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कहानी - "5 मिनट की मुलाकात" "क्या कभी किसी अजनबी से 5 मिनट की मुलाकात, आपकी पूरी ज़िंदगी बदल सकती है?" स्टेशन नंबर 3, सुबह 8:10 बजे मैं ऑफिस के लिए रोज़ उसी लोकल ट्रेन से जाता था। वही लोग, वही चेहरे। पर उस दिन एक नया चेहरा दिखा — सफ़ेद सलवार सूट, माथे पर छोटी सी बिंदी और कानों में हल्के झुमके। वो चुपचाप बैठी थी और "द अल्केमिस्ट" पढ़ रही थी। मेरी नज़रें उस किताब पर थीं… और थोड़ा-बहुत उस पर भी। मैंने हिम्मत करके पूछा, > "अच्छी लग रही है किताब?" उसने मुस्कराकर देखा और कहा, > "हाँ, पर हर किसी की कहानी किताब जैसी नहीं होती..." मैं थोड़ा मुस्कराया, > "शायद असली जिंदगी में ज्यादा मज़ा है।" हम दोनों हँसे। पहली बार किसी अजनबी से 5 मिनट की बातचीत इतनी सुकून देने वाली लगी। घंटी बजी। ट्रेन आने ही वाली थी। मैंने कहा, > "कल फिर यहीं मिलेंगे?" वो मुस्कराई, लेकिन कुछ नहीं कहा। ट्रेन आई। वो चढ़ी। और मुझे बस एक कागज़ का टुकड़ा थमा गई। --- ट्रेन निकल चुकी थी। मैंने कागज़ खोला। > **"मेरी शादी अगले हफ्ते है। शुक्रिया इन 5 मिनटों के लिए। नंदिनी"** मैं कुछ पल खामोश खड़ा रहा। कभी-कभी, कुछ लोग आपकी जिंदगी में सिर्फ एक लम्हा छोड़ने आते हैं — और वो लम्हा, हमेशा के लिए रह जाता है। दोस्तों यह मेरी पहली कहानी थी आशा करता हूं आपको अच्छी लगी होगी।🙏 आपका अपना ~ पवन वैष्णव
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