yadav Neha

@neha2004


जब कभी लिखती हूं ..
तुम्हें महसूस करती हूं ...!!!
जब कभी तारीखें बदलती हैं
बीते लम्हें में, पुराने वो दिन सोचती हूं ।।

कैसे वो पहली अजनबियों सी मुलाक़ात हुईं थीं
आज उस वक्त की फिर जुस्तजू लिखती हूं
धीरे धीरे जो सिलसिला तुझसे शुरू हुआ था
आज ख़ुद को फासले में रखती हूं  ।।

गुजरती हूं जब कभी फ़िर उन राहों से
मैं कहीं तुम्हें किसी परछाई में ढूंढती हूं
गेरो की नियत से वाक़िफ हूं
अब तेरी बातें भी  में
सिर्फ़ मेरे ख़ुदा से करती हूं ।।।

कभी तेरी वो प्यारी सी बातें
कभी नादानियों के छलावे
कभी तेरे गहरी आंखों के इशारे
कभी कोई दर्द कोई ज़ख्म पुराने
पर कभी न बयां कर पाए ये
खामोश शब्द हमारे ..!

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