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Geetika Pant

Geetika Pant

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मेरा हमसफर

आंखो में जिसकी चाहत लेकर मैं चली
सब्र को भी उस पर कुर्बान कर बैठी
आज भी उसके इंतजार में पलको पर
अपना सब्र लिए बैठी हूं
कुछ खुदको,, तो कुछ अपने वक्त को
उस पर कुर्बान किए बैठी हूं
जाने अभी कितने फासले लिखे हैं हमारी लकीरों में
कि जो साथ जुड़ने को ही राजी नहीं
पलको पर ओस की बूंदों सा मेरा, इंतजार सजा है
अब तरसने लगी है मेरी पलके उसके इंतजार में
अब तक जिन धड़कनों में उसकी बेकरारी थी
आज रूठ सी गई है मुझसे
क्यों खुदको खोकर
उस पर हर इतना एतबार किया
जो अब, हाथ थामना ही भूल गया मेरा
क्यों भूल गया वो उन सपनों को
जिन्हे हमे मिल पूरा करना था
कैसे संभालु खुदको जब वो ही साथ नही
जिसके साथ जिंदगी बिताने के सपने देखे थे
अपनी धड़कनों को समझाना मुश्किल हो रहा है
कितना सब्र का बांध बांधू उस पर
जो अब टूटकर सब खतम कर देने को तैयार हैं
क्योंकि अब उम्र का हर पड़ाव खतम होने को है
अकेले चलना मुश्किल हो रहा है
आंखो को इंतजार है अपने साथी का
अपने हमसफर का,, जो मेरी टूटती सी उम्मीद का साथी है
कि जिसके लिए मैने अपनी रातों की निंदो को भुलाया है
खुदको भूल, नफरतो को झेल, खुदको बरदाद कर
उसके इंतजार को अपनाया है
पर अब सब्र जवाब देने लगा है
सबकी धिकारती निगाहे बर्दास्त नही होती
सबके सवालों में तुम्हारा नाम है
जो मेरे सामने ना ले
लेकिन तुम्हारे नाम से बदनाम होने लगी हूं मैं
अब सब्र की सीमा खत्म हो चुकी
अब बस तुम्हारा नाम मुझे खुदमे जोड़ देना है
अपनी लकीरों में तुम्हे लिख अपना बना लेना है
उन निगाहों में अपनी इज्जत वापिस पानी है
जो तुम्हारे नाम के बिना मुझसे छीन गई है
अब राह देखती नजर भी थक चुकी हैं
अब इंतजार भी जवाब दे चुका
अब ये हाथ तुम्हारे एहसास की गर्माहट को
महसूस करने को बेकरार है जो मुझे सुकून दे
जोड़ लो ना अब मुझे खुदसे
मिला दो मुझे खुदमे, अपना लो मुझे
समेट लो मुझे खुदमे
मेरे हमसफर,, मेरे साथी,, ए मेरी कामयाबी
बना लो ना मुझे अपना हमसफर
अब तो अपना लो मुझे
आंखे तरस रही है तुम्हे पाने को
ऐ कामयाबी, बदनाम होने लगी हूं मैं अब
खुदके ही अपनो में
बस खुदकी नजरो में गिरने से पहले
गले लगा लो मुझे
मेरी मेहनत को, सबकी नजरों में झूठा मत बनने दो
तुम्हारे लिए शिद्दत सा है मेरा प्यार
बस ऐ साथी, ऐ कामयाबी
तुम्हे अपना हमसफर मान चुकी
तो अब तुम भी मुझे अपनाओ ना
मेरे सब्र का इम्तेहान खतम करो
और मुझे अपना बना लो ना
ऐ कामयाबी मुझे भी अपना हमसफर बना लो ना
मुझे भी अपना हमसफर बना लो ना,,

