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आज शब्द हमसे लड़ पड़े, फिर भी हम इन्हे ही पढ़ने लगे ,तजुर्बा है शब्दों का, जो इन्ही से सीखने लगे. -Neha Jain
एक वक्त था ,जो भागे ही जा रहा था आज वक्त है ,जो रोके ही जा रहा ..... लेकीन दोस्तों जीने के साथ मिसालों की तादात भी छोडे ही जा रहा है..... -Neha Jain
जीना शुरू कब करोगे .... चाय की तरह पसंद, ईसे जब करोगे😊😊 -Neha Jain
मीठी नींद से जगाने ख्वाब मिल गया सुनाया जिसने एक किस्सा , नींद में, जो अपना पता भुल ही गया, रहनुमा जिसके तहोदिल थे वहीं नींद का दरवाजा खुल गया -Neha Jain
शुभ नवरात्री -Neha Jain
बहुविध पन्नों में सिमटा हो हर ज्ञान ,धूंडना बखूबी अपने हुनर का पन्ना, चाहे हो पन्ने हजार
दोस्ती बडी शरारती होती है वक्त आये तो हारना फर्माती है तेरा साथ हर पल थामना सिखाती है हो न हो साथ पलपल , पर साथ जमाती है कल का हर बुनयादी ख्याब बताती है
वादो का क्या ये मुकरते है जिंदादिली को हर रोज खुश भी रखते है जिने की ख्वाहिश पलको से पढते है फिर ना कहेना वो हमसे लढते है
आधा हिस्सा तेरी साधना मे लग जाये हर काम का हल सुलझ जाये
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