Geet

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बचपन

जिंदगी की किताब का वो समय
जब हर वक्त चेहरे पर खुशी रहती थी
ना तपती धूप जलाती थी
और बारिश तो दोस्त थी
पूरा दिन खेलकर भी थकान होती क्या है
कौन जानता था
एक पल भी मुंह चुप ना होना
पूरे घर को खेल का मैदान बनाए रखना
स्कूल से आते ही खाने की मेज की ओर भागना
शाम को अंधेरा हो जाने तक
पूरे मोहल्ले को सिर पर उठाए रखना
क्या दौर था वो
मेरे, बचपन का दौर था वो
जब परेशानियां नही, सिर्फ शैतानियां जानी जाती थी
थकान नही बल्कि पूरे मोहल्ले का चक्कर लगाना थकान दूर करता था
जबरदस्ती की मुस्कुराहट, तब दिल से निकलती खिलखिलाहट थी
लैपटॉप से भारी बस्ता था, लेकिन उसे उठाए कभी थकान नही होती थी,,
तब घर से मिलता एक रुपया,, आज मिलते हजारों रुपयों में भी सुकून नहीं दिला पाता
वो खट्टी मीठी इमली, कच्ची कैरी अमरूदो के टुकड़ों में लगा वो नमक
आज भी मुझे मेरा बचपन याद दिलाता है
इस भागती जिंदगी में कुछ पल सुकून से बैठू
तो सिर्फ बचपन याद आता है
अपने वो दिन याद आते हैं, जब दादी की कहानियां उनकी गोद में सिर रख सुन, दो पल में नींद आती थी
आज कई घंटे उस सुकून भरी नींद को आंखे तरसती है
वो दादाजी की उंगली पकड़कर बाजार घूमना और अपनी पसंद की चीज पाने को मचल जाना
आज उन चीजों की खुशी,, कई ब्रांडेड चीजे खरीदकर भी नही पा पाती
वो दोस्तो की फौज आज कुछ में सिमट गई है
जिन दोस्तों से बाते खतम ही नहीं होती थी
आज उनके चेहरे भी, मुश्किल से ही नजर आने लगे हैं
वो स्कूल की बेंच, उस पर अपने नाम उकेरते दोस्त
टीचर की डांट और उसके बाद वो खिलखिलाहट
लंच ब्रेक का वो खाना और फिर पूरे स्कूल में दोस्तो संग हुडदंग मचाना
अब लगता है कि शायद जिंदगी तो वही थी
बाकी अब तो जिंदगी कट रही है
कभी कुछ पाकर तो कभी खोकर
लेकिन अब बचपन सिर्फ सपना है
और बचपन में देखा, बड़े होने का खूबसूरत सपना
सिर्फ समझौता
क्योंकि अब ना बचपन रहा, ना वो सुकूनभरी जिंदगी
अब सुकून सिर्फ बचपन
और जिंदगी, सिर्फ समझोता बन गई है

Geet

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सपने

हर किसी की आंखो में
अपनी जिंदगी को
संवरते देखने की उम्मीद है, सपने
कुछ छोटी छोटी ख्वाहिशों को मार
उन ख्वाहिशों को नए नजरिए से पूरा करना है सपने
मां पापा की आंखो में
अपने बच्चे के लिए पलती उम्मीद है, सपने
कुछ अच्छे सफर के सपने
कुछ हमसफर के सपने
कुछ बेरंगी सी शामो में
कभी कुछ खुबसूरत रंग भरने है सपने
खुदको मेहनत की आग में तपाकर
उससे निखरने पर मिलने वाली जीत
और उस पर जीत का पहनाया ताज है, सपने
कभी आंखे खोल
तो कभी अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से मिची
आंखो से देखे ख्वाब है सपने
जो किसी के पूरे होकर
अखबारों में छपते हैं
तो किसी के रद्दी कागजों की तरह
भंगार में बिक जाते है
कभी हासिल होकर अपना नाम ऊंचा कर इठलाते है
तो कही बिना हासिल हुए, आंखो में पानी दे जाते है
दोनो ही रंग सपनो के है
कही आंखो में चमक बन
तो कही आंसू बन,, क्योंकि सपने तो हर कोई देखता है
कभी ये सपने किसी को पूरा कर जाते है
तो कभी सिर्फ दिलासा देकर बीच मजधार छोड़
बस सपना ही रह जाते है,,
लेकिन ये सपने ये नही जानते
कि जिन आंखो ने इन्हे देखा है
उन कई आंखो में ये सपने,, अगर चमक दे जाते है
वही कई आंखे पुरी तरह सुनी कर
उनमें दर्द और छटपटाहट भर जाते है
हर नए सपने की उम्मीद उन आंखो से दूर कर जाते है
जिनमे कभी वो खूबसूरत सपने बसते थे
और अब वो टूट, सच में सिर्फ सपने ही, रह जाते है

Geet

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जिंदगी की हकीकत

वक्त ने करवट ली, तो जिंदगी ने बहुत कुछ सिखाया
कभी उम्मीदों पर खड़ा होना
कभी सब्र को अपनाना
कभी खुदको भूल, बस कही गुम हो जाना
आंखो की कस्तियो पर कभी कुछ सपने बुने थे
कुछ सपने थे, जिन्हे अपने बिस्तर से बांध सोती
कभी उन्हे सपनो में जीती
तो कभी आंखे खोल उन्हे सवरते देखती
पर शायद उन्हे पाने का जुनून कुछ कम रहा
या वो सपने ही झूठे निकले
जो अचानक आई जिम्मेदारी की आधियों में बह गए
जो आंखे जिंदगी को खूबसूरत बनाने के सपने देखती
अब वो आंखे समुद्र बन
अपने सपनों की कस्तियों को डूबता देख रही है
एक कहानी शुरू हुई थी, जिसमे रंग थे
कभी कुछ हसी,तो कभी कुछ गम के
कुछ अपने साथ थे
लेकिन सिर्फ मेरी नजरो से
जो भ्रम था वो टूटा और
जिंदगी ने एक नया सबक सिखाया
किसी में अगर ज्यादा मिठास बनकर घुलोगे
तो वो उस मिठास को थूक उसे जहर समझेगा
और तुम एक पल में किनारे पड़े
अपनी अच्छाई पर शर्म कर रहे होंगे
जिंदगी बहुत सबक दे जाती हैं
किसी के आने पर भी वो सिखाती हैं
और जाने पर तो कई चेहरों के नकाब उतार ही जाती हैं
पर शायद यही जिंदगी है
जो उथल पुथल के बाद बस शांति फैला देती हैं
ऐसी शांति जिसके बाद ना कोई अपना लगता है
और ना किसी को अपनाया जा सकता है
बस एक खुदका साथ अपना लग
सब बेगाना हो जाता है
और कोई नया साथ,, सिर्फ डराता है
शायद जिंदगी यही है
कि खुदसे ज्यादा किसी पर यकीन हर बार जख्म देता है
जितना खुदको समझ
खुदके यकीन को, खुद पर पा लोगे
वो दिन खुदकी जिंदगी को पा लेने वाला होगा
क्योंकि खुदके साथ निभाया हर रिश्ता
निखारता है, संभालता है और खुदकी नजरो में उठाता है
और यही जिंदगी का सबक और वक्त का जिसे मरहम कहा जाता हैं,, वो यही खुदका साथ बन जाता है,,
और यही आखिर में ज़िंदगी कहलाता है

Geet

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वक्त

कभी जख्म तो कभी मरहम
बन जाता है ये वक्त
तो कभी नासूर की तरह
सिर्फ दर्द में तड़पने का
नाम बन जाता है वक्त
मैने सुना कि वक्त
हर दर्द हर हादसे भुला देता है
पर कब और कैसे हादसे
वो जो दिल को पत्थर कर गए
या वो जो अब उम्मीदें ही, खत्म कर गए
जब ये वक्त पत्थर ही बना देता है
तो उस पत्थर को काहे का दर्द
कैसी उम्मीदों के टूटने की तकलीफ
क्योंकि सब तो वक्त के साथ फिसल गया
जिसे वक्त गुजरने का नाम देकर
आगे बढ़ जाना कहा गया
पर कहा बढ़े वो सपने, जो वक्त ने खुद में बांध लिए
खुद तो वो रेत सा फिसल गया
और मुझे आगे का बढ़ने का दिलासा दे गया
अब वक्त, हर वक्त मरहम है
मेरे सपनो के लिए, मेरे जख्मों के लिए
और टूटे हौसले के लिए
क्योंकि अब सिर्फ तकलीफ है
और हर कदम वक्त मरहम है
क्योंकि जो वक्त तोड़ गया
ना उसे जोड़ पाएगा
ना संभाल पाएगा
बस हर कदम मरहम का नाम देकर
खुदको सबकी नजरों में
गिरने से बचाएगा
क्योंकि टूटे हुए सपनों
और छूटे हुए अपनो के दिए दर्द
कोई वक्त ना भर सकता है और ना भर पायेगा
बस खुदको मरहम का नाम दे
सही साबित करता जायेगा
इसके अलावा वो कुछ नहीं कर पाएगा

Geet

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